मथुरा में महिला सिपाही के साथ दुष्कर्म का सनसनीखेज मामला, साथ मे काम करने वाले दोस्तों पर आरोप, जाँच शुरू
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दिल्ली, 22 जुलाई 2025, शाम 8:28 बजे (गाडा टाइम्स): उत्तर प्रदेश के मथुरा से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है, जहां एक महिला सिपाही के साथ दुष्कर्म का गंभीर आरोप लगा है। इस मामले में झांसी में तैनात एक उप निरीक्षक रविकांत गोस्वामी और उसके दोस्त दीक्षांत शर्मा पर इल्ज़ाम लगा है। पीड़िता ने अपनी शिकायत में बताया कि 17 फरवरी 2023 की रात बलदेव रोड के एक फार्महाउस में उसके साथ नशीला पदार्थ खिलाकर दुष्कर्म किया गया। इसके बाद आरोपियों ने उसका अश्लील वीडियो बनाकर उसे कई बार ब्लैकमेल किया।
खबर और चौंकाने वाली तब हुई जब 22 जून 2023 को मुरादाबाद के एक होटल में भी इन दोनों ने सामूहिक दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया और फिर वीडियो बनाया। पीड़िता का कहना है कि 12 जनवरी 2025 को झांसी में डॉक्टर के पास जाते वक्त रविकांत ने उससे मारपीट की, जिसमें उसकी अंगुली टूट गई। अब इस मामले में थाना यमुनापार पुलिस ने दोनों आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है और जांच शुरू हो गई है।
ये मामला इसलिए भी गंभीर है क्योंकि अपराधी खुद पुलिस का हिस्सा हैं। लोग सवाल उठा रहे हैं कि अगर पुलिसवाले ही ऐसी हरकत करें, तो आम आदमी की सुरक्षा कौन करेगा? सोशल मीडिया पर लोग इस घटना से नाराज़ हैं और कड़ी सजा की मांग कर रहे हैं। कुछ यूजर्स का कहना है कि पुरुष और महिला पुलिस के लिए अलग-अलग चौकियां बनानी चाहिए ताकि ऐसी घटनाएं रोकी जा सकें।
भारतीय कानून के तहत यौन अपराधों में पीड़िता की पहचान गुप्त रखना जरूरी है, जो इस मामले में भी फॉलो किया जा रहा है। 1972 के मथुरा रेप केस के बाद 1983 में कानून में बदलाव हुआ था, जिसमें कस्टोडियल रेप जैसे मामलों में सख्ती लाई गई। लेकिन आज भी ऐसे मामलों में इंसाफ मिलने में देरी होती है, जिससे लोग नाराज़ हैं।
पुलिस ने जांच शुरू कर दी है, लेकिन लोग उम्मीद कर रहे हैं कि इस मामले में जल्दी और सख्त कार्रवाई हो। अगर आरोप सही साबित हुए, तो ये न सिर्फ दोषियों के लिए सबक होगा, बल्कि पुलिस सिस्टम में सुधार की भी मांग को बल देगा। हमारी टीम इस खबर पर नज़र बनाए रखेगी और आपको अपडेट्स देती रहेगी।
कानून और सुरक्षा पर सवाल, क्या कहता है कानून?
ये मामला इसलिए भी गंभीर है क्योंकि अपराधी खुद पुलिस का हिस्सा हैं। लोग सवाल उठा रहे हैं कि अगर पुलिसवाले ही ऐसी हरकत करें, तो आम आदमी की सुरक्षा कौन करेगा? सोशल मीडिया पर लोग इस घटना से नाराज़ हैं और कड़ी सजा की मांग कर रहे हैं। कुछ यूजर्स का कहना है कि पुरुष और महिला पुलिस के लिए अलग-अलग चौकियां बनानी चाहिए ताकि ऐसी घटनाएं रोकी जा सकें।
भारतीय कानून के तहत यौन अपराधों में पीड़िता की पहचान गुप्त रखना जरूरी है, जो इस मामले में भी फॉलो किया जा रहा है। 1972 के मथुरा रेप केस के बाद 1983 में कानून में बदलाव हुआ था, जिसमें कस्टोडियल रेप जैसे मामलों में सख्ती लाई गई। लेकिन आज भी ऐसे मामलों में इंसाफ मिलने में देरी होती है, जिससे लोग नाराज़ हैं।
पुलिस ने जांच शुरू कर दी है, लेकिन लोग उम्मीद कर रहे हैं कि इस मामले में जल्दी और सख्त कार्रवाई हो। अगर आरोप सही साबित हुए, तो ये न सिर्फ दोषियों के लिए सबक होगा, बल्कि पुलिस सिस्टम में सुधार की भी मांग को बल देगा। हमारी टीम इस खबर पर नज़र बनाए रखेगी और आपको अपडेट्स देती रहेगी।
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