संभल में जफर अली की गिरफ्तारी के खिलाफ अधिवक्ताओं का जोरदार प्रदर्शन, सड़कों पर उतरे वकील, कचेहरी मे कामकाज ठप
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संभल, 24 मार्च 2025: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में आज एक बार फिर तनाव का माहौल देखने को मिला, जब जामा मस्जिद के सदर जफर अली की गिरफ्तारी के खिलाफ स्थानीय अधिवक्ताओं ने सड़कों पर उतरकर जोरदार प्रदर्शन किया। संभल कचहरी के वकीलों ने बाजार क्षेत्र में एक विशाल जुलूस निकाला और पुरानी तहसील के पास पहुंचकर पुलिस प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। प्रदर्शनकारी अधिवक्ताओं ने जफर अली को अपना नेता बताते हुए उनकी रिहाई की मांग की और पुलिस कार्रवाई को अन्यायपूर्ण करार दिया।
जानकारी के अनुसार, जफर अली को पुलिस ने बीते दिन यानी 23 मार्च 2025 को गिरफ्तार किया था। उनकी गिरफ्तारी का कारण पिछले साल नवंबर में संभल में हुई हिंसा से जोड़ा जा रहा है, जिसमें शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान भारी बवाल हुआ था। इस हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हुए थे। जफर अली पर पुलिस ने आपराधिक साजिश का आरोप लगाया है, जिसके बाद से ही संभल में तनाव बढ़ता जा रहा है।
अधिवक्ताओं में गुस्सा, पुलिस पर लगाए गंभीर आरोप
आज सुबह संभल कचहरी के वकील एकजुट होकर बाजार की गलियों में निकले। जुलूस में शामिल अधिवक्ताओं ने हाथों में तख्तियां और बैनर लिए हुए थे, जिन पर पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारे लिखे थे। जुलूस पुरानी तहसील तक पहुंचा, जहां वकीलों ने पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की और जफर अली की तत्काल रिहाई की मांग की। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि जफर अली को बेवजह निशाना बनाया जा रहा है और यह गिरफ्तारी संविधान के खिलाफ है।
एक प्रदर्शनकारी अधिवक्ता ने कहा, "जफर अली हमारे नेता हैं। वे हमेशा से संभल की शांति और भाईचारे के लिए काम करते रहे हैं। पुलिस ने बिना सबूत के उन्हें गिरफ्तार किया है, जो पूरी तरह से गलत है। हम इसके खिलाफ चुप नहीं बैठेंगे।" अधिवक्ताओं ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस प्रशासन जानबूझकर संभल में तनाव पैदा करने की कोशिश कर रहा है।
पिछले साल की हिंसा से जुड़ा है मामला
जफर अली की गिरफ्तारी का यह मामला पिछले साल 24 नवंबर 2024 को हुई हिंसा से जुड़ा हुआ है। उस दिन शाही जामा मस्जिद के एक सर्वे के दौरान भारी हिंसा भड़क गई थी। यह सर्वे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा कोर्ट के आदेश पर किया जा रहा था, जिसमें दावा किया गया था कि मस्जिद एक प्राचीन हिंदू मंदिर की जगह पर बनाई गई थी। सर्वे के दौरान स्थानीय लोगों और पुलिस के बीच झड़प हो गई थी, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हुए थे। इस घटना के बाद से ही संभल में तनाव का माहौल बना हुआ है।
जफर अली, जो शाही जामा मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष हैं, ने उस समय पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने दावा किया था कि पुलिस ने भीड़ पर गोलीबारी की थी, जबकि पुलिस ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि उन्होंने केवल आंसू गैस और रबर बुलेट का इस्तेमाल किया था। इस घटना के बाद पुलिस ने 25 लोगों को गिरफ्तार किया था और 2500 से अधिक लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
अधिवक्ताओं का आंदोलन तेज, क्या होगा अगला कदम?
आज के प्रदर्शन ने एक बार फिर संभल में तनाव को बढ़ा दिया है। अधिवक्ताओं ने चेतावनी दी है कि अगर जफर अली को जल्द रिहा नहीं किया गया, तो वे अपने आंदोलन को और तेज करेंगे। कुछ वकीलों ने हड़ताल पर जाने की भी बात कही है। वहीं, पुलिस प्रशासन ने स्थिति पर नजर रखने के लिए अतिरिक्त बल तैनात किया है और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि संभल पहले से ही संवेदनशील स्थिति से गुजर रहा है और इस तरह की घटनाएं माहौल को और बिगाड़ सकती हैं। एक स्थानीय निवासी ने कहा, "यहां पहले ही बहुत कुछ हो चुका है। अब जरूरत है कि दोनों पक्ष शांति से बात करें और मामले को सुलझाएं।"
पुलिस का पक्ष
संभल पुलिस ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि जफर अली की गिरफ्तारी कानून के दायरे में की गई है। पुलिस का कहना है कि उनके पास पर्याप्त सबूत हैं, जिनके आधार पर यह कार्रवाई की गई है। संभल पुलिस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल
@sambhalpolice
पर भी इस मामले में जानकारी साझा की है और लोगों से अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की है।आगे क्या?
संभल में यह ताजा घटनाक्रम एक बार फिर सवाल खड़े कर रहा है कि क्या इस मामले का कोई शांतिपूर्ण हल निकल पाएगा? अधिवक्ताओं का आंदोलन और जफर अली की गिरफ्तारी ने पूरे जिले में हलचल मचा दी है। अब देखना यह है कि आने वाले दिनों में स्थिति क्या मोड़ लेती है।
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