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Trump Revoked Haqqani Bounty Reward |
काबुल/वाशिंगटन, 23 मार्च 2025: एक चौंकाने वाले घटनाक्रम में, अमेरिका ने तालिबान के शीर्ष नेताओं पर दी जा रही इनामी राशि को वापस ले लिया है। इस सूची में तालिबान के बड़े नेता सिराजुद्दीन हक्कानी का नाम भी शामिल है, जिनके लिए पहले 10 मिलियन डॉलर (लगभग 83 करोड़ रुपये) का इनाम रखा गया था। इसके अलावा, अब्दुल अजीज हक्कानी और याह्या हक्कानी पर भी क्रमशः 5 मिलियन डॉलर का इनाम हटाया गया है। यह खबर तब आई है, जब हाल ही में तालिबान ने एक अमेरिकी नागरिक को रिहा किया था। क्या यह अमेरिका की नई कूटनीतिक रणनीति का हिस्सा है? आइए, इस खबर को विस्तार से समझते हैं।
अमेरिका ने कई सालों से तालिबान नेताओं को पकड़ने या उनके बारे में जानकारी देने के लिए भारी-भरकम इनाम की घोषणा की थी। सिराजुद्दीन हक्कानी, जो तालिबान के कार्यवाहक गृह मंत्री हैं और हक्कानी नेटवर्क के मुखिया भी हैं, लंबे समय से अमेरिका की नजरों में रहे हैं। हक्कानी नेटवर्क को अमेरिका ने एक आतंकवादी संगठन घोषित किया हुआ है, और यह संगठन अफगानिस्तान में अमेरिकी और गठबंधन सेनाओं पर कई हमलों के लिए जिम्मेदार रहा है। लेकिन अब इनाम हटाने का फैसला कई सवाल खड़े कर रहा है।
हाल ही में तालिबान ने एक अमेरिकी नागरिक जॉर्ज ग्लेज़मैन को रिहा किया था, जो दिसंबर 2022 से उनकी हिरासत में थे। इस रिहाई में कतर ने मध्यस्थता की भूमिका निभाई थी। जानकारों का मानना है कि इनाम हटाने का फैसला इसी रिहाई से जुड़ा हो सकता है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम अमेरिका और तालिबान के बीच तनाव को कम करने की दिशा में एक कदम हो सकता है, हालांकि अमेरिका अभी भी तालिबान सरकार को मान्यता नहीं देता।
सिराजुद्दीन हक्कानी को अमेरिका ने "विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी" घोषित किया हुआ है। वह 2015 से तालिबान के उप-नेता हैं और 2021 में अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से वह वहां के कार्यवाहक गृह मंत्री की भूमिका निभा रहे हैं। हक्कानी नेटवर्क की स्थापना उनके पिता जलालुद्दीन हक्कानी ने की थी, और यह संगठन तालिबान का एक अर्ध-स्वायत्त सैन्य संगठन है।
अमेरिका के इस फैसले पर सोशल मीडिया पर भी खूब चर्चा हो रही है। कुछ लोग इसे तालिबान के साथ बातचीत की दिशा में एक सकारात्मक कदम मान रहे हैं, तो कुछ का कहना है कि यह आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पीछे हटने जैसा है। एक यूजर ने लिखा, "क्या अमेरिका ने हार मान ली है?" वहीं, एक अन्य यूजर ने कहा, "यह सही कदम है, क्योंकि असली दुश्मन अफगानिस्तान में नहीं, बल्कि अमेरिका के भीतर हैं।"
अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से वहां के हालात जटिल बने हुए हैं। अमेरिका और तालिबान के बीच रिश्ते भी उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं। ऐसे में यह फैसला दोनों पक्षों के बीच भविष्य की बातचीत को कैसे प्रभावित करेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।
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