पोप फ्रांसिस की आखिरी इच्छा के अनुसार ईसाई समुदाय ने Gaza मे मुस्लिम बच्चों के लिया उठाया बड़ा कदम, वीडियो वायरल
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दिल्ली की सड़कों से लेकर दुनिया के कोने-कोने तक, हर जगह मानवता की बातें गूंजती हैं। आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसी खबर की, जो न सिर्फ दिल को छूती है, बल्कि एक बड़े मिशन की शुरुआत भी है। पोप फ्रांसिस, जो अपनी सादगी और मानवता के लिए जाने जाते थे, ने अपनी आखिरी सांस से पहले एक ऐसी इच्छा जाहिर की, जो अब गाजा के मासूम बच्चों के लिए उम्मीद की किरण बन रही है। उनकी मशहूर पोपमोबाइल अब एक मोबाइल हेल्थ क्लिनिक बनकर गाजा के बच्चों को नई जिंदगी देने की तैयारी में है। आइए, दिल्ली की इस चहल-पहल भरी जिंदगी से थोड़ा रुककर इस खास खबर को समझें।
क्या है पोपमोबाइल और क्यों है ये खास? गाजा का दर्द और पोप की आखिरी इच्छा, देखे वायरल वीडियो
पोपमोबाइल वो खास गाड़ी है, जिसमें बैठकर पोप फ्रांसिस दुनिया भर के लोगों से मिलते थे। 2014 में बेथलहम की यात्रा के दौरान भी उन्होंने इसी गाड़ी का इस्तेमाल किया था। इस गाड़ी की खासियत ये थी कि इसमें पोप को हर कोई आसानी से देख सकता था, और ये पूरी तरह से सिक्योर भी थी। लेकिन अब ये गाड़ी एक नए मकसद के लिए तैयार हो रही है। कैरिटास येरूशलम ने इसे एक मोबाइल हेल्थ क्लिनिक में तब्दील करने का जिम्मा लिया है, ताकि गाजा के उन बच्चों तक मदद पहुंच सके, जो युद्ध की मार से जूझ रहे हैं।
गाजा में पिछले डेढ़ साल से चल रहा युद्ध बच्चों के लिए सबसे बड़ा दर्द बन गया है। यूनिसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक, अक्टूबर 2023 से अब तक वहां 50,000 से ज्यादा बच्चों की जान जा चुकी है, और करीब 10 लाख बच्चे बेघर हो गए हैं। वहां की हेल्थकेयर सिस्टम पूरी तरह से चरमरा गई है। भुखमरी, बीमारियां और चोटें इन बच्चों का पीछा नहीं छोड़ रही हैं। ऐसे में पोप फ्रांसिस ने अपनी आखिरी इच्छा में कहा कि उनकी पोपमोबाइल को गाजा के बच्चों के लिए इस्तेमाल किया जाए। वो हमेशा से गाजा के लोगों के लिए आवाज उठाते रहे, और उनकी ये पहल उनकी दयालुता का सबसे बड़ा सबूत है।
क्या-क्या होगा इस मोबाइल क्लिनिक में? क्या हैं चुनौतियां?
ये कोई आम गाड़ी नहीं, बल्कि एक चलता-फिरता अस्पताल बनने जा रहा है। इसमें वो सारी सुविधाएं होंगी, जो बच्चों को तुरंत इलाज देने के लिए जरूरी हैं:
- रैपिड टेस्टिंग किट: बीमारियों का फटाफट पता लगाने के लिए।
- वैक्सीन्स और दवाइयां: बच्चों को पोलियो, टिटनेस जैसी बीमारियों से बचाने के लिए।
- सिलाई किट और सिरिंज: चोटों का इलाज करने के लिए।
- ऑक्सीजन सप्लाई: सांस की तकलीफ वाले बच्चों के लिए।
- मिनी फ्रिज: दवाइयों को सही तापमान पर रखने के लिए।
ये गाड़ी उन इलाकों में जाएगी, जहां हॉस्पिटल तो दूर, बुनियादी सुविधाएं भी नहीं हैं। कैरिटास स्वीडन के सेक्रेटरी जनरल पीटर ब्रून ने कहा, "ये सिर्फ एक गाड़ी नहीं, बल्कि गाजा के बच्चों के लिए एक संदेश है कि दुनिया ने उन्हें भुलाया नहीं है।"
हालांकि ये पहल उम्मीद की एक बड़ी किरण है, लेकिन रास्ता आसान नहीं है। गाड़ी अभी बेथलहम में है और गाजा में पहुंचने के लिए उसे मानवीय गलियारे की जरूरत है, जिसे इसराइल को खोलना होगा। इसके अलावा, कुछ लोगों का मानना है कि युद्धग्रस्त इलाके में इस गाड़ी को निशाना बनाया जा सकता है। लेकिन कैरिटास की टीम इसे लेकर पूरी तरह से तैयार है। उनके पास 100 से ज्यादा स्टाफ हैं, जो गाजा में पहले से ही काम कर रहे हैं।
पोप फ्रांसिस की ये आखिरी इच्छा न सिर्फ गाजा के बच्चों के लिए एक नई जिंदगी की उम्मीद है, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल भी है। दिल्ली की सड़कों से लेकर गाजा की गलियों तक, ये कहानी हमें जोड़ती है। आइए, इस खबर को शेयर करें और दुनिया को बताएं कि मानवता अभी जिंदा है।
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