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दिल्ली, 8 मई 2025 - सोशल मीडिया की दुनिया में एक बार फिर हंगामा मच गया है। मेटा ने भारत में इंस्टाग्राम पर
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नाम के पॉपुलर न्यूज़ पेज को ब्लॉक कर दिया है। ये पेज, जिसके 6.7 मिलियन फॉलोअर्स हैं, मुस्लिम कम्युनिटी की खबरों का बड़ा सोर्स माना जाता है। लेकिन अब भारतीय यूज़र्स को इस पेज पर जाने की कोशिश करने पर सिर्फ एक मैसेज दिखता है: "Account not available in India." आखिर क्या है इस ब्लॉक के पीछे की कहानी? चलिए, दिल्ली की गलियों से लेकर डिजिटल दुनिया तक, इस खबर को डीकोड करते हैं।रिपोर्ट्स की मानें तो मेटा ने ये कदम भारत सरकार के एक लीगल रिक्वेस्ट पर उठाया है।
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पेज को ब्लॉक करने का फैसला तब आया, जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। हाल ही में कश्मीर में हुई हिंसा, जिसमें 43 लोगों की जान गई, ने दोनों देशों के बीच जंग जैसे हालात बना दिए हैं। ऐसे में भारत सरकार ने सोशल मीडिया पर सख्ती शुरू कर दी है। इस ब्लॉक का हिस्सा सिर्फ @Muslim
पेज नहीं है। पाकिस्तानी एक्टर्स जैसे फवाद खान, आतिफ असलम और क्रिकेटर्स जैसे बाबर आज़म, मोहम्मद रिज़वान और इमरान खान के इंस्टाग्राम अकाउंट्स भी भारत में बैन कर दिए गए हैं। लेकिन सवाल ये है कि एक न्यूज़ पेज, जो मुस्लिम कम्युनिटी की खबरें शेयर करता है, उसे क्यों टारगेट किया गया? क्या ये सिर्फ भारत-पाक तनाव का नतीजा है या फिर कुछ और बड़ा गेम चल रहा है?
सेंसरशिप या नेशनल सिक्योरिटी? मेटा का रोल और उसकी चुप्पी
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पेज के फाउंडर अमीर अल-खटाहत्बेह ने इस ब्लॉक को "सेंसरशिप" का नाम दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर दावा किया कि उनके पास भारत के फॉलोअर्स के सैकड़ों मैसेजेस आए हैं, जो इस पेज तक नहीं पहुंच पा रहे। अमीर ने मेटा से इस बैन को हटाने की मांग की है और कहा, "हम सच को सामने लाने और जस्टिस के लिए खड़े हैं।" उनकी बातों से साफ है कि वो इसे फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन पर हमला मानते हैं।वहीं, दूसरी तरफ कुछ लोग सरकार के इस कदम को नेशनल सिक्योरिटी से जोड़कर देख रहे हैं। भारत-पाक तनाव के बीच सोशल मीडिया पर फेक न्यूज़ और भड़काऊ कंटेंट की बाढ़ आ गई है। सरकार का तर्क हो सकता है कि ऐसे पेज या अकाउंट्स, जो संवेदनशील कंटेंट शेयर करते हैं, वो माहौल को और बिगाड़ सकते हैं। लेकिन क्या ये सेंसरशिप की आड़ में फ्री स्पीच को दबाने की कोशिश है? ये सवाल दिल्ली की कॉफी शॉप्स से लेकर ट्विटर की टाइमलाइन तक गूंज रहा है।
मेटा ने इस पूरे मामले पर ज्यादा कुछ नहीं कहा। कंपनी ने सिर्फ इतना बताया कि ये ब्लॉक उनकी कंटेंट रेस्ट्रिक्शन पॉलिसी के तहत किया गया है, जो तब लागू होती है जब कोई सरकार लोकल लॉ के आधार पर कंटेंट हटाने की मांग करती है। लेकिन मेटा की ये चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है। आखिर सरकार ने कौन सा कानून दिखाकर ये रिक्वेस्ट की? और क्या मेटा बिना सवाल उठाए हर सरकारी ऑर्डर मान लेगा?
