
ग्राम पंचायत चुनाव,अरशद प्रधान
इकला रसूलपुर, 19 अक्टूबर 2025 (गाड़ा टाइम्स स्पेशल): ग्राम पंचायत चुनाव की सरगर्मियां तेज हो रही हैं, और इकला रसूलपुर के पूर्व प्रधान अरशद खान एक बार फिर मैदान में उतरने को तैयार हैं। "फिर से ताल ठोकेंगे, गाँव को नई ऊँचाई देंगे!" - ये उनका जोरदार ऐलान है, जो स्थानीय लोगों के बीच उत्साह भर रहा है। गरीबी, विकास और शांति के नाम पर अरशद ने पिछले कार्यकाल में जो कमाल दिखाया, वो अब भी चर्चा का विषय बना हुआ है। आइए, जानते हैं उनकी उपलब्धियों और आने वाले वादों की पूरी कहानी।
अरशद प्रधान का सफर रहा है प्रेरणादायक। गाँव के प्रधान रहते हुए उन्होंने गरीब परिवारों के लिए 80 से 100 मजबूत घर बनवाए, जो आज भी उन परिवारों की जिंदगी बदल चुके हैं। "गरीबी कोई अभिशाप नहीं, बस एक मौका है बदलाव का," कहते हुए अरशद ने हर जरूरतमंद को सहारा दिया। इसी तरह, इकला गाँव के विकलांग भाइयों-बहनों को पेंशन स्कीम से जोड़कर उन्होंने साबित किया कि समावेशी विकास ही असली विकास है।
गाँव के उन टेढ़े-मेढ़े रास्तों की कहानी तो हर कोई सुन चुका है, जहाँ चलना भी दूभर था। अरशद ने न सिर्फ उन रास्तों को पक्का कराया, बल्कि गाँव वालों की जिंदगी को आसान बना दिया। और सबसे बड़ी बात - उनके कार्यकाल में पुलिस प्रशासन को गाँव में दस्तक देने की जरूरत ही नहीं पड़ी। शांति और सौहार्द का ये माहौल अरशद की दूरदर्शिता का नतीजा था।
आजकल अरशद न्यू गाड़ा अंजुमन के सदर के तौर पर भी सक्रिय हैं। इस संगठन के जरिए उन्होंने 40 से 45 मामलों का सुलझाव कराया, जहाँ दोनों पक्ष आपसी सहमति से राजी हो गए। ये उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि है, जो बताती है कि बातचीत से हर विवाद सुलझ सकता है। "झगड़े खत्म करो, दोस्ती बढ़ाओ!" - ये उनका मंत्र है, जो पूरे इलाके में मिसाल बन रहा है।
अब आगामी ग्राम पंचायत चुनाव में अरशद का वादा है बड़ा और प्रेरक। अगर वे फिर प्रधान बने, तो इकला रसूलपुर को खजूरी गाँव की तर्ज पर सबसे सुंदर और स्वच्छ गाँव बनाएंगे। "हर बिगड़ा काम सुलझाऊंगा, हर दुख में साथ खड़ा रहूंगा," ये उनका संकल्प है। गाँव वाले कहते हैं, "अरशद जैसे नेता ही गाँव की असली ताकत हैं।"
चुनावी माहौल में ये साफ है कि अरशद की वापसी गाँव के लिए नया अध्याय लिखेगी। क्या आप भी उनका साथ देंगे? कमेंट्स में बताएं!
गाँव के उन टेढ़े-मेढ़े रास्तों की कहानी तो हर कोई सुन चुका है, जहाँ चलना भी दूभर था। अरशद ने न सिर्फ उन रास्तों को पक्का कराया, बल्कि गाँव वालों की जिंदगी को आसान बना दिया। और सबसे बड़ी बात - उनके कार्यकाल में पुलिस प्रशासन को गाँव में दस्तक देने की जरूरत ही नहीं पड़ी। शांति और सौहार्द का ये माहौल अरशद की दूरदर्शिता का नतीजा था।
आजकल अरशद न्यू गाड़ा अंजुमन के सदर के तौर पर भी सक्रिय हैं। इस संगठन के जरिए उन्होंने 40 से 45 मामलों का सुलझाव कराया, जहाँ दोनों पक्ष आपसी सहमति से राजी हो गए। ये उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि है, जो बताती है कि बातचीत से हर विवाद सुलझ सकता है। "झगड़े खत्म करो, दोस्ती बढ़ाओ!" - ये उनका मंत्र है, जो पूरे इलाके में मिसाल बन रहा है।
अब आगामी ग्राम पंचायत चुनाव में अरशद का वादा है बड़ा और प्रेरक। अगर वे फिर प्रधान बने, तो इकला रसूलपुर को खजूरी गाँव की तर्ज पर सबसे सुंदर और स्वच्छ गाँव बनाएंगे। "हर बिगड़ा काम सुलझाऊंगा, हर दुख में साथ खड़ा रहूंगा," ये उनका संकल्प है। गाँव वाले कहते हैं, "अरशद जैसे नेता ही गाँव की असली ताकत हैं।"
चुनावी माहौल में ये साफ है कि अरशद की वापसी गाँव के लिए नया अध्याय लिखेगी। क्या आप भी उनका साथ देंगे? कमेंट्स में बताएं!
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