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GATE 2025,NEET UG 2025 |
मेरठ: उत्तर प्रदेश के छोटे से गाँव भावनपुर में इन दिनों खुशी का माहौल है। गाँव के इजलाल गाड़ा, जो यूपी पुलिस में सब-इंस्पेक्टर हैं, के दोनों बेटों ने अपनी मेहनत और लगन से पढ़ाई कर कमाल कर दिखाया है। बड़े बेटे मोहम्मद उवैश गौर ने हाल ही में GATE 2025 के एंट्रेंस एग्जाम में ऑल इंडिया रैंक (AIR) 199 हासिल कर IIT धनबाद में M.Tech में दाखिला लिया है। वहीं, छोटे बेटे ने NEET UG 2025 में AIR 5741 के साथ शानदार सफलता पाई है। यह उपलब्धि न सिर्फ गाड़ा परिवार, बल्कि पूरे गाँव और समाज के लिए गर्व की बात है।
इजलाल गाड़ा खुद एक मेहनती और किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके लिए दोनों बेटों की इस कामयाबी का मोल अनमोल है। परिवार में जश्न का माहौल है और रिश्तेदारों का घर पर तांता लगा हुआ है। लोग बधाई देने के लिए दूर-दूर से आ रहे हैं। मोहम्मद उवैश की IIT में एडमिशन की खबर ने गाँव के नौजवानों में एक नई उम्मीद जगाई है, जबकि छोटे बेटे की NEET में सफलता ने मेडिकल फील्ड में कदम रखने का सपना देखने वालों को प्रेरित किया है।
गाड़ा परिवार का शिक्षा से गहरा नाता, गाँव की साक्षरता दर में सुधार, प्रेरणा का स्रोत बने दोनों भाई
इजलाल गाड़ा का खानदान शिक्षा के प्रति हमेशा से जागरूक रहा है। इस साल उनके खानदान को 10 ऐसी खुशखबरियां मिली हैं, जिन्होंने गाँव और समाज का नाम रोशन किया। परिवार में एक यूपी पुलिस में दरोगा, एक डेंटिस्ट डॉक्टर, सिप्ला कंपनी में मैनेजर जैसी प्रतिष्ठित पोस्ट पर कामयाबी हासिल हुई है। गाड़ा समाज के लोग पहले से ही आर्मी और यूपी पुलिस में अपनी सेवाएं दे रहे थे, लेकिन साल 2000 के बाद नौजवानों ने IT सेक्टर और अन्य विभागों में भी खूब तरक्की की है।
इस खास मौके पर खानदान के कई सम्मानित लोग बधाई देने इजलाल के घर पहुंचे। इनमें रिटायर्ड बाबू मोहम्मद मुस्तफा गौर, डॉक्टर मनव्वर गौर, इंजीनियर सैफ गौर, इंजीनियर सईदुल जफर, इंजीनियर मुरशिद गौर, नेता नूर मोहम्मद, बैंकर्स सलीम गौर, हुमायु और जैद शामिल थे। गाँव के अन्य लोग भी लगातार घर आकर दोनों भाइयों को शुभकामनाएं दे रहे हैं।
गाँव के लोगों का कहना है कि कुछ साल पहले भावनपुर की साक्षरता दर 90% से घटकर 80% रह गई थी। लेकिन मोहम्मद उवैश और उनके भाई की मेहनत ने गाँव के बच्चों में पढ़ाई के प्रति नया जोश भर दिया है। गाँववाले अब उम्मीद जता रहे हैं कि साक्षरता दर फिर से बढ़ेगी। एक बुजुर्ग ने कहा, "ये दोनों भाई हमारे गाँव के लिए मिसाल हैं। इनकी मेहनत ने साबित कर दिया कि छोटे गाँव से भी बड़े सपने पूरे किए जा सकते हैं।"
मोहम्मद उवैश और उनके छोटे भाई की सफलता की कहानी हर उस नौजवान के लिए प्रेरणा है, जो सीमित संसाधनों में भी बड़े मुकाम हासिल करना चाहता है। सेल्फ स्टडी के दम पर इन दोनों ने साबित कर दिया कि मेहनत और लगन के आगे कोई बाधा नहीं टिक सकती। गाँव के स्कूलों में अब इन भाइयों की कहानी बच्चों को सुनाई जा रही है, ताकि वे भी अपने सपनों को हकीकत में बदल सकें।
यह कहानी सिर्फ एक परिवार या गाँव की नहीं, बल्कि उस हर शख्स की है, जो शिक्षा के दम पर अपनी जिंदगी बदलना चाहता है। भावनपुर गाँव के इन सितारों ने दिखा दिया कि अगर इरादे बुलंद हों, तो आसमान भी छुआ जा सकता है।
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