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| Muradabad News,Bajrang dal |
मुरादाबाद से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है, जहां 16 साल के एक नौजवान बजरंग दल कार्यकर्ता शोभित ठाकुर की गोली मारकर हत्या कर दी गई। यह वारदात 29 सितंबर 2025 को हुई, और वजह हैरान करने वाली है - एक इंस्टाग्राम कमेंट को लेकर हुआ विवाद! जी हां, सोशल मीडिया पर छोटी-सी बात ने इतना बड़ा रूप ले लिया कि एक जिंदगी चली गई। आइए, इस घटना के हर पहलू को विस्तार से जानते हैं।
घटना का पूरा सच, बजरंग दल और युवाओं की भागीदारी, सोशल मीडिया पर मचा हंगामा
शोभित ठाकुर, जो एक 10वीं कक्षा के छात्र थे, बजरंग दल के ब्लॉक संयोजक के तौर पर भी सक्रिय थे। खबरों के मुताबिक, उनकी किसी इंस्टाग्राम पोस्ट या कमेंट को लेकर एक विवाद शुरू हुआ, जो धीरे-धीरे हिंसक हो गया। इस झड़प में चार लोगों - अक्कू शर्मा, रोहित, अविनाश जोशी और जतिन उर्फ लाल - ने शोभित पर गोली चला दी, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर ली है और आरोपियों की तलाश तेज कर दी गई है।
शोभित की उम्र महज 16 साल थी, और इतनी कम उम्र में बजरंग दल जैसे संगठन में उनकी सक्रियता ने लोगों के बीच कई सवाल खड़े कर दिए हैं। बजरंग दल, जो विश्व हिंदू परिषद का हिस्सा है, गाय संरक्षण और हिंदू संस्कृति की रक्षा के नाम पर अक्सर चर्चा में रहता है। लेकिन क्या इतनी कम उम्र के बच्चों को इस तरह के संगठनों में शामिल करना सही है? सोशल मीडिया पर कई लोग इस घटना को देखकर दुखी हैं, तो कुछ बजरंग दल की नीतियों पर सवाल उठा रहे हैं।
इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर तूफान आ गया। कुछ लोग शोभित के परिवार के प्रति संवेदना जता रहे हैं, तो कुछ इस बात से राहत महसूस कर रहे हैं कि आरोपी मुस्लिम समुदाय से नहीं हैं। एक यूजर ने लिखा, "अगर आरोपी मुस्लिम होते, तो शायद कई घरों पर बुलडोजर चल जाता।" वहीं, कई लोगों ने मांग की कि बजरंग दल जैसे संगठनों पर बैन लगाया जाए, क्योंकि ये संगठन युवाओं को हिंसा की ओर धकेल रहे हैं।
मुरादाबाद का संवेदनशील इतिहास, क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
मुरादाबाद का नाम पहले भी सांप्रदायिक तनाव के लिए चर्चा में रहा है। 1980 के मुरादाबाद दंगे इसका एक उदाहरण हैं, जहां हिंदू-मुस्लिम विवाद में सैकड़ों लोगों की जान गई थी। ऐसे में यह घटना एक बार फिर इलाके में तनाव पैदा कर सकती है। स्थानीय पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सख्त कदम उठाए हैं, लेकिन लोग चिंता जता रहे हैं कि यह मामला और गंभीर रूप ले सकता है।
कानून और समाजशास्त्र के जानकारों का मानना है कि सोशल मीडिया आजकल विवादों की जड़ बनता जा रहा है। इतनी कम उम्र में बच्चों का राजनीतिक या धार्मिक संगठनों में शामिल होना खतरे को बढ़ाता है। एक विशेषज्ञ ने कहा, "हमें बच्चों को शिक्षा और खेलकूद की ओर प्रेरित करना चाहिए, न कि हिंसा और विवाद में धकेलना।"
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