लखनऊ: प्यार की चकाचौंध में अक्सर इंसान अपनी जड़ों को भूल जाता है, और यही हुआ लखनऊ की अर्शी चौधरी के साथ। जानकीपुरम की रहने वाली अर्शी, जिनके पिता शहजाद चौधरी और मां हमीदा बानो हैं, एक आम मुस्लिम लड़की थीं। लेकिन प्यार ने उनकी जिंदगी को ऐसा मोड़ दिया कि आज वो न अपने समाज की रहीं, न किसी और की।
22 साल की उम्र में अर्शी की मुलाकात शिवम शुक्ला नाम के एक हिंदू लड़के से हुई। शिवम के प्यार में अंधी अर्शी ने न सिर्फ अपना इस्लाम धर्म छोड़ा, बल्कि 19 नवंबर 2019 को आर्य समाज मंदिर में उससे शादी भी कर ली। नाम बदलकर 'अर्शी आर्य' बन गईं। शिवम ने वादा किया था कि धर्म परिवर्तन के बाद उसका परिवार अर्शी को अपनाएगा और उनकी जिंदगी खुशहाल होगी। अर्शी ने पूजा-पाठ से लेकर पहनावे तक सब कुछ बदल लिया। सात साल तक वो शिवम के साथ रही, लेकिन आखिर में शिवम ने उसे छोड़ दिया।
आज अर्शी का कहना है कि शिवम ने उसका तन-मन तोड़ दिया। उसे मोटी और भद्दी कहकर अपमानित किया और अब वो नई सुंदर लड़कियों की तलाश में है। अर्शी अब न मुस्लिम समाज में स्वीकार की जाती हैं, न हिंदू समाज में। मुस्लिम समाज कहता है कि उसने गलत किया, और हिंदू समाज उसे अपना मानने को तैयार नहीं। अकेलेपन और पछतावे में डूबी अर्शी की कहानी हर उस लड़की के लिए एक सबक है, जो प्यार के नाम पर अपनी पहचान और धर्म को दांव पर लगाती है।
भारत की बेटियों के लिए पैगाम, क्या कहता है समाज? देखे एक पीड़ित का वीडियो
अर्शी की कहानी भारत की बेटियों के लिए एक चेतावनी है। प्यार में पड़ना गलत नहीं, लेकिन जो शख्स आपसे आपकी पहचान, आपका दीन छोड़ने को कहे, वो सच्चा प्यार नहीं हो सकता। सभी धर्मो में इज्जत, तहजीब और मोहब्बत का खूबसूरत संगम है। धर्म छोड़कर न तो खुशी मिलती है, न इज्जत। अर्शी की तरह न जाने कितनी बेटियां धोखे का शिकार बन चुकी हैं। अब वक्त है जागने का, अपनी पहचान को संभालने का।
लखनऊ के जानकीपुरम इलाके में इस घटना ने कई सवाल खड़े किए हैं। लोग कहते हैं कि प्यार में अंधा विश्वास अक्सर जिंदगी भर की मुसीबत बन जाता है। धर्म परिवर्तन के नाम पर बने रिश्ते अक्सर छलावे में बदल जाते हैं। स्थानीय निवासी रेहाना बेगम कहती हैं, "हमारी बेटियों को समझना होगा कि सच्चा प्यार वो है, जो आपको आपकी असलियत के साथ अपनाए।"
अर्शी की कहानी हमें सिखाती है कि किसी रिश्ते में कदम रखने से पहले अच्छे से सोच-विचार कर लें। अपने परिवार, समाज और सबसे जरूरी अपनी पहचान को कभी न छोड़ें। जो इंसान आपसे आपका धर्म बदलने की शर्त रखे, वो आपकी इज्जत और मोहब्बत का हकदार नहीं हो सकता।
इस पूरे मामले में जहां कुछ लोग इसे 'भगवा लव ट्रैप' जैसे धार्मिक रंग देकर विवाद को हवा दे रहे हैं, वहीं कई जानकार मानते हैं कि प्रेम और शादी जैसे व्यक्तिगत फैसलों को धर्म से जोड़ना गलत सोच को बढ़ावा देता है। प्रेम कोई धोखा नहीं है, और इसे धार्मिक चश्मे से देखना समाज में नफरत और तनाव को ही जन्म देता है। ऐसे मामले न केवल हिंदू-मुस्लिम समुदायों के बीच, बल्कि हर धर्म और समुदाय में देखने को मिलते हैं। यह जरूरी है कि सोफिया और सनी जैसे जोड़ों की निजी जिंदगी को सम्मान दिया जाए और इसे सामाजिक सद्भाव के नजरिए से देखा जाए, न कि धार्मिक साजिश के तौर पर।
हमारे साथ कनेक्ट रहो यार!
लेटेस्ट खबरें, मस्त जानकारी और खास कंटेंट के लिए हमें सोशल मीडिया पे फॉलो करो।
[Facebook](https://www.facebook.com/share/1AuGE2RmbD/)
[WhatsApp Group](https://whatsapp.com/channel/0029VbA4CiA0rGiUIvob7J3C)
पे हमारी गैंग जॉइन करो और तुरंत अपडेट्स के साथ मज़ेदार बातचीत का हिस्सा बनो!
Comments
Post a Comment