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उत्तर प्रदेश के भारत देश के वो महान मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानी जिन्हें आज भारत भूल सा चुका है।

Indian Muslim Freedom Fighters

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन भारत में ब्रिटिश शासन को जड़ से उखाड़ने के अंतिम उद्देश्य के साथ ऐतिहासिक घटनाओं की बड़ा इतिहास रहा है। यह 1857 से लेकर 1947 तक चला जो की भारतीय स्वतंत्रता के लिए पहला राष्ट्रवादी क्रांतिकारी आंदोलन बंगाल से उभरा था।

इस आंदोलन ने बाद में भारत की नई घटित राजनीतिक पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में जड़ें जमा लीं थी, जिसमें प्रमुख उदारवादी नेताओ ने ब्रिटिश शासन भारत में भारतीय सिविल सेवा परीक्षाओं में बैठने के अधिकार के साथ-साथ भारत देश मे मिट्टी से जुड़े काम करने वाले लोगों के लिए उनके अधिकार  की मांग कर रहे थे। 

भारत देश को ब्रिटिश मुक्त शासन बनाने के लिए मुस्लिम फ्रीडम फाइटर के नामो की स्कूल में पढ़ाये जाने वाले सिलेबस में बहुत की कमी देखने को मिलती है जबकि भारत देश की आज़ादी के लिए भारतीय मुस्लिमों उलेमाओ को बहुत बड़ा योगदान की वास्तविकता कुछ और ही है। केवल भारत के एक ही राज्य उत्तर प्रदेश से ही ना जाने कितने मुस्लिम धार्मिक मौलानाओं को अंग्रेजो से बगावत करने की सज़ा के मौत मिली है।

20 वीं शताब्दी के शुरुआती भाग में लाल बाल पाल तिकड़ी, अरबिंदो घोष और वी. ओ. चिदंबरम पिल्लई जैसे नेताओं द्वारा प्रस्तावित राजनीतिक स्व-शासन के प्रति अधिक कट्टरपंथी दृष्टिकोण से देखा गया था। 1920 के दशक से स्व-शासन संघर्ष के अंतिम चरण में कांग्रेस द्वारा महात्मा गांधी की अहिंसा और सविनय अवज्ञा की नीति को अपनाने और कई अन्य अभियानों की विशेषता थी।

रवींद्रनाथ टैगोर, सुब्रमण्यम भारती और बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय, जैसे कवियों और लेखकों ने ब्रिटिश शाषित भारत में अंग्रेज़ो के ख़िलाफ़ देशभक्ति की जागरूकता फैलाई। इसमें भगत सिंह, राज गुरु, सुखदेव, चंद्रशेखर आज़ाद, गफ़्फ़ार खान और सबसे महत्वपूर्ण नेताजी सुभाष चंद्र बोस अपनी सेना के साथ आदि नेता शामिल रहे थे। 

सरोजिनी नायडू, प्रीतिलता वद्देदार, और कस्तूरबा गांधी जैसी महिला नेता भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की कुछ महिलाएं थीं जिन्होंने भारतीय महिलाओं की मुक्ति और स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भागीदारी को बढ़ावा दिया। बी आर अम्बेडकर ने भारतीय समाज के "वंचित" वर्गों के लिए समर्थन किया।

लेख में ऊपर दिए गए कुछ ऐसे स्वतंत्रता सैनानी रहे है जिनको कॉलेज, स्कूल में पढ़ाया गया जिस कारण सभी भारतीय भलीभांति जानते है। लेकिन कुछ ऐसे भारतीय जिन्होंने हस्ते-हस्ते अपने देश की आज़ादी के लिए अपनी जान न्यौछावर कर दी, इस लेख में आप 10 ऐसे मुस्लिम महान स्वतंत्र सेनानियों के बारे में पढ़ने वाले है जो कि उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे।


1. *बख्त_खान*

Indian Muslim Freedom Fighter Bakht Khan

उनका जन्म रोहिलखंड में बिजनौर में हुआ था। वे ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में सूबेदार थे और ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ 1857 के भारतीय विद्रोह में भारतीय विद्रोही बलों के कमांडर-इन-चीफ थे।

