नई दिल्ली: देश में बर्ड फ्लू (H5N1) का खतरा तेजी से बढ़ रहा है, और इसे देखते हुए केंद्र सरकार ने एक सख्त कदम उठाया है। अब देश भर के सभी पोल्ट्री फार्मों के लिए पंजीकरण कराना अनिवार्य कर दिया गया है। यह फैसला 8 अप्रैल 2025 को लागू हुआ, और सरकार ने सभी फार्म मालिकों को एक महीने के भीतर यह प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया है। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या पहले पोल्ट्री फार्मों का पंजीकरण नहीं होता था? और अब इसके लिए क्या करना होगा? कौन से दस्तावेज चाहिए? आइए, इस खबर को विस्तार से समझते हैं।
पहले पंजीकरण का हाल क्या था?
कई लोगों के मन में यह सवाल है कि क्या भारत में पहले पोल्ट्री फार्मों का रजिस्ट्रेशन नहीं होता था। सच तो यह है कि पहले भी कुछ नियम थे, लेकिन वे पूरे देश में एकसमान नहीं थे। बड़े फार्मों को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति लेनी पड़ती थी, खासकर अगर उनके पास 25,000 से ज्यादा मुर्गियां हों। वहीं, व्यावसायिक स्तर पर मांस या अंडे बेचने वालों को खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) से लाइसेंस लेना जरूरी था। लेकिन छोटे और ग्रामीण इलाकों के असंगठित फार्म अक्सर इन नियमों से बाहर रहते थे। अब H5N1 के बढ़ते मामलों ने सरकार को मजबूर किया है कि वह सभी फार्मों को एक छतरी के नीचे लाए, ताकि बीमारी पर नजर रखी जा सके और जैव सुरक्षा को मजबूत किया जा सके।
क्यों लिया गया यह फैसला?
पिछले कुछ महीनों में देश के कई राज्यों में बर्ड फ्लू के मामले सामने आए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि असंगठित पोल्ट्री फार्म इस वायरस के फैलने का बड़ा कारण बन सकते हैं। एक सरकारी अधिकारी ने बताया, "पंजीकरण से हमें हर फार्म की सही जानकारी मिलेगी। इससे निगरानी आसान होगी और जरूरत पड़ने पर तुरंत कदम उठाए जा सकेंगे।" सरकार का मकसद है कि इस बीमारी को जड़ से खत्म किया जाए, ताकि पोल्ट्री उद्योग और लोगों की सेहत को नुकसान न हो।
पंजीकरण के लिए क्या करना होगा?
अगर आप एक पोल्ट्री फार्म चलाते हैं, तो अब आपको इसे रजिस्टर कराना होगा। लेकिन इसके लिए क्या करना पड़ेगा? चलिए, इसे आसान भाषा में समझते हैं:
- पशुपालन विभाग से शुरू करें: अपने जिले के पशुपालन विभाग या veterinary ऑफिस जाएं। वहां आपको फॉर्म और प्रक्रिया की जानकारी मिलेगी।
- स्थानीय अनुमति: अपने गांव की पंचायत या नगर निगम से "No Objection Certificate" (NOC) लें। यह जरूरी है ताकि कोई कानूनी दिक्कत न हो।
- प्रदूषण बोर्ड की मंजूरी: बड़े फार्मों के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से NOC लेना होगा। छोटे फार्मों के लिए यह शायद जरूरी न हो, लेकिन नए नियमों की पुष्टि करें।
- बिजली-पानी का इंतजाम: बिजली विभाग से कनेक्शन और पानी के लिए ग्राउंडवाटर डिपार्टमेंट से परमिशन लें।
- ऑनलाइन पोर्टल: केंद्र सरकार के नए नियमों के तहत नेशनल लाइवस्टॉक मिशन (NLM) पोर्टल या राज्य सरकार के पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करना पड़ सकता है। इसे चेक करें।
- निरीक्षण और मंजूरी: दस्तावेज जमा करने के बाद फील्ड ऑफिसर आपके फार्म का दौरा कर सकते हैं। इसके बाद रजिस्ट्रेशन पूरा होगा।
कौन से दस्तावेज चाहिए?
पंजीकरण के लिए आपको कुछ जरूरी कागजात तैयार रखने होंगे। ये हैं:
- पहचान और पता: आधार कार्ड, पैन कार्ड, बिजली बिल या राशन कार्ड।
- जमीन का सबूत: पट्टा, खसरा-खतौनी या किराया समझौता (अगर जमीन किराए की है)।
- NOC: पंचायत और प्रदूषण बोर्ड से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट।
- फार्म की डिटेल: फार्म का नक्शा और पक्षियों की संख्या।
- बैंक और फोटो: खाता विवरण और पासपोर्ट साइज फोटो।
- FSSAI और GST: अगर आप बड़े स्तर पर बिक्री करते हैं, तो ये भी चाहिए।
लोगों की राय और सलाह
पोल्ट्री उद्योग से जुड़े लोगों ने इस कदम का स्वागत किया है, लेकिन छोटे किसानों को चिंता है। एक फार्मर, सुरेश यादव ने कहा, "नियम अच्छा है, लेकिन सरकार को हमें तकनीकी मदद और सब्सिडी भी देनी चाहिए।" वहीं, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों से सावधानी बरतने को कहा है। उनका कहना है कि अच्छे से पका हुआ मांस खाएं और पक्षियों के संपर्क से बचें, क्योंकि बर्ड फ्लू इंसानों में भी फैल सकता है।
यह कदम पोल्ट्री उद्योग और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक नया मोड़ लेकर आया है। सरकार भविष्य में टीकाकरण और दूसरी योजनाओं पर भी काम कर सकती है। अगर आप फार्म चलाते हैं, तो समय रहते रजिस्ट्रेशन करा लें, वरना जुर्माना या दूसरी परेशानी हो सकती है।
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