दिल्ली में सियासी भूचाल: अरविंद केजरीवाल का अमित शाह पर बड़ा हमला, भ्रष्टाचार और झूठे केसों पर गरमाई बहस
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दिल्ली, 25 अगस्त 2025, शाम 5:58 बजे (आईएसटी): दिल्ली की सियासत में आज एक बार फिर हलचल मच गई है। आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के उस नए कानून के खिलाफ जोरदार हमला बोला है, जिसमें पांच साल से ज्यादा सजा वाले अपराधों में जेल गए नेताओं को 30 दिन में बेल न मिलने पर पद छोड़ने की बात कही गई है। लेकिन केजरीवाल ने सवाल उठाया है कि क्या वो नेता भी इस्तीफा दें, जो गंभीर अपराधियों को अपनी पार्टी में शामिल करके उनके सारे केस रफा-दफा कर मंत्री और मुख्यमंत्री बना देते हैं?
अरविंद केजरीवाल ने अपने ट्वीट में लिखा, "जो व्यक्ति गंभीर गुनाहों के मुजरिमों को अपनी पार्टी में लेकर उनके सारे केस खत्म कर उन्हें मंत्री, उपमुख्यमंत्री या मुख्यमंत्री बना दे, क्या ऐसे नेता को भी पद छोड़ना चाहिए? ऐसे शख्स को कितने साल की जेल होनी चाहिए?" इसके साथ ही उन्होंने एक और गंभीर सवाल उठाया, "अगर किसी पर झूठा केस लगाकर जेल भेजा जाए और बाद में वो बेकसूर साबित हो जाए, तो झूठा केस लगाने वाले मंत्री को कितने साल की सजा मिलनी चाहिए?"
केजरीवाल का इशारा साफ तौर पर बीजेपी की ओर है, जहां विपक्षी नेताओं पर लगातार भ्रष्टाचार के केस दर्ज होने और फिर कई बार उनके पार्टी में शामिल होने के बाद केस वापस लेने के मामले सामने आए हैं। 2019 की एक इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 2014 से अब तक 25 विपक्षी नेता भ्रष्टाचार के केस में फंसे, जिनमें से 23 ने बीजेपी जॉइन करने के बाद राहत पाई। हालांकि, इस बात का कोई पुख्ता सबूत नहीं है कि ये सिस्टम का हिस्सा है, लेकिन जनता में इसको लेकर गुस्सा साफ दिख रहा है।
केजरीवाल ने अमित शाह पर निशाना साधते हुए सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस का भी जिक्र किया। 2018 में सीबीआई कोर्ट ने इस मामले में अमित शाह को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था। ये केस काफी चर्चा में रहा था, जिसमें शाह पर गंभीर आरोप लगे थे। केजरीवाल का कहना है कि अगर किसी नेता पर झूठे केस की सजा होनी चाहिए, तो फिर ऐसे मामलों में भी जवाबदेही तय होनी चाहिए।
दिल्ली की गलियों में इस बहस ने जोर पकड़ लिया है। चांदनी चौक के एक दुकानदार रमेश कुमार कहते हैं, "अगर नेता जेल में हैं और सरकार चला रहे हैं, तो ये सही नहीं। लेकिन झूठे केस में फंसाने वालों को भी सजा मिलनी चाहिए, वरना आम आदमी का भरोसा उठ जाएगा।" वहीं, युवाओं में भी इस मुद्दे पर गुस्सा है। एक छात्र ने बताया, "केजरीवाल सही कह रहे हैं। बीजेपी की वॉशिंग मशीन तो सब देख रहे हैं, लेकिन कानून सबके लिए बराबर होना चाहिए।"
दिल्ली में आजकल "130वां संविधान संशोधन बिल 2025" की चर्चा जोरों पर है, जो पीएम नरेंद्र मोदी ने पेश किया है। इस बिल में कहा गया है कि अगर कोई मंत्री या पीएम 30 दिन से ज्यादा जेल में रहता है, तो उसे पद छोड़ना होगा। पीएम मोदी ने इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ा कदम बताया है, लेकिन विपक्ष इसे तानाशाही करार दे रहा है। ममता बनर्जी जैसे नेताओं ने इसे "सुपर इमरजेंसी" तक कह दिया है।
अब सवाल ये है कि ये बिल पास होगा या नहीं? जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (जेपीसी) में इसकी जांच चल रही है, लेकिन विपक्ष इसका बहिष्कार कर रहा है। दूसरी ओर, केजरीवाल की बातों से साफ है कि वो इस मुद्दे को हवा देने की कोशिश में हैं, खासकर दिल्ली के आगामी चुनावों को देखते हुए। जनता की नजर अब संसद और कोर्ट पर टिकी है।
तो दोस्तों, आपकी राय क्या है? क्या भ्रष्टाचार के खिलाफ ये कानून सही है, या फिर ये सियासी चाल है? कमेंट में अपनी बात जरूर बताएं!