दिल्ली के टेक एक्सपर्ट्स का कहना है कि मेटा जैसी टेक जायंट्स के लिए भारत एक बड़ा मार्केट है। ऐसे में वो सरकार से पंगा लेने से बचती हैं। लेकिन इस चक्कर में क्या वो यूज़र्स की आवाज़ को दबाने का हिस्सा बन रही हैं? ये डिबेट गर्म है।
भारत-पाक तनाव का डिजिटल असर, क्या कहते हैं दिल्लीवाले?
ये पहली बार नहीं है जब भारत में सोशल मीडिया पर सख्ती हुई हो। पिछले कुछ सालों में कई बार पाकिस्तानी कंटेंट, खासकर यूट्यूब चैनल्स और इंस्टाग्राम अकाउंट्स, को बैन किया गया है। हाल ही में एक दर्जन से ज्यादा पाकिस्तानी यूट्यूब चैनल्स को "भड़काऊ" कंटेंट के लिए ब्लॉक किया गया। लेकिन
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पेज का मामला इसलिए खास है क्योंकि ये डायरेक्टली किसी देश से नहीं जुड़ा, बल्कि ग्लोबल मुस्लिम कम्युनिटी की खबरें शेयर करता है। कश्मीर में हुई ताज़ा हिंसा और भारत-पाक बॉर्डर पर मिसाइल स्ट्राइक्स ने माहौल को और गर्म कर दिया है। ऐसे में सोशल मीडिया पर कंट्रोल सरकार की प्रायोरिटी बन गई है। लेकिन क्या ये कंट्रोल इतना सख्त होना चाहिए कि एक न्यूज़ पेज तक बैन हो जाए?
दिल्ली की सड़कों पर इस खबर को लेकर मिक्स्ड रिएक्शन्स हैं। कॉलेज स्टूडेंट्स और यंग प्रोफेशनल्स इसे फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन पर अटैक बता रहे हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी की स्टूडेंट प्रिया शर्मा ने कहा, "सोशल मीडिया हमारी आवाज़ है। अगर सरकार हर पेज को बैन करने लगेगी, तो हम सच कैसे जानेंगे?" वहीं, कुछ लोग इसे सही ठहरा रहे हैं। कनॉट प्लेस में बिजनेसमैन राजेश गुप्ता का कहना है, "जब देश में टेंशन चल रही हो, तो भड़काऊ कंटेंट रोकना ज़रूरी है।"
आगे क्या? गाड़ा टाइम्स की राय
इस ब्लॉक के बाद अब सबकी नज़र मेटा और भारत सरकार पर है। क्या
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पेज को दोबारा अनब्लॉक किया जाएगा? या फिर ये सेंसरशिप का सिलसिला और बढ़ेगा? इंटरनेशनल लेवल पर भी इस मामले को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत-पाक तनाव को कम करने की पेशकश की है, लेकिन सोशल मीडिया सेंसरशिप पर उनकी कोई टिप्पणी नहीं आई।दिल्ली की डिजिटल दुनिया में ये खबर ट्रेंड कर रही है। सोशल मीडिया यूज़र्स #UnblockMuslim और #StopCensorship जैसे हैशटैग्स के साथ अपनी बात रख रहे हैं। लेकिन सवाल वही है - क्या सच को ब्लॉक किया जा सकता है?
हमारा मानना है कि सोशल मीडिया आज की दुनिया में सच का आईना है। लेकिन नेशनल सिक्योरिटी और फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन के बीच बैलेंस बनाना ज़रूरी है। सरकार को चाहिए कि वो ट्रांसपेरेंट तरीके से बताए कि
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पेज को क्यों बैन किया गया। और मेटा को भी अपनी ज़िम्मेदारी समझनी होगी। आखिर, 6.7 मिलियन फॉलोअर्स की आवाज़ को यूं चुप नहीं किया जा सकता। आप क्या सोचते हैं? नीचे कमेंट में अपनी राय ज़रूर शेयर करें और इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम और ट्विटर पर शेयर करें। देश विदेश की हर ताज़ा खबर के लिए बने रहें www.gadatimes.com के साथ!
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