8वीं शताब्दी में तोमर वंश के राजा अनंगपाल द्वारा बसाया गया "अनंगपुर" गाँव में गुर्जर समाज पर सरकारी बुलडोजर का कहर
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अनंगपुर गाँव, जो गुर्जर समुदाय का गढ़ माना जाता है, 8वीं शताब्दी में तोमर वंश के राजा अनंगपाल द्वारा बसाया गया था। ग्रामीणों का कहना है कि उनके पूर्वज सैकड़ों सालों से यहाँ रह रहे हैं। उनके पास बिजली कनेक्शन, आधार कार्ड, वोटर कार्ड और परिवार पहचान पत्र जैसे दस्तावेज हैं, फिर भी उनके घरों को अवैध क्यों ठहराया जा रहा है? 65 साल के रामबीर ने आंसुओं भरी आँखों से बताया, "हमारा जन्म यहीं हुआ, हमारे बच्चे यहीं पैदा हुए। अब अचानक हमें बेघर करने की बात हो रही है।"
वन विभाग के अनुसार, अरावली में 6,497 अवैध निर्माण चिह्नित किए गए हैं, जिनमें अनंगपुर, मेवला महाराजपुर, अनखीर और लकड़पुर जैसे गाँव शामिल हैं। अब तक 80 से ज्यादा बड़े फार्म हाउस और 240 अन्य निर्माण तोड़े जा चुके हैं। यह कार्रवाई जुलाई 2025 तक पूरी होनी है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इसकी रिपोर्ट मांगी है।
लेकिन ग्रामीण इस कार्रवाई को अन्यायपूर्ण मानते हैं। 7 जुलाई 2025 को गाँव में एक पंचायत हुई, जिसमें गुर्जर समाज और भारतीय किसान यूनियन ने समर्थन जताया। 13 जुलाई को एक महापंचायत का ऐलान किया गया है, जिसमें देशभर से लोग और नेता शामिल होंगे। ग्रामीणों की मांग है कि सरकार पहले उनके पुनर्वास की व्यवस्था करे और गाँव के लाल डोरा दायरे को बढ़ाए।
कुछ मौकों पर कार्रवाई के दौरान तनाव भी बढ़ा। ग्रामीणों ने पथराव किया, तो पुलिस को हल्का लाठीचार्ज करना पड़ा। सोशल मीडिया पर भी #SaveAnangpur हैशटैग के साथ ग्रामीण अपनी बात उठा रहे हैं। नीचे 👇🏻 देखे चल रहे प्रोटेस्ट की वीडियो 👇🏻
क्या यह कार्रवाई अरावली के पर्यावरण को बचाने के लिए जरूरी है, या यह गाँव की ऐतिहासिक विरासत को मिटाने की साजिश है? यह सवाल हर किसी के मन में है। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार को पहले उनकी बात सुननी चाहिए और कोई ठोस हल निकालना चाहिए।
वन विभाग के अनुसार, अरावली में 6,497 अवैध निर्माण चिह्नित किए गए हैं, जिनमें अनंगपुर, मेवला महाराजपुर, अनखीर और लकड़पुर जैसे गाँव शामिल हैं। अब तक 80 से ज्यादा बड़े फार्म हाउस और 240 अन्य निर्माण तोड़े जा चुके हैं। यह कार्रवाई जुलाई 2025 तक पूरी होनी है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इसकी रिपोर्ट मांगी है।
लेकिन ग्रामीण इस कार्रवाई को अन्यायपूर्ण मानते हैं। 7 जुलाई 2025 को गाँव में एक पंचायत हुई, जिसमें गुर्जर समाज और भारतीय किसान यूनियन ने समर्थन जताया। 13 जुलाई को एक महापंचायत का ऐलान किया गया है, जिसमें देशभर से लोग और नेता शामिल होंगे। ग्रामीणों की मांग है कि सरकार पहले उनके पुनर्वास की व्यवस्था करे और गाँव के लाल डोरा दायरे को बढ़ाए।
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