"मेरठ की IIMT यूनिवर्सिटी में छात्रों की सामूहिक नमाज़ से मचा बवाल : हिन्दू नेता सचिन सिरोही ने प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
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मेरठ। उत्तर प्रदेश के मेरठ स्थित IIMT यूनिवर्सिटी कैंपस में छात्रों द्वारा सामूहिक नमाज़ अदा करने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसने सांप्रदायिक तनाव को हवा दे दी है। यह वीडियो मंगलवार, 11 मार्च 2025 को सामने आया, जिसमें दर्जनों छात्र कैंपस के हरे-भरे मैदान में एक साथ नमाज़ पढ़ते नजर आ रहे हैं। वीडियो को ट्विटर पर पत्रकार सचिन गुप्ता ने शेयर किया, जिसके बाद इस मुद्दे पर तीखी बहस छिड़ गई है।
हिंदू नेता सचिन सिरोही की तीखी प्रतिक्रिया
मेरठ के हिंदू नेता सचिन सिरोही ने इस वीडियो पर कड़ी आपत्ति जताई है और प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। सिरोही, जो हिंदू जागरण मंच के स्थानीय प्रमुख के रूप में जाने जाते हैं, का कहना है कि सार्वजनिक शैक्षिक संस्थानों में इस तरह की धार्मिक गतिविधियाँ संविधान की धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ हैं। सिरोही का यह बयान उनके पिछले विवादास्पद रिकॉर्ड के मद्देनजर और भी चर्चा में है। साल 2021 में, सिरोही एक मामले में चर्चा में आए थे, जब उन्होंने एक मुस्लिम युवक पर हमले को भड़काने का आरोप झेला था, जिसके लिए उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी हुई थी।
IIMT यूनिवर्सिटी का रुख
IIMT यूनिवर्सिटी, जो 2016 में स्थापित एक निजी विश्वविद्यालय है, उत्तर प्रदेश में अपनी शैक्षिक उत्कृष्टता और छात्र-केंद्रित दृष्टिकोण के लिए जानी जाती है। यह विश्वविद्यालय यूजीसी द्वारा मान्यता प्राप्त है और तकनीकी, प्रबंधन, विज्ञान जैसे विविध कोर्सेज़ प्रदान करता है। हालांकि, इस वीडियो के वायरल होने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। छात्रों और शिक्षकों के बीच इस घटना को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएँ देखी जा रही हैं, कुछ इसे धार्मिक स्वतंत्रता का हिस्सा बता रहे हैं, जबकि अन्य इसे कैंपस की धर्मनिरपेक्षता के लिए खतरा मान रहे हैं।
धार्मिक अभिव्यक्ति और शैक्षिक संस्थानों की चुनौती
यह मामला भारतीय शैक्षिक संस्थानों में धार्मिक अभिव्यक्ति और धर्मनिरपेक्षता के बीच संतुलन की बहस को फिर से हवा दे रहा है। केरल हाई कोर्ट के 2020 के एक ऐतिहासिक फैसले का हवाला देते हुए, जहां अदालत ने कहा था कि स्कूलों में किसी एक विशेष धर्म की धार्मिक शिक्षा देने पर पाबंदी होनी चाहिए, इस मुद्दे पर नई चर्चा शुरू हो गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि सार्वजनिक संस्थानों को सभी धर्मों के प्रति समानता और निष्पक्षता सुनिश्चित करनी चाहिए, लेकिन छात्रों की धार्मिक स्वतंत्रता को भी सम्मान देना जरूरी है।
सोशल मीडिया पर बंटी राय
सोशल मीडिया पर इस वीडियो को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएँ देखने को मिल रही हैं। कुछ यूज़र्स ने छात्रों की धार्मिक अभिव्यक्ति का समर्थन किया है, जबकि अन्य ने इसे कैंपस में सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने वाला कदम बताया है। एक यूज़र ने ट्वीट किया, "हर व्यक्ति को अपने धर्म का पालन करने का अधिकार है, लेकिन सार्वजनिक स्थानों पर इस तरह की गतिविधियाँ विवाद पैदा कर सकती हैं।" वहीं, दूसरे ने लिखा, "यह धर्मनिरपेक्षता का मज़ाक है, विश्वविद्यालय को तुरंत इस पर कार्रवाई करनी चाहिए।"
आगे क्या?
इस मामले में प्रशासन और विश्वविद्यालय प्रबंधन की ओर से अभी तक कोई स्पष्ट कार्रवाई या बयान नहीं आया है। हालांकि, स्थानीय हिंदू संगठनों और कुछ राजनीतिक दलों ने इस मुद्दे को तूल देना शुरू कर दिया है, जिससे मेरठ में तनाव बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। इस बीच, छात्र समुदाय के बीच भी इस मुद्दे पर चर्चा जारी है, और कई छात्रों ने इसे अपनी धार्मिक स्वतंत्रता का हिस्सा बताते हुए इसका समर्थन किया है।
यह मामला न केवल मेरठ बल्कि पूरे देश में शैक्षिक संस्थानों में धार्मिक अभिव्यक्ति और धर्मनिरपेक्षता की सीमाओं पर बहस को गहरा रहा है। क्या IIMT यूनिवर्सिटी इस विवाद से निपटने में सफल होगी, और क्या प्रशासन इस पर कोई ठोस कदम उठाएगा, यह देखना अभी बाकी है।
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