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इकरा हसन, इमरान मसूद, संभल सीओ |
हाल ही में संभल के सीओ अनुज चौधरी ने एक ऐसा बयान दे दिया कि पूरा इलाका गरमा गया। उन्होंने कहा, "सेवइयां हम खाएंगे तो आपको गुजिया खानी पड़ेगी," जो सुनने में मजाक लग सकता है, लेकिन कई लोगों को ये बात नागवार गुजरी। इस पर कैराना की सांसद इकरा हसन और सहारनपुर के सांसद इमरान मसूद की अलग-अलग प्रतिक्रियाओं ने मुस्लिम समुदाय में बहस छेड़ दी। खासकर "छत पर नमाज" का मुद्दा इसमें उछला, जिसने सोशल मीडिया से लेकर गली-मोहल्लों तक चर्चा को गर्म कर दिया। दोनों नेताओं के बयानों से सहारनपुर और कैराना में सियासी माहौल और तीखा हो गया। आइए, इस पूरे मामले को थोड़ा करीब से समझते हैं।
संभल में शुरू हुआ बवाल, सीओ का बयान बना वजह
संभल का नाम तो आपने सुना ही होगा, जहां पहले भी कई बार सांप्रदायिक तनाव की खबरें आ चुकी हैं। इस बार सीओ अनुज चौधरी ने शांति समिति की बैठक में ये बयान दिया, शायद उनका इरादा माहौल को हल्का करना था। लेकिन "सेवइयां-गुजिया" वाला उनका कमेंट उल्टा पड़ गया और लोगों ने इसे मजाक से ज्यादा तंज के तौर पर लिया। मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों को लगा कि ये उनकी भावनाओं से खिलवाड़ है। सोशल मीडिया पर ये बात आग की तरह फैली और देखते ही देखते नेताओं की एंट्री हो गई। अब ये छोटा सा बयान एक बड़े विवाद में बदल चुका है।
इकरा हसन का ठंडा दिमाग, संयम की अपील
कैराना की सांसद इकरा हसन ने इस मामले में बहुत सोच-समझकर जवाब दिया। वो अपने सादे और साफ अंदाज के लिए जानी जाती हैं और इस बार भी उन्होंने संयम बरतने की बात कही। इकरा ने कहा कि प्रशासन को ऐसे बयानों से बचना चाहिए, जो किसी की भावनाएं आहत करें। "छत पर नमाज" के मुद्दे पर उन्होंने धार्मिक आजादी की पैरवी की और इसे मजाक का हिस्सा बनाने से मना किया। उनके इस रुख को मुस्लिम युवाओं ने खूब पसंद किया, खासकर सपा के समर्थकों में उनकी तारीफ हो रही है। इकरा का कहना है कि त्योहारों में एकता बढ़ानी चाहिए, न कि तनाव।
इमरान मसूद का गर्म मिजाज, तीखा हमला
वहीं, सहारनपुर के सांसद इमरान मसूद ने सीधे मोर्चा खोल दिया और सीओ के बयान को "मुस्लिमों पर हमला" बता डाला। इमरान पहले भी अपने जोशीले बयानों से चर्चा में रह चुके हैं और इस बार भी उन्होंने भावनाओं को हवा दी। उन्होंने कहा, "मस्जिदों को ढकवाया जा रहा है, अब ये बयान—ये सब नफरत फैलाने की साजिश है।" "छत पर नमाज" को लेकर वो बोले कि सड़क पर नमाज ठीक नहीं, लेकिन छत पर तो हर मुस्लिम का हक है। उनके इस तीखे तेवर से कुछ लोग जोश में आ गए, पर कईयों ने इसे सियासी ड्रामा भी कहा।
सहारनपुर में इकरा आगे, इमरान पर सवाल
सहारनपुर के मुस्लिमों में अब इकरा हसन का पलड़ा भारी नजर आ रहा है। लोग कहते हैं कि इकरा हमेशा कैराना के असली मुद्दों पर बात करती हैं और उनका अंदाज जमीन से जुड़ा है। दूसरी तरफ, इमरान मसूद पर बीजेपी का एजेंट होने का इल्जाम लग रहा है और उन पर मुस्लिमों को भड़काने का आरोप भी है। हाल ही में नवरात्रि के दौरान "मीट न खाने" की उनकी सलाह ने मुस्लिमों को नाराज कर दिया। इस बयान की वजह से इमरान को सोशल मीडिया पर जमकर आलोचना झेलनी पड़ रही है। लोग मान रहे हैं कि उनकी ये सियासत अब उल्टी पड़ रही है।
मुस्लिमों में बहस, एकता की राह कहां?
इस पूरे मामले ने मुस्लिम समुदाय को दो खेमों में बांट दिया है। इकरा का संयमित रुख उन लोगों को भा रहा है, जो शांति और बातचीत से हल चाहते हैं। वहीं, इमरान का जोशीला अंदाज उन लोगों को पसंद है, जो इसे अपने सम्मान की लड़ाई मानते हैं। सोशल मीडिया पर "छत पर नमाज" और "सांप्रदायिक सौहार्द" जैसे हैशटैग छाए हुए हैं। कुछ का कहना है कि प्रशासन को सावधानी बरतनी चाहिए थी, तो कुछ इसे छोटी बात का बतंगड़ मान रहे हैं। त्योहारों का मौसम करीब है, ऐसे में ये बहस और गर्म हो सकती है। आप क्या सोचते हैं, ये सब कितना सही है?
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