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रमजान 2025, ईद-उल-फित्र, भारत अर्थव्यवस्था |
भारत में रमजान और ईद-उल-फित्र का मौसम न सिर्फ धार्मिक उत्साह लेकर आता है, बल्कि यह अर्थव्यवस्था के लिए भी एक बड़ा धमाका साबित होता है। हाल के अनुमानों के मुताबिक, इन पवित्र अवसरों के दौरान देश में करीब 6.6 लाख करोड़ से 8.4 लाख करोड़ रुपये (लगभग 80-100 अरब अमेरिकी डॉलर) तक का कारोबार होता है। यह आंकड़ा न सिर्फ हैरान करने वाला है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे यह महीना और त्योहार भारत की आर्थिक गाड़ी को रफ्तार देता है।
रमजान के दौरान रोजा रखने वाले मुस्लिम परिवार इफ्तार के लिए खास तैयारियां करते हैं। बाजारों में ड्राई फ्रूट्स, खजूर, और स्वादिष्ट व्यंजनों की मांग आसमान छूती है। इसके साथ ही, जकात और दान की परंपरा भी इस दौरान जोरों पर रहती है, जिससे समाज के हर तबके तक खुशहाली पहुंचती है। फिर आता है ईद-उल-फित्र का त्योहार, जो नए कपड़ों, तोहफों और जश्न का पर्याय है। दिल्ली के चांदनी चौक से लेकर मुंबई के क्रॉफर्ड मार्केट तक, दुकानें ग्राहकों से खचाखच भरी रहती हैं।
इस साल 2025 में रमजान की शुरुआत मार्च के पहले हफ्ते में हुई और ईद-उल-फित्र का जश्न 30 या 31 मार्च को मनाया जा सकता है, जो चांद के दिखने पर निर्भर करता है। इस दौरान छोटे-बड़े व्यापारी अपनी बिक्री को दोगुना करने में जुटे रहते हैं। खास तौर पर कपड़ा, खाद्य, और ई-कॉमर्स कंपनियां इस मौके का पूरा फायदा उठाती हैं। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स जैसे अमेजन और फ्लिपकार्ट पर भी ईद की खरीदारी का उत्साह साफ दिखता है।
यह सिर्फ खरीदारी का माहौल नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा समय है जो रोजगार के अवसर भी पैदा करता है। मौसमी नौकरियां, खासकर रिटेल और लॉजिस्टिक्स में, इस दौरान बढ़ जाती हैं। साथ ही, ट्रैवल इंडस्ट्री भी पीछे नहीं रहती—ईद पर अपनों से मिलने के लिए लोग ट्रेनों और बसों में सफर करते हैं, जिससे रेलवे और परिवहन क्षेत्र में भी कमाई बढ़ती है।
हालांकि, यह आर्थिक उछाल पूरे देश में एकसमान नहीं होता। शहरी इलाकों जैसे हैदराबाद, लखनऊ और दिल्ली में जहां बाजारों में रौनक रहती है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में यह प्रभाव थोड़ा कम देखने को मिलता है। फिर भी, रमजान और ईद का यह मौसम भारत की विविधता और आर्थिक ताकत को एक बार फिर सामने लाता है। यह एक ऐसा उत्सव है जो न सिर्फ दिलों को जोड़ता है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी नई ऊर्जा देता है।
तो, इस बार जब आप ईद की सेवइयां खाएं या नए कपड़े पहनें, तो यह भी याद रखें कि आपका यह जश्न देश की आर्थिक तरक्की में भी योगदान दे रहा है।
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