जब बख्त खान ने मेरठ में विद्रोह के बारे में सुना, तो उन्होंने मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर की सेना का समर्थन करने के लिए दिल्ली जाने का फैसला किया।

1 जुलाई 1857 को जब बख्त खान बड़ी संख्या में रोहिल्ला सिपाहियों के साथ दिल्ली पहुंचा, तब तक शहर को विद्रोही ताकतों ने अपने कब्जे में ले लिया था और मुगल शासक बहादुर शाह जफर को भारत का सम्राट घोषित किया गया था। 

बादशाह के सबसे बड़े बेटे मिर्जा मुगल को मिर्जा जहीरुद्दीन भी कहा जाता था, उन्हें प्रमुख सेनापति की उपाधि दी गई थी, लेकिन इस राजकुमार को कोई सैन्य अनुभव नहीं था।

यह वह समय था जब बख्तर खान बुधवार, 1 जुलाई 1857 को अपनी सेना के साथ दिल्ली पहुंचे। उनके आगमन के साथ, नेतृत्व की स्थिति में सुधार हुआ। बखत खान की श्रेष्ठ क्षमताएं जल्द ही स्पष्ट हो गईं, और सम्राट ने उन्हें वास्तविक अधिकार और साहेब-ए-आलम बहादुर, या लॉर्ड गवर्नर-जनरल की उपाधि प्रदान की। 

बख़्त खान सिपाही बलों के आभासी कमांडर थे, हालांकि उस समय मिर्जा जहीरुद्दीन ही कमांडर-इन-चीफ थे।


2. *बेगम_हजरत_महल*

Begum hazrat mahal

वे अवध की बेगम के नाम से भी प्रसिद्ध थीं और अवध के नवाब वाजिद अली शाह की दूसरी पत्नी थीं। 

उन्होंने 1857 के भारतीय विद्रोह के दौरान ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के ख़िलाफ़ विद्रोह किया। 

इनका जन्म फैजाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ था। जो कि आज की 21सताब्दी में जाकर अयोध्या के नाम से जाना जाता है।


3. *मौलवी_लियाक़त_अली*

Indian muslim freedom Fighter Maulvi Liyaqat Ali

मौलवी लियाकत अली (1817-1892) वर्तमान भारत के राज्य उत्तर प्रदेश राज्य में इलाहाबाद (प्रयागराज) के एक मुस्लिम धार्मिक नेता थे। 

वह 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह में नेताओं में से एक थे, जिसे अब स्वतंत्रता के पहले भारतीय युद्ध या 1857 के विद्रोह के रूप में जाना जाता है।

भारत की स्वतंत्रता के सबसे प्रमुख नेताओं में से एक के रूप में, मौलवी लियाकत अली जिला इलाहाबाद (प्रयागराज) के जिला परगना चैल के महगाँव गाँव के थे।

वह एक धार्मिक शिक्षक, एक ईमानदार धर्मपरायण मुसलमान और महान साहस और वीरता के व्यक्ति थे।


4. *आसफ_अली*

Indian Muslim Freedom Fighter Asaf Ali

वे भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और प्रसिद्ध भारतीय वकील थे। वह भारत से संयुक्त राज्य अमेरिका के पहले राजदूत थे। इनका जन्म ब्रिटिश भारत के जिला बिजनौर, उत्तर प्रदेश में हुआ था।

आसफ अली देश के सबसे सम्मानित वकीलों में से एक वकील थे। एक विवादास्पद अध्यादेश के पारित होने के दौरान 8 अप्रैल 1929 को केंद्रीय विधान सभा में बम फेंकने के बाद, उन्होंने एक वकील के रूप में शहीद भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त का बचाव किया।

1945 में, असाफ अली भारतीय राष्ट्रीय सेना के उन अधिकारियों की रक्षा के लिए कांग्रेस द्वारा स्थापित INA रक्षा दल के संयोजक बने, जिन पर बाद में नवंबर 1945 में राजद्रोह का आरोप लगाया गया था।

