"बत्ती गुल प्रोटेस्ट को लेकर मेरठ से आया हैरान करने वाला मामला, वक्फ बिल की दीवानगी में खो दी अपनी सरकारी नौकरी"
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मेरठ न्यूज़, वक्फ कानून, बिजली |
मेरठ: उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में वक्फ (अमेंडमेंट) बिल 2024 के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन ने उस समय एक नया मोड़ ले लिया, जब एक बिजलीघर कर्मचारी ने अपनी ड्यूटी को भूलकर पूरे इलाके की बिजली ही काट दी। यह घटना 1 मई 2025 की रात को हुई, जब कई मुस्लिम संगठनों ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के आह्वान पर 15 मिनट के लिए 'लाइट्स ऑफ' विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया था। लेकिन मेरठ के बिजलीघर कर्मचारी रियाजुद्दीन ने इस आह्वान को कुछ ज्यादा ही गंभीरता से ले लिया और पूरे क्षेत्र की बिजली आपूर्ति ठप कर दी।
AIMPLB ने वक्फ कानून में हाल ही में किए गए संशोधनों के खिलाफ देशव्यापी 'बत्ती गुल' अभियान शुरू किया था। इस अभियान के तहत लोगों से अपील की गई थी कि वे 1 मई की रात 9 बजे से 15 मिनट के लिए अपने घरों की लाइटें बंद रखें, ताकि सरकार के इस कदम का प्रतीकात्मक विरोध दर्ज किया जा सके। लेकिन रियाजुद्दीन ने इस निर्देश को गलत समझा और उसने अपने अधिकार का दुरुपयोग करते हुए मेरठ के एक बड़े हिस्से की बिजली काट दी। इस कदम से न सिर्फ आम लोगों को परेशानी हुई, बल्कि अस्पतालों और उद्योगों को भी गंभीर खतरे का सामना करना पड़ सकता था।
स्थानीय लोगों ने इस घटना की शिकायत की, जिसके बाद मामला तेजी से उच्च स्तर तक पहुंचा। सूत्रों के अनुसार, यह मामला राज्य के ऊर्जा मंत्री तक पहुंच गया। जांच के बाद रियाजुद्दीन को अपनी इस गैर-जिम्मेदाराना हरकत के लिए तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया गया। एक स्थानीय निवासी ने बताया, "रात को अचानक बिजली चली गई, हमें लगा कि कोई तकनीकी खराबी है। लेकिन जब पता चला कि यह एक कर्मचारी की हरकत थी, तो हम हैरान रह गए।"
वक्फ कानून को लेकर चल रहा विवाद पिछले कुछ महीनों से गरमाया हुआ है। AIMPLB और अन्य मुस्लिम संगठनों का कहना है कि यह कानून मुस्लिम समुदाय के अधिकारों को कमजोर करता है और संविधान के खिलाफ है। वहीं, सरकार का दावा है कि इस संशोधन से वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन होगा और इससे हाशिए पर रहने वाले समुदायों को फायदा पहुंचेगा। इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई होनी है, जिसकी तारीख 5 मई 2025 निर्धारित की गई है।
रियाजुद्दीन की इस हरकत ने सोशल मीडिया पर भी खूब चर्चा बटोरी। कुछ लोगों ने इसे मजाकिया अंदाज में लिया, तो कुछ ने इसकी कड़ी निंदा की। एक यूजर ने लिखा, "यह पागलपन है। बोर्ड ने सिर्फ लाइट्स ऑफ करने को कहा था, बिजली काटने को नहीं।" वहीं, एक अन्य यूजर ने कहा, "रियाजुद्दीन ने गलत किया। उसे सिर्फ अपने घर की जिम्मेदारी लेनी थी, पूरे इलाके की नहीं।"
यह घटना एक बार फिर यह सवाल खड़ा करती है कि विरोध प्रदर्शन के नाम पर क्या इस तरह की हरकतें जायज हैं? मेरठ में हुई इस घटना ने न सिर्फ प्रशासन को सतर्क कर दिया है, बल्कि आम लोगों में भी एक बहस छेड़ दी है।
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