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प्रधानमंत्री मोदी और ईरान सुप्रीम लीडर |
तेहरान, 26 अप्रैल 2025: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच, ईरान ने एक अनोखे और सांस्कृतिक अंदाज में मध्यस्थता की पेशकश की है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले, जिसमें 26 पर्यटकों की जान चली गई, ने दोनों पड़ोसी देशों के रिश्तों को और तनावपूर्ण बना दिया है। इस संकट के बीच, ईरान ने न केवल शांति की अपील की, बल्कि 13वीं सदी के मशहूर फारसी कवि सादी शिराज़ी की कविता का हवाला देकर मानवता और एकता का संदेश भी दिया।
ईरान के विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराघची ने शुक्रवार को एक सोशल मीडिया पोस्ट में भारत और पाकिस्तान को "भाईचारे वाले पड़ोसी" करार दिया। उन्होंने लिखा, "भारत और पाकिस्तान ईरान के भाईचारे वाले पड़ोसी हैं, जिनके साथ हमारी सांस्कृतिक और सभ्यतागत रिश्ते सदियों पुराने हैं। हम अपने पड़ोसियों को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हैं। तेहरान इस मुश्किल वक्त में इस्लामाबाद और नई दिल्ली में अपनी मध्यस्थता की पेशकश करता है ताकि आपसी समझ को बढ़ाया जा सके।"
अराघची ने अपनी बात को और प्रभावी बनाने के लिए सादी शिराज़ी की प्रसिद्ध कविता बनी आदम (मानवजाति) के पंक्तियों को उद्धृत किया:
"मानव एक ही देह के अंग हैं,
एक ही आत्मा से बने हैं।
यदि एक अंग को पीड़ा होती है,
बाकी अंग भी बेचैन रहते हैं।"
एक ही आत्मा से बने हैं।
यदि एक अंग को पीड़ा होती है,
बाकी अंग भी बेचैन रहते हैं।"
यह कविता, जो मानवता की एकता और करुणा का प्रतीक है, न केवल ईरान में बल्कि पूरी दुनिया में जानी जाती है। इसे पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी 2009 में ईरानी नववर्ष के संदेश में उद्धृत किया था।
पहलगाम हमले के बाद बढ़ा तनाव
ईरान के अलावा, सऊदी अरब ने भी इस तनाव को कम करने की कोशिश की है। सऊदी विदेश मंत्रालय के अनुसार, प्रिंस फैसल बिन फरहान ने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार से अलग-अलग फोन पर बात की। सऊदी अरब और ईरान, जो 2023 में अपने राजनयिक संबंधों को बहाल करने के बाद क्षेत्रीय मुद्दों पर समन्वय कर रहे हैं, इस संकट को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रिश्ते
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भारत-पाकिस्तान,मध्यस्थता |
ईरान का यह कदम केवल राजनयिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक भी है। भारत और ईरान के बीच सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रिश्ते बहुत गहरे हैं। 13वीं सदी में दिल्ली सल्तनत के दौरान फारसी भाषा और संस्कृति ने भारतीय उपमहाद्वीप में गहरी छाप छोड़ी थी। मुगल काल में भी फारसी कला, साहित्य और वास्तुकला का प्रभाव देखा गया। इसी तरह, ईरान और पाकिस्तान के बीच भी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध मजबूत हैं, जो इस मध्यस्थता को और सार्थक बनाते हैं।
ईरान की यह पेशकश ऐसे समय में आई है, जब दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे हालात बन रहे हैं। नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर सैन्य गतिविधियों की खबरें भी सामने आई हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान और सऊदी अरब जैसे प्रभावशाली देशों की मध्यस्थता से तनाव कम हो सकता है। हालांकि, भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चले आ रहे मतभेदों को देखते हुए, इस मध्यस्थता की सफलता अभी अनिश्चित है।
ईरान की यह पहल न केवल राजनयिक, बल्कि भावनात्मक और सांस्कृतिक स्तर पर भी एक कोशिश है। सादी की कविता के जरिए दिया गया यह संदेश न केवल भारत और पाकिस्तान, बल्कि पूरी दुनिया के लिए शांति और एकता का आह्वान है। अब देखना यह है कि क्या यह सांस्कृतिक अपील दोनों देशों के बीच सुलह का रास्ता खोल पाएगी।
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