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डोनाल्ड ट्रंप, इफ्तार पार्टी, व्हाइट हाउस, रमजान 2025 |
वॉशिंगटन डीसी: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 27 मार्च 2025 को व्हाइट हाउस में एक शानदार इफ्तार पार्टी का आयोजन किया। यह आयोजन रमजान के पवित्र महीने के दौरान मुस्लिम समुदाय के साथ एकजुटता दिखाने के लिए किया गया था। इस मौके पर ट्रंप ने मुस्लिम अमेरिकियों के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त की और 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में उनके समर्थन को याद किया। व्हाइट हाउस के स्टेट डाइनिंग रूम में आयोजित इस समारोह में मुस्लिम समुदाय के नेता, राजनयिक और सरकारी अधिकारी शामिल हुए।
ट्रंप ने अपने संबोधन में कहा, "मुस्लिम समुदाय ने नवंबर में हमारे लिए बहुत कुछ किया। आप लोगों का समर्थन मेरे लिए बहुत मायने रखता है। जब तक मैं राष्ट्रपति हूँ, मैं आपके लिए हमेशा मौजूद रहूँगा।" उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि उनकी सरकार मध्य पूर्व में स्थायी शांति के लिए अथक कूटनीति कर रही है। ट्रंप ने ऐतिहासिक अब्राहम समझौते का जिक्र करते हुए कहा, "हमने चार बड़े देशों के साथ समझौता किया था, लेकिन मुझे लगता है कि यह बहुत जल्दी और बड़े स्तर पर आगे बढ़ेगा। लोग पहले से ही इसके बारे में बात कर रहे हैं। यह बहुत पहले हो जाना चाहिए था।"
रमजान के महत्व को रेखांकित करते हुए ट्रंप ने कहा, "रमजान आत्मिक चिंतन और संयम का मौसम है। हर दिन सुबह से शाम तक मुस्लिम उपवास करते हैं, जिससे उनकी प्रार्थना और भक्ति गहरी होती है। फिर हर रात परिवार और दोस्तों के साथ इफ्तार के जरिए वे अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हैं। आज रात हम भी यही कर रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि आपको यह पसंद आएगा। अगर नहीं आया, तो शिकायत मत करना!" उनकी इस हल्की-फुल्की टिप्पणी पर कमरे में ठहाके गूंज उठे।
हालांकि, यह आयोजन विवादों से अछूता नहीं रहा। कई अमेरिकी मुस्लिम संगठनों ने इस बात पर नाराजगी जताई कि ट्रंप ने स्थानीय मुस्लिम नेताओं या सांसदों को आमंत्रित नहीं किया। इसके बजाय, उन्होंने इस्लामिक देशों के राजदूतों को बुलाया। व्हाइट हाउस के बाहर कुछ प्रदर्शनकारी जमा हुए, जिन्होंने इसे ट्रंप की नीतियों और उनके बयानों के बीच विरोधाभास करार दिया। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, "यह दिखावटीपन है। अगर वह वास्तव में हमारा सम्मान करते हैं, तो हमें भी इस मेज पर जगह मिलनी चाहिए थी।"
यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप के इफ्तार आयोजन पर सवाल उठे हैं। साल 2017 में उन्होंने इस परंपरा को तोड़ा था, लेकिन 2018 और 2019 में उन्होंने इसे फिर से शुरू किया। इस बार का आयोजन पश्चिम एशिया में चल रहे इजरायल-हमास संघर्ष के बीच हुआ, जिसने इसे और भी संवेदनशील बना दिया। ट्रंप ने अपने भाषण में इस मुद्दे पर सीधे टिप्पणी तो नहीं की, लेकिन शांति के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया।
यह इफ्तार डिनर न केवल एक धार्मिक आयोजन था, बल्कि एक राजनीतिक संदेश भी दे गया। ट्रंप ने मुस्लिम अमेरिकियों को यह भरोसा दिलाने की कोशिश की कि उनकी आवाज सुनी जा रही है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह आयोजन वास्तव में समुदाय के बीच विश्वास पैदा कर पाएगा, या यह सिर्फ एक औपचारिकता बनकर रह जाएगा? समय ही इसका जवाब देगा।
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