1928 में, उन्होंने अरुणा आसफ अली से शादी की, एक ऐसी शादी जिसने धर्म के आधार पर भौंहें उठाईं (आसफ अली एक मुस्लिम थे जबकि अरुणा एक हिंदू थीं) और उम्र का अंतर (अरुणा उनसे 20 साल छोटी थीं)।


5. *अशफाकुल्ला_खान*

Muslim Freedom Fighter Ashfaqullah khan

वे भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रांतिकारियों में से एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे। 

अशफ़ाक़ुल्ला खां ने स्वंतंत्रता आंदोलन को बढ़ावा देने और अपनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए हथियार और गोला-बारूद खरीदने के लिए, हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के क्रांतिकारियों ने 8 अगस्त 1925 को शाहजहांपुर में एक बैठक आयोजित की।

काफी विचार-विमर्श के बाद ट्रेनों में लदे सरकारी खजाने को लूटने का निर्णय लिया गया, 9 अगस्त 1925 को, लखनऊ के पास काकोरी में अशफ़ाक़ुल्ला खान और अन्य क्रांतिकारियों, राम प्रसाद बिस्मिल, राजेंद्र लाहिरी, ठाकुर रोशन सिंह, सचिंद्र बख्शी, चंद्रशेखर आजाद, केशब चक्रवर्ती, बनवारी लाल, मुरारी लाल गुप्ता, मुकुंदी लाल और मनमथनाथ गुप्ता ने हमला किया और एक सरकारी ट्रेन को लूट लिया। 

ब्रिटिश शासन के विद्रोह ओर ट्रैन में लूट के अंजाम में अशफ़ाक़ुल्ला खान को फैजाबाद जेल में बंद कर दिया गया था। उनके भाई रियासत उल्लाह खान उनके कानूनी वकील थे।

जेल में रहते हुए, अशफ़ाक़ुल्ला खान ने कुरान का पाठ किया और रमजान के इस्लामी महीने के दौरान नियमित रूप से और सख्ती से उपवास करना शुरू कर दिया। काकोरी डकैती का मामला बिस्मिल, खान, राजेंद्र लाहिड़ी और ठाकुर रोशन सिंह को मौत की सजा देकर समाप्त किया गया था। अन्य को आजीवन कारावास की सजा दी गई

इनका जन्म उत्तर प्रदेश के शाहिदगढ़ में स्थित शाहजहांपुर के रेलवे स्टेशन के पास कदनखैल जलालनगर मोहल्ले में हुआ था। 


6. *हसरत_मोहानी*

Indian freedom fighter Hasrat Mohani

वे साहित्यकार, शायर, पत्रकार, इस्लामी विद्वान, समाजसेवक और स्वंत्रता सेनानी थे। इनका जन्म उत्तर प्रदेश के क़स्बा मोहान ज़िला उन्नाव में हुआ था। 

इन्होने ही 'इन्कलाब ज़िन्दाबाद' का नारा दिया था। 

इन्होने पहली बार कांग्रेस के अहमदाबाद अधिवेशन में भारत के लिए पूर्ण स्वतंत्रता की मांग उठाई थी।   

हसरत मोहानी वो मुस्लिम नेता थे, जिन्होंने सबसे पहले आर्टिकल 370 की व्यवस्था को लेकर सवालिया निशान लगाया था. हिंदी कवि और लेखक अशोक कुमार पांडेय लिखित किताब कश्मीरनामा में इस बात का ज़िक्र है कि संविधान सभा में 17 अक्टूबर 1949 को जब अनुच्छेद 306, जिसे बाद में 370 के नाम से जाना गया, का मसौदा पेश किया, तो मोहानी सबसे पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने सवाल किया था 'संविधान में आर्टिकल 370 की क्या ज़रूरत है? ये भेदभाव क्यों?'

