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गाजा,ग्रेटा थनबर्ग,इजरायल |
नई दिल्ली: आज एक बड़ी खबर ने दुनिया भर का ध्यान खींचा है। मशहूर पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग गाजा के लिए राहत सामग्री लेकर "मेडेलिन" फ्लोटिला के साथ निकली हैं, लेकिन इजरायल के रक्षा मंत्री इसराइल काट्ज ने इस मिशन को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की धमकी दी है। इस घटना ने न सिर्फ गाजा की मानवीय स्थिति को लेकर चिंता बढ़ाई है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी तनाव को हवा दे दी है। आइए जानते हैं कि आखिर पूरा मामला क्या है और इसकी क्या वजहें हो सकती हैं।
ग्रेटा का मानवीय मिशन और इजरायल का विरोध, ग्रेटा का जवाब और अंतरराष्ट्रीय समर्थन
ग्रेटा थनबर्ग, जो अपने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ संघर्ष के लिए जानी जाती हैं, अब एक नई जिम्मेदारी लेते हुए गाजा की मदद के लिए आगे आई हैं। "मेडेलिन" फ्लोटिला में बच्चों के लिए दूध पाउडर, दवाइयां, भोजन और कृत्रिम अंग जैसी जरूरी राहत सामग्री मौजूद है। यह फ्लोटिला गाजा में इजरायल के लंबे समय से चले आ रहे नाकाबंदी को तोड़ने की कोशिश कर रहा है, जहां यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक 90% लोग कुपोषण का शिकार हैं।
लेकिन इजरायल के रक्षा मंत्री इसराइल काट्ज ने इसे गंभीर खतरा बताते हुए कहा, "मैंने सेना को आदेश दिया है कि 'मेडेलिन' फ्लोटिला को गाजा तक पहुंचने से रोका जाए। ग्रेटा और उनके साथियों को साफ कहना चाहता हूं कि वे वापस लौट जाएं, वरना परिणाम भुगतने होंगे।" काट्ज ने ग्रेटा को "विरोधी-यहूदी" (एंटी-सेमिटिक) तक कह डाला, जो कि उनकी मंशा पर सवाल उठा रहा है।
ग्रेटा ने इस धमकी का डटकर जवाब दिया है। उन्होंने कहा, "चुप्पी बनाए रखना इस मिशन से कहीं ज्यादा खतरनाक है। हम गाजा के लोगों की मदद के लिए शांतिपूर्ण तरीके से आगे बढ़ रहे हैं।" उनके साथ फ्रांस की यूरोपीय संसद सदस्य रीमा हसन और जर्मन कार्यकर्ता यासेमिन अकार जैसे नाम शामिल हैं, जो इस मिशन को नैतिक जिम्मेदारी बता रहे हैं।
दिलचस्प बात यह है कि ब्रिटेन और फ्रांस ने इजरायल के इस फ्लोटिला को रोकने के अनुरोध को ठुकरा दिया है। यह फ्लोटिला ब्रिटिश झंडे तले चल रहा है, जिससे इस घटना का कूटनीतिक असर पड़ सकता है।
गाजा में मानवीय संकट और बीते अनुभव, क्या है आगे का रास्ता?
गाजा में पिछले कई महीनों से भुखमरी और दवाइयों की कमी की खबरें आ रही हैं। यूएन की हालिया रिपोर्ट कहती है कि अगर राहत सामग्री नहीं पहुंची तो हालात और खराब हो सकते हैं। इससे पहले 2010 में भी एक इसी तरह के फ्लोटिला "मावी मारमारा" पर इजरायली सेना ने हमला किया था, जिसमें 10 कार्यकर्ताओं की मौत हो गई थी। यह घटना आज भी विवादों में है, और विशेषज्ञों का मानना है कि "मेडेलिन" को रोकने की कोशिश भी हिंसा का कारण बन सकती है।
अभी "मेडेलिन" फ्लोटिला इजरायली पानी की सीमा के करीब पहुंच रहा है। अगर इजरायल इसे रोकता है, तो यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई बहस छेड़ सकता है। ग्रेटा और उनके साथियों का कहना है कि वे शांति के लिए लड़ रहे हैं, लेकिन इजरायल इसे अपनी सुरक्षा का सवाल बता रहा है। इस बीच, दिल्ली से लेकर दुनिया भर के लोग इस घटना पर नजर बनाए हुए हैं।
आप क्या सोचते हैं? क्या ग्रेटा का यह मिशन सफल होगा, या इजरायल की कड़ी नीति भारी पड़ेगी? अपनी राय कमेंट में जरूर बताएं!
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