ईद मिलन समारोह से दिक्कत और मुसलमानों के यहाँ मुर्गा और बकरा खाने जाते हो, हराम का जब दिक्कत नहीं होती, सालों कुत्तों : इशू भड़ाना
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मेरठ, चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी, ईद मिलन |
क्या है पूरा मामला? CCSU के उर्दू विभाग में हर साल 7 अप्रैल को ईद मिलन समारोह का आयोजन होता था, जो पिछले 22 सालों से एक परंपरा बन चुका था। इस बार भी इस समारोह की तैयारियां जोर-शोर से चल रही थीं। यूनिवर्सिटी की कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला मुख्य अतिथि थीं, और सैकड़ों लोगों को निमंत्रण भेजा गया था। लेकिन आयोजन से तीन दिन पहले गुज्जर समाज के ही एक कथित छात्र नेता विनीत गुज्जर चपराना ने इसका विरोध कर दिया। विनीत ने सोशल मीडिया पर धमकी दी कि अगर यह समारोह हुआ तो वह आयोजन स्थल पर जाकर हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे। इस धमकी के बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने दबाव में आकर समारोह रद्द कर दिया।
इशू भड़ाना ने दिखाई हिम्मत, जीता मुस्लिमों का दिल विनीत चपराना की इस हरकत से गुज्जर समाज के ही एक अन्य CCSU छात्र इशू भड़ाना भड़क उठे। इशू ने विनीत को आड़े हाथों लेते हुए कहा, "ईद मिलन समारोह से दिक्कत और मुसलमानों के यहाँ मुर्गा और बकरा खाने जाते हो, हराम का जब दिक्कत नहीं होती, सालों कुत्तों, एक तरफ तो रहो। ये देश सबका है, ना हिंदू बुरा, ना मुसलमान बुरा। जो बात करे जाति और धर्म की, वो बुरा।" इशू ने हिंदू-मुस्लिम भाईचारे पर जोर देते हुए साफ कर दिया कि धर्म के नाम पर नफरत फैलाने वालों को समाज में कोई जगह नहीं होनी चाहिए।
इशू भड़ाना की यह बात न सिर्फ गुज्जर समाज में चर्चा का विषय बन गई, बल्कि मुस्लिम समुदाय के बीच भी उनकी खूब तारीफ हो रही है। सोशल मीडिया पर लोग इशू को एक सच्चा हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक बता रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, "इशू भाई ने साबित कर दिया कि असली गुज्जर वही है, जो सबको साथ लेकर चले। मुस्लिम भाइयों का दिल जीत लिया आपने।"
गुज्जर समाज से ही मिला समर्थन इशू भड़ाना अकेले नहीं थे। गुज्जर समाज के ही राहुल खटाना पहलवान ने भी इस मामले में अपनी राय रखी। राहुल ने फेसबुक पर पोस्ट करते हुए लिखा, "CCSU में ईद मिलन समारोह होना चाहिए।" राहुल की इस पोस्ट ने भी साफ कर दिया कि गुज्जर समाज का एक बड़ा तबका विनीत चपराना की हरकत से सहमत नहीं है और हिंदू-मुस्लिम एकता के पक्ष में है।
यूनिवर्सिटी की सोच पर सवाल यह घटना CCSU प्रशासन की सोच पर भी सवाल खड़े करती है। NAAC++ का दर्जा पाने वाली इस यूनिवर्सिटी ने एक छात्र की धमकी के आगे घुटने टेक दिए, जबकि उर्दू विभाग ने कुछ दिन पहले होली मिलन समारोह भी मनाया था, जिसका विनीत ने कोई विरोध नहीं किया। क्या यह धार्मिक भेदभाव नहीं है? इशू भड़ाना जैसे युवाओं की बातें इस बात की गवाही देती हैं कि समाज में अभी भी ऐसे लोग हैं, जो धर्म से ऊपर उठकर इंसानियत को तवज्जो देते हैं।
इशू भड़ाना: एक नई मिसाल इशू भड़ाना ने न सिर्फ विनीत चपराना को आईना दिखाया, बल्कि यह भी साबित कर दिया कि असली ताकत नफरत फैलाने में नहीं, बल्कि प्यार और भाईचारे को बढ़ावा देने में है। मुस्लिम समुदाय के बीच उनकी बातों ने एक नई उम्मीद जगाई है। आजादी के दौर में मेरठ की मशहूर तवायफ गुलाबजान कश्मीरी ने संकीर्ण सोच के खिलाफ लिखा था- "रकवा तुम्हारे खेतों का मीलों हुआ तो क्या, रकवा तुम्हारे दिल का दो इंच भी नहीं।" इशू भड़ाना ने साबित कर दिया कि उनका दिल न सिर्फ दो इंच से बड़ा है, बल्कि उसमें हर धर्म और समुदाय के लिए जगह है।
आगे क्या? यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमारी शिक्षण संस्थाएं वाकई सभी धर्मों को बराबर सम्मान दे पा रही हैं? इशू भड़ाना जैसे युवाओं से हमें सीख लेने की जरूरत है, जो धर्म की दीवारों को तोड़कर एकता की बात करते हैं। CCSU को भी इस घटना से सबक लेना चाहिए और भविष्य में ऐसे आयोजनों को बिना डर के आयोजित करने की हिम्मत दिखानी चाहिए।
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