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इमरान मसूद,सहारनपुर सांसद |
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से कांग्रेस सांसद इमरान मसूद एक बार फिर सुर्खियों में हैं, लेकिन इस बार वजह कोई सियासी बयान नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार का गंभीर मामला है। गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट ने उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया है, जिसने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। यह मामला 2007 का है, जब इमरान मसूद सहारनपुर नगर पालिका के अध्यक्ष थे। उन पर पंजाब नेशनल बैंक (PNB) में 40.12 लाख रुपये की हेराफेरी का आरोप है। आइए, इस मामले को विस्तार से समझते हैं और जानते हैं कि अगर इमरान मसूद दोषी पाए गए तो क्या हो सकता है।
क्या है पूरा मामला?
2007 में सहारनपुर नगर पालिका के कार्यपालक अधिकारी (EO) ने शिकायत दर्ज की थी कि नगर पालिका के खाते से 40.12 लाख रुपये की हेराफेरी की गई। इस मामले में इमरान मसूद का नाम सामने आया, जो उस समय नगर पालिका के अध्यक्ष थे। प्रारंभिक जांच में मामला गंभीर पाया गया, जिसके बाद इसे सीबीआई को सौंप दिया गया। सीबीआई ने जांच के बाद मसूद के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (मूल्यवान दस्तावेजों की जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के लिए जालसाजी), और 471 (जाली दस्तावेज को असली के रूप में उपयोग) के तहत मामला दर्ज किया।
इमरान मसूद ने इस मामले से बचने के लिए कोर्ट में डिस्चार्ज याचिका दायर की थी, लेकिन विशेष जज अरविंद मिश्रा ने इसे खारिज कर दिया। इसके बाद मसूद बार-बार कोर्ट में पेश नहीं हुए, जिसके चलते 11 जुलाई 2025 को गैर-जमानती वारंट (NBW) जारी हुआ। कोर्ट ने गाजियाबाद पुलिस को आदेश दिया है कि मसूद को 18 जुलाई को कोर्ट में पेश किया जाए।
सियासी हलचल और मसूद का रुख, दोषी पाए जाने पर क्या होगा?
यह मामला सियासी गलियारों में भी चर्चा का विषय बन गया है। इमरान मसूद के वकील ने दावा किया है कि यह मामला राजनीतिक प्रतिशोध से प्रेरित है। उनका कहना है कि मसूद को निशाना बनाने के लिए यह केस सहारनपुर से गाजियाबाद स्थानांतरित किया गया। हालांकि, मसूद की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। सीबीआई ने साफ कहा है कि अगर मसूद अगली सुनवाई में पेश नहीं होते, तो उनके खिलाफ और सख्त कार्रवाई हो सकती है, जिसमें गिरफ्तारी और संपत्ति की कुर्की शामिल है।
अगर इमरान मसूद इस मामले में दोषी पाए जाते हैं, तो उनके लिए हालात और मुश्किल हो सकते हैं। भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत:
- धारा 420 (धोखाधड़ी): इसमें 7 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है।
- धारा 467 (जालसाजी): इसमें भी 7 साल तक की कैद और जुर्माना संभव है।
- धारा 468 और 471: इन धाराओं में भी सजा और जुर्माने का प्रावधान है।
सहारनपुर में इस खबर ने लोगों के बीच हलचल मचा दी है। कुछ लोग इसे राजनीतिक साजिश मान रहे हैं, तो कुछ का कहना है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। सोशल मीडिया पर भी इस मामले को लेकर बहस छिड़ी हुई है। कुछ यूजर्स ने लिखा, "अगर बड़े नेता ही भ्रष्टाचार में लिप्त होंगे, तो आम जनता का भरोसा कैसे बनेगा?" वहीं, मसूद के समर्थकों का कहना है कि यह उनके खिलाफ सियासी बदले की कार्रवाई है।
18 जुलाई को होने वाली अगली सुनवाई इस मामले में अहम होगी। अगर मसूद कोर्ट में पेश नहीं होते, तो सीबीआई उनकी गिरफ्तारी के लिए और कड़े कदम उठा सकती है। वहीं, अगर वे पेश होते हैं, तो उनके वकील जमानत याचिका दायर कर सकते हैं। लेकिन कोर्ट का रुख देखते हुए यह आसान नहीं होगा।
इस मामले ने एक बार फिर भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग पर सवाल खड़े किए हैं। अब देखना यह है कि इमरान मसूद इस कानूनी पचड़े से कैसे बाहर आते हैं या फिर उनकी मुश्किलें और बढ़ती हैं।
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