मोहानी के इस सवाल का जवाब जम्मू-कश्मीर के राजा हरि सिंह के दीवान रह चुके गोपालस्वामी आयंगर ने दिया था, जो उस वक्त बगैर किसी मंत्रालय के मंत्री थे और जवाहरलाल नेहरू के बेहद करीबी माने जाते थे।

जम्मू यूनिवर्सिटी के पूर्व वीसी अमिताभ मट्टू के द हिंदू में लिखे गए लेख के मुताबिक़ आयंगर ने मोहानी को जवाब देते हुए कहा था, 'इसके पीछे कई कारण हैं, जिनके चलते कश्मीर बाकी रियासतों से अलग है और फिलहाल एकीकरण की स्थिति वहां परिपक्व नहीं है।

कश्मीर पर भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध हो चुका है और हालात अब भी नाज़ुक हैं। साथ ही, इस राज्य के कुछ हिस्सों में विद्रोही और शत्रु अपना हक जमाने की कोशिश कर रहे हैं।


7. *मौलाना_मोहम्मद_अली*

Maulana Mohammed Ali Jauhar 

इनको मुहम्मद अली जौहर के नाम से भी जाना जाता है। 

वे एक भारतीय मुस्लिम नेता, कार्यकर्ता, विद्वान, पत्रकार और कवि थे। 

इनका जन्म उत्तर प्रदेश के रामपुर में हुआ था। 

इन्होने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का विस्तार करने के लिए कड़ी मेहनत की, 

जिसे मुहम्मदान एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज के नाम से जाना जाता था और 1920 में जामिया मिलिया इस्लामिया के सह-संस्थापकों में से एक थे।


8. *मौलाना_शौकत_अली*

Maulana Shaukat Ali

वे खिलाफत आंदोलन के एक भारतीय मुस्लिम राष्ट्रवादी नेता थे और मौलाना मुहम्मद अली के भाई थे। 

इन्होने खिलाफत आन्दोलन में अहम् भूमिका निभाई थी और उन्हें  खिलाफत सम्मेलन के अंतिम राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित किया गया था।

शौकत अली की मृत्यु 26 नवंबर 1938 को दिल्ली के पड़ोस करोल बाग में अपने भाई की विधवा बेगम मोहम्मद अली जौहर के आवास पर हुई थी। 

उनके शरीर को 26 नवंबर 1938 को दिल्ली के शौकत अली मस्जिद में जामा मस्जिद, मीना बाजार के पास दफनाया गया था।


9. *मुख्तार_अहमद_अंसारी*

Mukhtar Ahmad Ansari

वे एक भारतीय राष्ट्रवादी और राजनेता होने के साथ-साथ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और मुस्लिम लीग के पूर्व अध्यक्ष थे। 

साथी ही साथ वे जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के संस्थापकों में से एक थे।

और 1928 से 1936 तक वे इसके कुलाधिपति भी रहे थे। 

इनका जन्म उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में हुआ था।

डॉ. अंसारी इंग्लैंड में रहने के दौरान भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए। वह वापस दिल्ली चले गए और भारतीय कांग्रेस और मुस्लिम लीग दोनों में शामिल हो गए।

 उन्होंने 1916 के लखनऊ समझौते की बातचीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और 1918 और 1920 में मुस्लिम लीग के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। 

वह खिलाफत आंदोलन के मुखर समर्थक थे, और बाल्कन के दौरान घायल तुर्की सैनिकों के इलाज के लिए भारतीय चिकित्सा मिशन का नेतृत्व किया। 


10. *रफी_अहमद_किदवई*

Rafi Ahmad Kidwai

वे भारत के जाने-माने स्वतंत्रता सेनानी और देश के प्रमुख राजनीतिज्ञ थे। 

कांग्रेस के अन्दर स्वराज पार्टी के गठन के पक्षधर था। 

इनका जन्म उत्तर प्रदेश के बाराबंकी ज़िले के मसौली नामक स्थान पर हुआ था।

24 अक्टूबर1954 को दिल्ली में किदवई की मृत्यु हो गई। भाषण देते समय अस्थमा के दौरे का अनुभव करने के बाद उन्हें दिल का दौरा पड़ा। 

