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गाड़ा बिरादरी,अंजुमन मेरठ, सदर अरशद प्रधान |
हाल ही में, अंजुमन के व्हाट्सएप ग्रुप में जुमे के दिन आयोजित होने वाली साप्ताहिक चर्चा के दौरान एक सदस्य ने बिरादरी के सदर अरशद प्रधान से सवाल किया कि गाड़ा बिरादरी अंजुमन अब क्या काम कर रही है, क्योंकि न तो लोग अंजुमन की बात मानते हैं और न ही उसका सम्मान करते हैं। इस पर सदर अरशद प्रधान ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया कि अंजुमन माशाअल्लाह बहुत अच्छा काम कर रही है। रोज़ाना किसी न किसी सामाजिक मसले पर काम करना पड़ता है और अल्हम्दुलिल्लाह फैसले भी लिए जा रहे हैं।
2024 की सालाना मीटिंग में लिए गए थे ये प्रमुख फैसले
सदर अरशद प्रधान ने बताया कि पिछले साल की मीटिंग में बिरादरी के लिए 16 मुद्दों पर काम करने का लक्ष्य रखा गया था। इनमें से कुछ प्रमुख फैसले इस प्रकार हैं:
- सगाई की रस्में सीमित: सगाई के दिन केवल वालिद, चाचा, दूल्हे के भाई और बहनोई ही शामिल होंगे। सगाई में मिलाई की राशि दूल्हा और उसके वालिद के लिए अधिकतम 500 रुपये और बाकियों के लिए 50 रुपये होगी।
- दहेज और दिखावा बंद: दहेज शरीयत के दायरे में और मुख़्तसर होगा। किसी भी तरह का दिखावा नहीं किया जाएगा।
- शादी में सादगी: शादी में केवल मौजूद लोगों की मिलाई होगी। गैर-हाज़िर लोगों की मिलाई बंद। बारात में शामिल होने वाले बारातियों की संख्या पहले से बतानी होगी।
- खाने और रिवाजों पर पाबंदी: शादी के दिन खाना बाँटना, सास को जेवरात देना, और ख्वातीन का शादी में जाना (सिवाय दूल्हे की सगी बहनों के) सख्त मना है। सलामी, जूता चुराई, और कपड़ों का लेन-देन भी पूरी तरह बंद।
- ईदी और अन्य रस्में: ईद पर लड़की को दी जाने वाली ईदी 500 या 1000 रुपये से अधिक नहीं होगी। शादी से पहले जूते की रस्म खत्म कर केवल चिट्ठी भेजी जाएगी।
- निकाह और आतिशबाज़ी: निकाह केवल मस्जिद में होगा। आतिशबाज़ी और गोला बारूद का इस्तेमाल पूरी तरह बंद।
- शादी के बाद मुलाकात: दूल्हन से मिलने केवल 5 लोग ही जा सकेंगे। शादी से पहले और बाद में दहेज या रिश्ते की मिलाई बंद।
- सामाजिक बुराइयों पर रोक: मोटरसाइकिल से हुड़दंग और उन्माद फैलाने जैसे गैर-ज़रूरी कामों पर पाबंदी।
- तालीम पर जोर: गाड़ा बिरादरी को अपने बच्चों को दीनी और दुनियावी तालीम दिलाने की हिदायत दी गई।
बदलाव की ज़रूरत और चुनौतियाँ
सदर अरशद प्रधान ने जोर देकर कहा कि अंजुमन का काम नियम बनाना और उन पर अमल करना है, लेकिन इन नियमों को मानने की ज़िम्मेदारी बिरादरी के लोगों की है। उन्होंने कहा, "अगर बदलाव लाना है, तो शुरुआत हमें अपने से करनी होगी। अब तक जो होता आया, ठीक है, लेकिन अब बदलाव का समय है।" कुछ क्षेत्रों में सुधार देखने को मिला है, लेकिन अभी और मेहनत की ज़रूरत है।
उन्होंने यह भी बताया कि कैलेंडर के रूप में मुद्दों को मस्जिदों तक पहुँचाने की ज़िम्मेदारी अंजुमन के सरपंचों को दी गई थी, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि यह काम पूरा हुआ या नहीं। फिर भी, अंजुमन अपनी मुहिम में कामयाब होने के लिए प्रतिबद्ध है।
बिरादरी के लिए एक नई दिशा
गाड़ा बिरादरी अंजुमन मेरठ सामाजिक सुधारों और शरीयत के दायरे में सादगी को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयासरत है। सदर अरशद प्रधान और अंजुमन के सरपंचों का यह प्रयास न केवल बिरादरी के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक मिसाल हो सकता है। बिरादरी के लोगों से अपील है कि वे इन नियमों का पालन करें और सामाजिक बदलाव में अपना योगदान दें।
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