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महाराष्ट्र,पालघर,यौन उत्पीड़न,सौतेली बेटी |
पालघर, महाराष्ट्र: एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे महाराष्ट्र को झकझोर कर रख दिया है। पालघर के वसई इलाके में एक 24 साल की युवती ने अपने सौतेले पिता की हैवानियत का बदला लेते हुए उसका प्राइवेट पार्ट काट दिया और चाकू से गले पर भी वार किए। इस घटना ने समाज में एक बार फिर बेटियों की सुरक्षा और न्याय व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या है पूरा मामला?
जानकारी के मुताबिक, नालासोपारा ईस्ट के संतोष भुवन इलाके में रहने वाली प्रीति शुक्ला ने अपने सौतेले पिता रमेश भारती पर हमला किया। पुलिस के अनुसार, रमेश पिछले दो साल से अपनी सौतेली बेटी का यौन उत्पीड़न कर रहा था। प्रीति की मां ने दूसरी शादी की थी, जिसके बाद रमेश उसका सौतेला पिता बना। लेकिन इस रिश्ते की आड़ में रमेश ने प्रीति को अपनी हवस का शिकार बनाना शुरू कर दिया।
सोमवार दोपहर करीब 3 बजे, प्रीति ने गुस्से में आकर रमेश पर चाकू से हमला कर दिया। उसने पहले रमेश का प्राइवेट पार्ट काटा और फिर उसके गले पर वार किए। इस हमले में रमेश गंभीर रूप से घायल हो गया और उसे मुंबई के शताब्दी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी हालत नाजुक बनी हुई है। वहीं, पुलिस ने प्रीति को गिरफ्तार कर लिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है।
समाज और कानून पर उठे सवाल
इस घटना ने एक बार फिर समाज और कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आखिर क्यों एक बेटी को खुद अपने लिए इंसाफ की लड़ाई लड़नी पड़ी? अगर समय रहते पुलिस और समाज ने प्रीति की मदद की होती, तो शायद उसे इतना बड़ा कदम न उठाना पड़ता। सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर लोगों का गुस्सा साफ देखा जा सकता है।
एक्स प्लेटफॉर्म पर यूजर
@LumenTrail
ने लिखा, "ये खबर सुनकर गुस्सा और दुख दोनों ही आते हैं! दो साल तक उस दरिंदे ने अपनी ही सौतेली बेटी को शिकार बनाया, और जब लड़की ने हिम्मत दिखाई तो वही कानून उसे गिरफ्तार कर रहा है? ये कैसा न्याय है!"वहीं,
@RajendraRaj2024
ने कहा, "ठीक किया, ऐसे नीच इंसान के साथ यही होना चाहिए, जो व्यक्ति अपनी बेटी का यौन उत्पीड़न कर रहा है वो समाज में रहने लायक नहीं है।"कानूनी स्थिति और चुनौतियां
भारत में यौन उत्पीड़न के मामलों को लेकर कानून मौजूद हैं, लेकिन कई बार ये पीड़ितों को पूरा न्याय नहीं दिला पाते। भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 375 के तहत बलात्कार को परिभाषित किया गया है, लेकिन रिश्तेदारों द्वारा लंबे समय तक किए गए यौन उत्पीड़न को अक्सर "अग्रवेटेड रेप" के तौर पर नहीं देखा जाता, जिसके चलते पीड़ितों को सजा दिलाने में मुश्किल होती है। इसके अलावा, सामाजिक दबाव और पुलिस की संवेदनशीलता की कमी भी ऐसे मामलों को और जटिल बना देती है।
आगे क्या?
यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर कब तक बेटियां इस तरह की हैवानियत का शिकार होती रहेंगी? कब तक उन्हें खुद अपने लिए इंसाफ की लड़ाई लड़नी पड़ेगी? समाज और सरकार को मिलकर ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे। साथ ही, पुलिस को भी यौन उत्पीड़न के मामलों में ज्यादा संवेदनशीलता दिखानी होगी, ताकि पीड़ितों को समय पर मदद मिल सके।
गाड़ा टाइम्स इस मामले पर नजर बनाए हुए है और हम इसकी हर अपडेट आप तक पहुंचाते रहेंगे।
देखे पूरा वीडियो 👇🏻
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