"फ्रांस की मस्जिद में खौफनाक वारदात: नमाज़ सीखने आए शख्स ने मस्जिद मे काम करने मालियन अबूबकर सिसे की नमाज़ की नियत जोड़ते ही की गला काटकर की हत्या
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फ्रांस,अबूबकर सिसे, खदीजा |
ला ग्रांड-कॉम्ब, फ्रांस: भाई लोग, एक बहुत दुख भरी खबर फ्रांस से आई है, जो दिल को झकझोर देगी। 25 अप्रैल, 2025 को फ्रांस के एक छोटे से गांव ला ग्रांड-कॉम्ब में खदीजा मस्जिद में 22 साल का मालियन भाई अबूबकर सिसे साफ-सफाई कर रहा था। तभी एक लड़का उसके पास आया, बोला कि भाई नमाज़ सिखा दो। लेकिन उसने अबूबकर पर चाकू से हमला कर दिया और उसकी जान ले ली। ये सारी वारदात का वीडियो उसने खुद बनाया और सोशल मीडिया पर डाल दिया। उसने तो ये भी कहा कि वो ऐसा फिर करेगा।
अल्स शहर के सरकारी वकील अब्देलकरीम ग्रिनी ने बताया कि हमलावर का नाम ओलिवर ए. है, 21 साल का फ्रांसीसी लड़का, जो ल्योन का रहने वाला है। उसने 27 अप्रैल को इटली में पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया। इटली पुलिस ने उसे ओलिवर हाज़ोविक बोला, लेकिन फ्रांसीसी लोग उसे ओलिवर ए. कह रहे हैं। उसका वकील जियोवानी साल्विएटी बोला कि उसका इस्लाम या मस्जिद से कोई गुस्सा नहीं था, बस जो सामने दिखा, उसे मार दिया। लेकिन भाई, ये बात तो किसी के गले नहीं उतर रही। सबको लग रहा है कि ये नफरत की वजह से हुआ।
इस्लाम से नफरत और न्यूज़ वालों की चुप्पी
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@One_Dawah
ने ये पोस्ट डाली और बोला कि ये सब इस्लाम से नफरत की वजह से हुआ। उसने लिखा कि अगर यही बात उलटी होती—कोई मुस्लिम भाई किसी ईसाई को मार देता—तो सारी दुनिया में हंगामा हो जाता। लेकिन इस खबर को बड़े न्यूज़ चैनल वालों ने ढंग से दिखाया तक नहीं। पोस्ट में दुआ की गई कि अल्लाह अबूबकर भाई को शहीद का दर्जा दे और जन्नत में जगह दे।फ्रांस के मुस्लिम लीडर भड़क गए हैं। नीम्स की मस्जिद के रेक्टर अब्दallah ज़ेकरी ने कहा, "फ्रांस में मुसलमानों के खिलाफ नफरत बहुत बढ़ गई है, इसे रोकना होगा।" अबूबकर के परिवार के वकील मौराद बत्तीख ने भी बोला कि ये बहुत शॉकिंग है कि आतंकवाद के खिलाफ वाले सरकारी दफ्तर ने इस केस को नहीं लिया।
ला ग्रांड-कॉम्ब में रविवार को 1,000 से ज़्यादा लोग अबूबकर की याद में चुपचाप मार्च निकालने सड़कों पर उतरे। मार्च मस्जिद से शुरू होकर टाउन हॉल तक गया। पेरिस में भी सैकड़ों लोग इस्लाम से नफरत के खिलाफ प्रोटेस्ट करने निकले। अबूबकर के भाई ने पेरिस में 27 अप्रैल को एक रैली में कहा, "हमारे लिए तो अबूबकर एक आतंकी हमले का शिकार है।"
इंटरनेट की नफरत और असल ज़िंदगी में मार-धाड़
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इंटरनेट की नफरत और असल ज़िंदगी |
2024 में एक रिसर्च पेपर में गैब्रियल अहमनीदीन ने बताया कि इंटरनेट पर जो इस्लाम के खिलाफ नफरत फैलाई जाती है, वो असल ज़िंदगी में इस तरह की हिंसा को बढ़ावा देती है। उसने ऑस्ट्रेलिया के "स्टॉप मॉस्क बेंडिगो" पेज का ज़िक्र किया, जहां आतंकी हमलों के बाद लोग इस्लाम के खिलाफ भड़कते हैं। ये घटना भी तो ऐसा ही कुछ बता रही है।
ये हादसा सिर्फ एक परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे मुस्लिम और फ्रांस की एकता के लिए भी बड़ा सवाल है। आखिर कब तक इस तरह की नफरत चलती रहेगी? कब तक लोग चुप रहेंगे? अब वक्त है कि इस नफरत को रोकने के लिए कुछ सख्त कदम उठाए जाएं।
देखे वायरल वीडियो जिसमे कत्ल किया गया
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