वक्फ मुद्दे पर इमरान मसूद का अजमेर शरीफ दरगाह प्रमुख को करारा जवाब, सांसद ने कहाँ बीजेपी की दलाली करना छोड़ दे
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इमरान मसूद, वक्फ संशोधन विधेयक, अजमेर शरीफ दरगाह |
सहारनपुर, 1 अप्रैल 2025: सहारनपुर से कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर चल रही बहस में एक नया मोड़ ला दिया है। उन्होंने अजमेर शरीफ दरगाह के प्रमुख सैयद नासिरुद्दीन चिश्ती के उस बयान पर कड़ा एतराज जताया, जिसमें चिश्ती ने वक्फ विधेयक का समर्थन किया था। मसूद ने चिश्ती पर बीजेपी की "दलाली" करने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय के हितों के खिलाफ है और इसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
क्या है पूरा मामला?
वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर देशभर में बहस छिड़ी हुई है। इस विधेयक का मकसद वक्फ बोर्ड में सुधार लाना, पारदर्शिता बढ़ाना और अवैध कब्जे वाली संपत्तियों को वापस लेना बताया जा रहा है। लेकिन विपक्षी दलों का कहना है कि यह विधेयक अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला है। इसी बीच, अजमेर शरीफ दरगाह के प्रमुख और ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल के अध्यक्ष सैयद नासिरुद्दीन चिश्ती ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा था कि सरकार ने साफ कर दिया है कि दरगाहों और मस्जिदों पर कोई कब्जा नहीं होगा। उन्होंने यह भी कहा कि संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने सभी पक्षों को सुना है और उम्मीद है कि यह एक अच्छा विधेयक होगा।
इमरान मसूद का पलटवार
चिश्ती के इस बयान पर सहारनपुर के सांसद इमरान मसूद भड़क गए। उन्होंने कहा, "ये बीजेपी की दलाली बंद करें। वक्फ बोर्ड की जमीनों को बचाने के लिए हमारी पार्टी और समुदाय ने लंबी लड़ाई लड़ी है। अब कोई ऐसा शख्स जो सूफी परंपरा का दावा करता है, बीजेपी के एजेंडे को बढ़ावा दे रहा है, यह शर्मनाक है।" मसूद, जो खुद जेपीसी के सदस्य भी रहे हैं, ने दावा किया कि इस विधेयक के जरिए सरकार अल्पसंख्यकों की धार्मिक संस्थाओं को कमजोर करना चाहती है।
उन्होंने आगे कहा, "मैंने जेपीसी की हर बैठक में हिस्सा लिया, हर दस्तावेज पढ़ा। यह विधेयक सुधार के नाम पर वक्फ की जमीनों को हड़पने और समुदाय के हक को छीनने की साजिश है। चिश्ती साहब को चाहिए कि वे पहले अपनी जमीर की आवाज सुनें, न कि सत्ता के इशारों पर चलें।"
चिश्ती ने भी दिया जवाब
इमरान मसूद के तीखे हमले के बाद सैयद नासिरुद्दीन चिश्ती ने भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, "मुझे किसी की दलाली करने की जरूरत नहीं है। अजमेर दरगाह का 800 साल पुराना इतिहास सम्मान की बात करता है। मैंने सिर्फ इतना कहा कि सरकार के इरादे साफ हैं और वक्फ की बेहतरी के लिए सुधार जरूरी हैं। मसूद साहब को चाहिए कि वे कांग्रेस के कामकाज पर सवाल उठाएं कि उत्तर प्रदेश में वक्फ की संपत्तियों की रक्षा के लिए क्या किया गया।"
सियासी घमासान तेज
इस विवाद ने सियासी माहौल को और गरमा दिया है। कांग्रेस और बीजेपी के बीच वक्फ विधेयक को लेकर पहले से ही तनातनी चल रही है। मसूद के बयान से जहां विपक्षी दलों को एक नया मुद्दा मिल गया है, वहीं बीजेपी ने इसे "भावनाओं को भड़काने की कोशिश" करार दिया है। उधर, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी इस विधेयक के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन की घोषणा की है, जिससे आने वाले दिनों में यह मामला और तूल पकड़ सकता है।
आगे क्या?
इमरान मसूद ने साफ कर दिया है कि वह और उनकी पार्टी इस विधेयक के खिलाफ अंत तक लड़ेंगे। उन्होंने कहा, "हम लोकतंत्र में हैं, हर आवाज मायने रखती है। यह सिर्फ वक्फ की लड़ाई नहीं, बल्कि हमारे हक और सम्मान की लड़ाई है।" दूसरी ओर, सरकार का दावा है कि यह विधेयक वक्फ बोर्ड को मजबूत करने के लिए है, न कि इसे नष्ट करने के लिए।
इस पूरे घटनाक्रम पर देश की नजरें टिकी हैं। क्या यह विवाद सिर्फ सियासी बयानबाजी तक सीमित रहेगा या जमीन पर कोई बड़ा आंदोलन खड़ा होगा, यह आने वाला वक्त ही बताएगा।
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