सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: सहारनपुर जियाउर रहमान हत्याकांड को बताया ऑनर किलिंग, पुलिस की कार्रवाई पर सवाल
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ऑनर किलिंग, सुप्रीम कोर्ट, सहारनपुर |
सहारनपुर: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में 2 नवंबर 2022 को हुई जिया-उर रहमान की हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने इस मामले को गैर इरादतन हत्या नहीं, बल्कि ऑनर किलिंग करार देते हुए इसे हत्या का मामला माना है। इस फैसले के बाद पुलिस की कार्रवाई पर भी सवाल खड़े हो गए हैं, क्योंकि शुरुआत में पुलिस ने इस मामले को हल्के में लेते हुए गैर इरादतन हत्या की धारा में FIR दर्ज की थी।
जिया-उर रहमान अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने उसके घर गए थे। वहां लड़की के परिवार वालों ने उनकी बेरहमी से पिटाई कर दी, जिसके बाद उनकी मौत हो गई। इस मामले में पुलिस ने जनेश्वर, मनेश्वर सैनी, प्रियांशु और शिवम के खिलाफ गैर इरादतन हत्या की धारा (IPC 304) के तहत FIR दर्ज की थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि यह मामला मामूली झगड़े या मारपीट का नहीं है, बल्कि ऑनर किलिंग का एक गंभीर मामला है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि इस मामले में अब हत्या की धारा (IPC 302) के तहत मुकदमा चलाया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, "यह मामला ऑनर किलिंग का है। इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता। परिवार की तथाकथित इज्जत के नाम पर किसी की जान लेना पूरी तरह से गैरकानूनी है।" कोर्ट का यह फैसला उन तमाम पीड़ित परिवारों के लिए एक उम्मीद की किरण बनकर आया है, जो ऑनर किलिंग जैसे जघन्य अपराधों के खिलाफ इंसाफ की लड़ाई लड़ रहे हैं।
पुलिस की भूमिका पर सवाल
इस मामले में पुलिस की भूमिका शुरू से ही सवालों के घेरे में रही है। कई लोगों का मानना है कि पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया और शुरुआत में इसे हल्की धाराओं में दर्ज करके आरोपियों को बचाने की कोशिश की। सोशल मीडिया पर भी इस फैसले के बाद पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, "जहां-जहां भाजपा की सरकार है, वहां पुलिस हिंदू आतंकवादियों को बचाने का काम करती है। अगर सामने वाला मुस्लिम है, तो पुलिस एक तरफा कार्रवाई करती है।" वहीं, एक अन्य यूजर ने कहा, "गैर इरादतन हत्या का मुकदमा लिखने वाले पुलिस अफसर को भी दोषी बनाया जाना चाहिए।"
ऑनर किलिंग: एक सामाजिक कलंक
ऑनर किलिंग का यह मामला एक बार फिर समाज में गहरे बैठे रूढ़िगत विचारों को उजागर करता है। भारत में हर साल सैकड़ों ऑनर किलिंग के मामले सामने आते हैं, जहां परिवार वाले अपनी तथाकथित इज्जत के नाम पर अपनों की जान ले लेते हैं। खासकर अंतरजातीय या अंतरधार्मिक विवाह के मामलों में ऐसी घटनाएं ज्यादा देखने को मिलती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी कई बार ऑनर किलिंग को लेकर सख्त रुख अपनाया है और इसे "रेयरेस्ट ऑफ रेयर" श्रेणी में रखते हुए कड़ी सजा की वकालत की है।
समाज में बदलाव की जरूरत
इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर कब तक लोग इज्जत के नाम पर खून बहाते रहेंगे? एक सोशल मीडिया यूजर ने लिखा, "जान से मारने की क्या जरूरत थी? हाथ-पांव तोड़कर छोड़ देते। जान लेने का अधिकार किसी को नहीं है। दस मिनट का गुस्सा जिंदगी खराब करने के लिए काफी है।" यह बात सही है कि गुस्से पर काबू पाने वाले लोग ही सबसे ताकतवर होते हैं। लेकिन हमारे समाज में अभी भी ऐसी सोच की कमी है।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला न सिर्फ जिया-उर रहमान के परिवार को इंसाफ दिलाने की दिशा में एक कदम है, बल्कि उन तमाम लोगों के लिए भी एक संदेश है जो ऑनर किलिंग को जायज ठहराते हैं। अब जरूरत है कि पुलिस और प्रशासन भी इस तरह के मामलों को गंभीरता से लें और समय रहते कार्रवाई करें, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
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