उनके गृह गांव में उनका दफन स्थल, मुगल शैली के मकबरे से ढका हुआ था। 

इतिहासकार पॉल ब्रास के अनुसार, "कांग्रेस के आंदोलनों और चुनावों के लिए एक दुर्जेय धन उगाहने वाले, उन्होंने अपनी उदारता सभी को वितरित की, लेकिन कर्ज में मर गए, अपने घर गांव में केवल एक खस्ताहाल घर छोड़कर।


नोट:  हजारो में से यहाँ सिर्फ 10 मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानी का जिक्र कर रहे है।


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शीजा मरयम,NEET 2025,JEE 2025 दिल्ली की रहने वाली शीजा मरयम, वल्दीयत तनवीर अहमद, निवासी खाता खेड़ी, उतराखंड ने अपनी मेहनत और लगन से शिक्षा के क्षेत्र में नया कीर्तिमान स्थापित किया है। शीजा ने NEET और JEE में 91.33 परसेंटाइल हासिल करने के साथ-साथ AMU B.Tech में 126वीं रैंक प्राप्त की है। उनकी इस शानदार उपलब्धि से न केवल उनका परिवार, बल्कि पूरा उतराखंड व वेस्ट यूपी और गाड़ा समाज गर्व महसूस कर रहा है। शीजा का परिवार शिक्षा से गहरा नाता रखता है। उनके मरहूम दादा इरफान अली IIT रुड़की से रिटायर्ड थे। उनकी मां शाइस्ता प्रवीण (निवासी मुज़फ्फरनगर ) AMU से अर्थशास्त्र में MA गोल्ड मेडलिस्ट और PHD धारक हैं। वहीं, उनके पिता तनवीर अहमद, जो AMU से ग्रेजुएट हैं, वर्तमान में मल्टीनेशनल कंपनी IKEA में प्रोजेक्ट मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं। शीजा ने अपने परिवार की इस शैक्षिक विरासत को न केवल कायम रखा, बल्कि उसे और बुलंदियों तक पहुंचाया। वर्तमान में शीजा का परिवार दिल्ली में रहता है। शीजा की इस कामयाबी ने हर उस लड़की के लिए एक मिसाल कायम की है, जो बड़े सपने देखती है। उनकी मेहनत और जज्बे को देखकर हर कोई प्रे...

मेरठ के इकला रसूलपुर गाँव में सनम फातिमा के साथ ससुराल में मारपीट और छत से फेंकने की दिल दहलाने वाली घटना

मेरठ क्राइम,सनम फातिमा,घरेलू हिंसा मेरठ, 1 जुलाई 2025: उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में एक दिल दहलाने वाली घटना सामने आई है, जहां एक नवविवाहिता सनम फातिमा के साथ उसके ससुराल वालों ने बर्बरता की सारी हदें पार कर दीं। सनम फातिमा, जो ग्राम इकला रसूलपुर, थाना परिक्षितगढ़ की रहने वाली हैं, को उनके पति शान-ए-आलम, ससुर जमाल, सास नसीरुन और अन्य परिजनों ने कथित तौर पर मारपीट की और छत से नीचे फेंक दिया। इस घटना में सनम को गंभीर चोटें आई हैं और वह मेरठ के एक अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रही हैं। सनम के पिता फखरुद्दीन ने बताया कि उनकी बेटी की शादी शान-ए-आलम के साथ हुई थी, लेकिन ससुराल में संपत्ति के हिस्से को लेकर लगातार विवाद चल रहा था। इस विवाद के चलते सनम के साथ आए दिन मारपीट की जाती थी। फखरुद्दीन के अनुसार, 30 जून 2025 की सुबह करीब 3 बजे, शान-ए-आलम के परिवार के लोग उनके घर में ताला तोड़कर घुस आए। इसके बाद उन्होंने सनम के साथ बेरहमी से मारपीट शुरू कर दी। हालात तब और बिगड़ गए, जब सुबह 4:30 बजे के आसपास, सनम को छत पर ले जाकर वहां बने जाल से नीचे फेंक दिया गया। इस हमले में सनम को गंभीर चोटें आईं,...