केजरीवाल का तीखा जवाब, सोहराबुद्दीन केस का जिक्र, दिल्ली में जनता की क्या राय?
अरविंद केजरीवाल ने अपने ट्वीट में लिखा, "जो व्यक्ति गंभीर गुनाहों के मुजरिमों को अपनी पार्टी में लेकर उनके सारे केस खत्म कर उन्हें मंत्री, उपमुख्यमंत्री या मुख्यमंत्री बना दे, क्या ऐसे नेता को भी पद छोड़ना चाहिए? ऐसे शख्स को कितने साल की जेल होनी चाहिए?" इसके साथ ही उन्होंने एक और गंभीर सवाल उठाया, "अगर किसी पर झूठा केस लगाकर जेल भेजा जाए और बाद में वो बेकसूर साबित हो जाए, तो झूठा केस लगाने वाले मंत्री को कितने साल की सजा मिलनी चाहिए?"
केजरीवाल का इशारा साफ तौर पर बीजेपी की ओर है, जहां विपक्षी नेताओं पर लगातार भ्रष्टाचार के केस दर्ज होने और फिर कई बार उनके पार्टी में शामिल होने के बाद केस वापस लेने के मामले सामने आए हैं। 2019 की एक इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 2014 से अब तक 25 विपक्षी नेता भ्रष्टाचार के केस में फंसे, जिनमें से 23 ने बीजेपी जॉइन करने के बाद राहत पाई। हालांकि, इस बात का कोई पुख्ता सबूत नहीं है कि ये सिस्टम का हिस्सा है, लेकिन जनता में इसको लेकर गुस्सा साफ दिख रहा है।
केजरीवाल ने अमित शाह पर निशाना साधते हुए सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस का भी जिक्र किया। 2018 में सीबीआई कोर्ट ने इस मामले में अमित शाह को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था। ये केस काफी चर्चा में रहा था, जिसमें शाह पर गंभीर आरोप लगे थे। केजरीवाल का कहना है कि अगर किसी नेता पर झूठे केस की सजा होनी चाहिए, तो फिर ऐसे मामलों में भी जवाबदेही तय होनी चाहिए।
दिल्ली की गलियों में इस बहस ने जोर पकड़ लिया है। चांदनी चौक के एक दुकानदार रमेश कुमार कहते हैं, "अगर नेता जेल में हैं और सरकार चला रहे हैं, तो ये सही नहीं। लेकिन झूठे केस में फंसाने वालों को भी सजा मिलनी चाहिए, वरना आम आदमी का भरोसा उठ जाएगा।" वहीं, युवाओं में भी इस मुद्दे पर गुस्सा है। एक छात्र ने बताया, "केजरीवाल सही कह रहे हैं। बीजेपी की वॉशिंग मशीन तो सब देख रहे हैं, लेकिन कानून सबके लिए बराबर होना चाहिए।"
ट्रेंडिंग न्यूज़ और कानून की बहस, क्या होगा आगे?
दिल्ली में आजकल "130वां संविधान संशोधन बिल 2025" की चर्चा जोरों पर है, जो पीएम नरेंद्र मोदी ने पेश किया है। इस बिल में कहा गया है कि अगर कोई मंत्री या पीएम 30 दिन से ज्यादा जेल में रहता है, तो उसे पद छोड़ना होगा। पीएम मोदी ने इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ा कदम बताया है, लेकिन विपक्ष इसे तानाशाही करार दे रहा है। ममता बनर्जी जैसे नेताओं ने इसे "सुपर इमरजेंसी" तक कह दिया है।
अब सवाल ये है कि ये बिल पास होगा या नहीं? जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (जेपीसी) में इसकी जांच चल रही है, लेकिन विपक्ष इसका बहिष्कार कर रहा है। दूसरी ओर, केजरीवाल की बातों से साफ है कि वो इस मुद्दे को हवा देने की कोशिश में हैं, खासकर दिल्ली के आगामी चुनावों को देखते हुए। जनता की नजर अब संसद और कोर्ट पर टिकी है।
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