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मोतिहारी के लाल मोहम्मद: रोजेदारों और गर्भवती महिलाओं के लिए मुफ्त रिक्शा सेवा


मोतिहारी, पूर्वी चंपारण: रमजान का पवित्र महीना चल रहा है, और इस दौरान जहां लोग रोजा रखकर इबादत में मशगूल हैं, वहीं कुछ लोग इस महीने को और खास बनाने के लिए समाज सेवा में जुटे हैं। ऐसा ही एक प्रेरणादायक उदाहरण हैं मोतिहारी के लाल मोहम्मद, जो एक साधारण से ई-रिक्शा चालक हैं, लेकिन उनका जज्बा और नेकदिली किसी बड़े समाजसेवी से कम नहीं है।
लाल मोहम्मद पूर्वी चंपारण के मोतिहारी शहर में रहते हैं और रोजी-रोटी के लिए ई-रिक्शा चलाते हैं। लेकिन रमजान के इस महीने में उन्होंने एक अनोखी पहल शुरू की है। वह रोजेदारों और गर्भवती महिलाओं को अपने रिक्शे में मुफ्त सवारी करवाते हैं। उनकी यह सेवा न सिर्फ लोगों के लिए राहत का सबब बनी है, बल्कि समाज में एक सकारात्मक संदेश भी दे रही है।
लाल मोहम्मद बताते हैं, "रमजान का महीना अल्लाह की इबादत और नेकी करने का महीना है। मैं ज्यादा तो नहीं कर सकता, लेकिन अपने रिक्शे से रोजेदार भाइयों-बहनों और गर्भवती बहनों की मदद कर सकता हूं। जब वे थके हुए होते हैं और उन्हें सवारी की जरूरत होती है, तो मैं उन्हें मुफ्त में उनकी मंजिल तक पहुंचाता हूं। इससे मुझे सुकून मिलता है।"
उनके रिक्शे पर एक साइनबोर्ड भी लगा है, जिसमें लिखा है- "रोजेदारी की मुफ्त सेवा"। यह साइनबोर्ड देखकर लोग उनकी इस पहल की तारीफ करते नहीं थकते। लाल मोहम्मद की कमाई भले ही ज्यादा न हो, लेकिन उनका यह कदम दिखाता है कि नेकी करने के लिए बड़ा दिल होना चाहिए, बड़ा बजट नहीं।
मोतिहारी के स्थानीय लोगों ने भी लाल मोहम्मद की इस पहल को खूब सराहा है। एक स्थानीय निवासी ने कहा, "लाल भाई का यह काम बहुत नेक है। रमजान में रोजेदारों को काफी दिक्कत होती है, खासकर गर्मी में। ऐसे में उनकी मुफ्त सेवा वाकई काबिले-तारीफ है।"
रमजान इस्लामिक कैलेंडर का नौवां महीना है, जिसमें मुसलमान रोजा रखते हैं, नमाज अदा करते हैं और दान-पुण्य करते हैं। इस महीने में समाज सेवा और एक-दूसरे की मदद को बहुत अहम माना जाता है। लाल मोहम्मद जैसे लोग इस महीने की रूह को सही मायनों में जिंदा रखते हैं।
पूर्वी चंपारण का मोतिहारी शहर ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से भी काफी समृद्ध है। यह वही जगह है जहां से महात्मा गांधी ने चंपारण सत्याग्रह की शुरुआत की थी। आज उसी मिट्टी में लाल मोहम्मद जैसे लोग अपने छोटे-छोटे प्रयासों से समाज को एक नई दिशा दे रहे हैं।
लाल मोहम्मद की यह कहानी हमें सिखाती है कि इंसानियत और नेकी की कोई कीमत नहीं होती। अगर दिल में जज्बा हो, तो छोटी-सी कोशिश भी बड़ा बदलाव ला सकती है।
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