ईद की नमाज के बाद सहारनपुर में फिलिस्तीन झंडे का हंगामा, पुलिस कर रही जांच - क्या नेता इमरान मसूद पुलिस को पढ़ाएंगे संविधान?"
सहारनपुर, 1 अप्रैल 2025: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में ईद-उल-फितर की नमाज के बाद एक नया विवाद सामने आया है। अंबाला रोड स्थित ईदगाह में नमाज अदा करने के बाद कुछ युवकों ने फिलिस्तीन का झंडा लहराया और घंटाघर पर नारेबाजी की। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पुलिस ने तुरंत एक्शन लिया। ताजा अपडेट के मुताबिक, पुलिस ने इस मामले में 60 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है, जिसमें से 5 नामजद आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। यह कार्रवाई सिटी कोतवाली थाने में दर्ज की गई है।
ईद का त्योहार पूरे देश में खुशी और भाईचारे के साथ मनाया गया। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस मौके पर लोगों को शुभकामनाएं दीं। लेकिन सहारनपुर में हुई इस घटना ने पर्व की शांति को कुछ देर के लिए भंग कर दिया। वायरल वीडियो में दिख रहा है कि नमाज के बाद कुछ युवक फिलिस्तीन का झंडा लेकर सड़कों पर निकले और घंटाघर पर पहुंचकर नारे लगाए। कुछ लोगों के हाथों में काली पट्टियां भी देखी गईं, जिन्हें वक्फ बिल के विरोध से जोड़ा जा रहा है।
सहारनपुर के एसपी सिटी व्योम बिंदल ने बताया, "सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो के आधार पर हमने तुरंत संज्ञान लिया। इस मामले में 60 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है, जिसमें 8 नामजद और 52 अज्ञात हैं। अब तक 5 नामजद आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। सीसीटीवी फुटेज और अन्य सबूतों के आधार पर बाकी आरोपियों की पहचान की जा रही है।" पुलिस का कहना है कि घंटाघर पर जाम लगाने और नारेबाजी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
स्थानीय लोगों में इस घटना को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया है। एक निवासी, शाहिद अहमद, ने कहा, "ईद का मौका खुशियां बांटने का होता है, लेकिन कुछ लोगों ने इसे गलत दिशा में ले जाकर माहौल खराब करने की कोशिश की। पुलिस को ऐसे लोगों पर काबू पाना चाहिए।" वहीं, कुछ का मानना है कि यह फिलिस्तीन के प्रति भावनात्मक समर्थन का प्रदर्शन था, जिसे गलत समझा जा रहा है।
इस घटना के बाद सहारनपुर के सांसद और कांग्रेस नेता इमरान मसूद के शामिल होने की चर्चाएं भी तेज हो गई हैं। सूत्रों के मुताबिक, इमरान मसूद इस मामले में पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठा सकते हैं और इसे संवैधानिक अधिकारों का मुद्दा बना सकते हैं। हालांकि, अभी तक उनका कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। सवाल यह है कि क्या वे पुलिस को संविधान का पाठ पढ़ाने की कोशिश करेंगे या मामले को शांत करने में मदद करेंगे?
सोशल मीडिया पर यह घटना दो धड़ों में बंट गई है। एक पक्ष इसे अभिव्यक्ति की आजादी का हिस्सा मान रहा है, तो दूसरा इसे देश की एकता के खिलाफ कदम बता रहा है। एक यूजर ने लिखा, "फिलिस्तीन का समर्थन करना गलत नहीं, लेकिन इसे सही तरीके से करना चाहिए।" वहीं, दूसरे ने तंज कसा, "ईद की नमाज के बाद यह सब करना शांति का संदेश कैसे देता है?"
ईद का त्योहार पूरे देश में खुशी और भाईचारे के साथ मनाया गया। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस मौके पर लोगों को शुभकामनाएं दीं। लेकिन सहारनपुर में हुई इस घटना ने पर्व की शांति को कुछ देर के लिए भंग कर दिया। वायरल वीडियो में दिख रहा है कि नमाज के बाद कुछ युवक फिलिस्तीन का झंडा लेकर सड़कों पर निकले और घंटाघर पर पहुंचकर नारे लगाए। कुछ लोगों के हाथों में काली पट्टियां भी देखी गईं, जिन्हें वक्फ बिल के विरोध से जोड़ा जा रहा है।
सहारनपुर के एसपी सिटी व्योम बिंदल ने बताया, "सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो के आधार पर हमने तुरंत संज्ञान लिया। इस मामले में 60 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है, जिसमें 8 नामजद और 52 अज्ञात हैं। अब तक 5 नामजद आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। सीसीटीवी फुटेज और अन्य सबूतों के आधार पर बाकी आरोपियों की पहचान की जा रही है।" पुलिस का कहना है कि घंटाघर पर जाम लगाने और नारेबाजी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
स्थानीय लोगों में इस घटना को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया है। एक निवासी, शाहिद अहमद, ने कहा, "ईद का मौका खुशियां बांटने का होता है, लेकिन कुछ लोगों ने इसे गलत दिशा में ले जाकर माहौल खराब करने की कोशिश की। पुलिस को ऐसे लोगों पर काबू पाना चाहिए।" वहीं, कुछ का मानना है कि यह फिलिस्तीन के प्रति भावनात्मक समर्थन का प्रदर्शन था, जिसे गलत समझा जा रहा है।
इस घटना के बाद सहारनपुर के सांसद और कांग्रेस नेता इमरान मसूद के शामिल होने की चर्चाएं भी तेज हो गई हैं। सूत्रों के मुताबिक, इमरान मसूद इस मामले में पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठा सकते हैं और इसे संवैधानिक अधिकारों का मुद्दा बना सकते हैं। हालांकि, अभी तक उनका कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। सवाल यह है कि क्या वे पुलिस को संविधान का पाठ पढ़ाने की कोशिश करेंगे या मामले को शांत करने में मदद करेंगे?
सोशल मीडिया पर यह घटना दो धड़ों में बंट गई है। एक पक्ष इसे अभिव्यक्ति की आजादी का हिस्सा मान रहा है, तो दूसरा इसे देश की एकता के खिलाफ कदम बता रहा है। एक यूजर ने लिखा, "फिलिस्तीन का समर्थन करना गलत नहीं, लेकिन इसे सही तरीके से करना चाहिए।" वहीं, दूसरे ने तंज कसा, "ईद की नमाज के बाद यह सब करना शांति का संदेश कैसे देता है?"
पुलिस ने इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी है और संवेदनशील क्षेत्रों में अतिरिक्त फोर्स तैनात की गई है। जांच के बाद यह साफ होगा कि इस घटना के पीछे मंशा क्या थी। सहारनपुर में पहले भी ऐसी घटनाएं विवाद का कारण बन चुकी हैं, जिसके चलते प्रशासन अब कोई ढील नहीं बरतना चाहता। इस मामले ने एक बार फिर धार्मिक आयोजनों को राजनीतिक संदेशों से जोड़ने की बहस को हवा दे दी है। आने वाले दिनों में इसकी जांच और कार्रवाई पर सबकी नजर रहेगी।
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