खड़गपुर, पश्चिम बंगाल: देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक, आईआईटी खड़गपुर, एक बार फिर सुर्खियों में है, लेकिन इस बार वजह बेहद दुखद है। तीसरे साल के सिविल इंजीनियरिंग के छात्र, मोहम्मद आसिफ कमर, की रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत ने न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे छात्र समुदाय को झकझोर कर रख दिया है। यह घटना 4 मई 2025 की सुबह सामने आई, जब आसिफ का शव उनके हॉस्टल कमरे में फांसी पर लटका हुआ पाया गया।
आसिफ, बिहार के शिवहर जिले के गड़हिया गांव से थे। उनके परिवार के अनुसार, रात 1 बजे तक आसिफ ने अपनी मां से फोन पर बात की थी। आखिरी बार उन्होंने कैंटीन जाने की बात कही और कॉल ड्रॉप कर दिया। लेकिन सुबह 4 बजे उनके मृत्यु की खबर ने सभी को हैरान कर दिया। परिजनों का कहना है कि आसिफ एक मेहनती और खुशमिजाज छात्र थे, और उन्हें किसी तरह का मानसिक तनाव नहीं था। ऐसे में उनकी मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
आईआईटी प्रशासन पर सवाल / पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं
आईआईटी खड़गपुर प्रशासन ने तुरंत परिजनों को हवाई टिकट भेजकर बुलाया, लेकिन मौत का कोई स्पष्ट कारण बताने में नाकाम रहा। यह बात परिजनों और छात्रों के गुस्से को भड़का रही है। सोशल मीडिया पर कई लोगों ने इस घटना को लेकर सवाल उठाए हैं। एक यूजर ने लिखा, "आईआईटी खड़गपुर में यह पहला मामला नहीं है। पहले भी एक मुस्लिम छात्र की मौत को छुपाने की कोशिश हुई थी, जो बाद में हत्या साबित हुई। क्या यह भी कोई साजिश है?"
यह कोई पहली घटना नहीं है जब आईआईटी खड़गपुर में इस तरह का हादसा हुआ हो। साल 2022 में फैजान अहमद नाम के एक छात्र की मौत ने भी सनसनी मचा दी थी। बाद में हाई कोर्ट के हस्तक्षेप से पता चला कि फैजान की हत्या हुई थी, और उनके सिर में गोली के निशान पाए गए थे। इसके अलावा, 2023 और 2024 में भी कई छात्रों की मौतें कैंपस में हुई हैं, जिनमें से ज्यादातर को आत्महत्या बताया गया। लेकिन इन घटनाओं ने कैंपस में सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
पुलिस ने प्रारंभिक जांच में इसे आत्महत्या का मामला बताया है, लेकिन जांच अभी पूरी नहीं हुई है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, "हमें कुछ सुराग मिले हैं, और हम हर पहलू की जांच कर रहे हैं। आसिफ के फोन रिकॉर्ड्स और उनके दोस्तों से पूछताछ की जा रही है।" बिहार पुलिस ने भी इस मामले में हस्तक्षेप किया है और स्थानीय जिले को सूचित कर दिया है।
छात्रों में डर का माहौल / मानसिक स्वास्थ्य और शिक्षा पर प्रभाव
इस घटना के बाद आईआईटी खड़गपुर के छात्रों में डर का माहौल है। एक छात्र ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, "यहां पढ़ाई का दबाव पहले से ही बहुत ज्यादा है। ऊपर से ऐसी घटनाएं हमें मानसिक रूप से तोड़ देती हैं। प्रशासन को हमारी सुरक्षा और मेंटल हेल्थ पर ध्यान देना चाहिए।"
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि आईआईटी जैसे संस्थानों में अकादमिक प्रेशर और प्रतिस्पर्धा का स्तर इतना ज्यादा है कि कई छात्र इससे निपट नहीं पाते। मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता की कमी और काउंसलिंग की अपर्याप्त सुविधाएं भी एक बड़ी वजह हैं। इस घटना ने एक बार फिर सरकार और संस्थानों से यह मांग तेज कर दी है कि छात्रों के लिए बेहतर मेंटल हेल्थ सपोर्ट सिस्टम बनाया जाए।
क्या कहते हैं जानकार?परिवार का दर्द / सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक रंग
शिक्षा और मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. राधिका शर्मा ने कहा, "आईआईटी जैसे संस्थानों में पढ़ाई का दबाव, सामाजिक अलगाव, और परिवार से दूर रहने की वजह से छात्रों में तनाव बढ़ रहा है। हमें कैंपस में काउंसलिंग सेंटर्स को मजबूत करना होगा और छात्रों को यह भरोसा दिलाना होगा कि वे अपनी समस्याएं खुलकर बता सकते हैं।"
आसिफ के परिवार का कहना है कि वे अपने बेटे को खोने के बाद सदमे में हैं। उनके पिता ने कहा, "मेरा बेटा बहुत होनहार था। उसने कभी हमें अपनी किसी परेशानी के बारे में नहीं बताया। हमें नहीं पता कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि उसने यह कदम उठा लिया, या फिर इसके पीछे कोई और वजह है। हम चाहते हैं कि इसकी निष्पक्ष जांच हो और हमें सच पता चले।"
सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने इस घटना को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की है। कई यूजर्स ने दावा किया कि यह "भगवा आतंकवाद" का नतीजा है। हालांकि, अभी तक पुलिस या प्रशासन की ओर से ऐसा कोई बयान नहीं आया है जो इन दावों की पुष्टि करता हो। जानकारों का कहना है कि ऐसी अफवाहें जांच को प्रभावित कर सकती हैं और सामाजिक तनाव को बढ़ा सकती हैं।
यह घटना न केवल एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि यह पूरे शिक्षा सिस्टम के लिए एक चेतावनी भी है। सरकार, शिक्षा संस्थानों, और समाज को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि छात्रों को सुरक्षित और तनावमुक्त माहौल मिले। साथ ही, इस मामले की निष्पक्ष जांच जरूरी है ताकि आसिफ के परिवार को इंसाफ मिल सके और ऐसी घटनाएं भविष्य में न हों।
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