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फिलिस्तीन,इजरायल,अल-अक्सा मस्जिद |
जेरूसलम: 2 अप्रैल 2025 को एक विवादास्पद घटना ने इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष को और गहरा कर दिया है। इजरायल के कट्टर दक्षिणपंथी मंत्री इतामार बेन-ग्विर ने पूर्वी जेरूसलम में स्थित अल-अक्सा मस्जिद के प्रांगण में तालमुदिक रस्में अदा कीं, जिससे क्षेत्र में तनाव और बढ़ गया है। अल-अक्सा मस्जिद इस्लाम की तीसरी सबसे पवित्र जगह है, जबकि यह यहूदियों के लिए भी सबसे पवित्र स्थल है, जिसे वे टेम्पल माउंट कहते हैं। इस घटना ने न केवल फिलिस्तीनियों बल्कि मुस्लिम देशों और पश्चिमी शक्तियों की ओर से भी तीखी प्रतिक्रिया को जन्म दिया है।
इतामार बेन-ग्विर, जो इजरायल की ओत्ज़्मा येहुदित पार्टी के नेता हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री के पद पर हैं, लंबे समय से अपने अरब-विरोधी बयानों और कट्टर यहूदी विचारधारा के लिए जाने जाते हैं। उनकी पार्टी को काहनवादी विचारधारा का समर्थक माना जाता है, जो इजरायल में अरबों के खिलाफ सख्त नीतियों की वकालत करती है। बेन-ग्विर ने अल-अक्सा मस्जिद में यहूदी प्रार्थना पर लगे लंबे समय के प्रतिबंध को तोड़ते हुए यह रस्में अदा कीं। इस दौरान उन्होंने गाजा में हमास को "हराने" की कसम भी खाई, जिससे इस घटना का राजनीतिक महत्व और बढ़ गया।
अल-अक्सा मस्जिद का प्रबंधन जेरूसलम वक्फ के पास है, जो फिलिस्तीनी प्राधिकरण के अधीन काम करता है। यह जगह इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष का एक प्रमुख केंद्र रही है। 1967 के अरब-इजरायल युद्ध के बाद से इजरायल ने पूर्वी जेरूसलम पर कब्जा कर रखा है, लेकिन इस क्षेत्र में यहूदी प्रार्थना पर रोक लगी हुई थी ताकि धार्मिक तनाव को कम किया जा सके। हालांकि, हाल के वर्षों में इजरायली सुरक्षा बलों की मौजूदगी और यहूदी बसने वालों के दौरे बढ़े हैं, जिसे फिलिस्तीनी "यहूदीकरण" की कोशिश के रूप में देखते हैं।
इस घटना की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गई हैं, जिसमें बेन-ग्विर को कुछ अन्य लोगों के साथ रस्में करते देखा जा सकता है। तस्वीर में पत्थरों और पेड़ों से घिरा एक खुला प्रांगण दिखाई देता है, जो अल-अक्सा मस्जिद का हिस्सा है। इस घटना के बाद कई मुस्लिम देशों ने इसकी निंदा की है और इसे धार्मिक भावनाओं का अपमान बताया है। पश्चिमी देशों ने भी इस कदम को गैर-जिम्मेदाराना करार देते हुए क्षेत्र में शांति भंग करने वाला कदम बताया है।
फिलिस्तीनी नागरिकों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं उनके धार्मिक अधिकारों पर हमला हैं। एक स्थानीय निवासी, अहमद ने कहा, "यह हमारी पवित्र जगह है। इजरायल बार-बार हमारी भावनाओं को ठेस पहुंचाने की कोशिश करता है। हमें अपनी मस्जिद में शांति से इबादत करने का हक है।" वहीं, कुछ इजरायली समूहों ने बेन-ग्विर के इस कदम का समर्थन किया है, उनका कहना है कि यह यहूदियों के अपने पवित्र स्थल पर अधिकार को दर्शाता है।
यह घटना ऐसे समय में हुई है जब गाजा में इजरायल और हमास के बीच तनाव चरम पर है। बेन-ग्विर का यह कदम न केवल धार्मिक बल्कि राजनीतिक रूप से भी संवेदनशील माना जा रहा है। जानकारों का मानना है कि इससे क्षेत्र में हिंसा और अशांति बढ़ सकती है।
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