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भारत-ओमान FTA, मुक्त व्यापार |
नई दिल्ली: भारत और ओमान के बीच मुक्त व्यापार समझौता (FTA), जिसे व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (CEPA) भी कहा जाता है, अब अपने अंतिम चरण में है। यह समझौता जल्द ही हस्ताक्षर होने की उम्मीद है, और इससे भारत के लिए व्यापार और नौकरी के नए अवसर खुल सकते हैं। खासकर भारतीय कामगारों और निर्यातकों के लिए यह एक बड़ा मौका हो सकता है। लेकिन, इस समझौते को अंतिम रूप देने में कुछ चुनौतियां भी हैं, जैसे कि ओमान की "ओमानीकरण" नीति। आइए, इस खबर को और विस्तार से समझते हैं।
समझौते की मुख्य बातें
सूत्रों के अनुसार, भारत और ओमान के बीच यह समझौता नवंबर 2023 से चर्चा में है। जनवरी 2025 में वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल की मस्कट यात्रा के बाद इसने और रफ्तार पकड़ी। सीएनबीसी टीवी18 की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, समझौते में अब केवल कुछ मुद्दों पर सहमति बाकी है। भारत चाहता है कि ओमान की "ओमानीकरण" नीति, जो स्थानीय लोगों को नौकरी में प्राथमिकता देती है, भारतीय कामगारों के लिए बाधा न बने। इस नीति के तहत कुछ क्षेत्रों में 15% से 30% नौकरियां ओमानी नागरिकों के लिए आरक्षित हैं। भारत इस नीति को मौजूदा स्तर पर स्थिर रखने की मांग कर रहा है, ताकि भारतीयों की नौकरियां सुरक्षित रहें।
नौकरियों के लिए क्या मायने रखता है यह समझौता? ओमानीकरण नीति: क्या है विवाद?
यह समझौता भारत के लिए नौकरी के कई नए अवसर पैदा कर सकता है। बिजनेस स्टैंडर्ड के अनुसार, यह समझौता भारतीय निर्यात को बढ़ावा देगा। ओमान भारत का खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) देशों में तीसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है। 2023-24 में दोनों देशों के बीच 9 अरब डॉलर का व्यापार हुआ, जिसमें भारत ने 4.42 अरब डॉलर का निर्यात किया। इस समझौते से 98% भारतीय उत्पादों पर सीमा शुल्क (कस्टम ड्यूटी) कम या खत्म हो सकता है, जिससे भारत से निर्यात बढ़ेगा। इससे भारत में विनिर्माण, कृषि और सेवा क्षेत्र में नौकरियां बढ़ने की संभावना है।
ओमानीकरण नीति के तहत ओमान की कंपनियों को अपने कर्मचारियों में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता देनी होती है। भारत इस बात को सुनिश्चित करना चाहता है कि यह नीति भारतीय कामगारों के लिए नई बाधाएं न खड़ी करे। द इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत इस मुद्दे पर सख्ती से बातचीत कर रहा है, ताकि ओमान में काम कर रहे भारतीयों की नौकरियां सुरक्षित रहें और भविष्य में और अवसर मिलें।
भारत के लिए क्यों है यह समझौता खास?
भारत और ओमान के बीच पहले से ही मजबूत व्यापारिक रिश्ते हैं। ओमान भारत के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार है, और यह समझौता इन रिश्तों को और मजबूत करेगा। भारत के लिए यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि इससे पहले भारत ने यूएई के साथ ऐसा ही एक समझौता मई 2022 में किया था, जिसके बाद व्यापार और निवेश में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। इस समझौते से भारत के छोटे और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को भी फायदा होगा, क्योंकि उन्हें ओमान के बाजार में आसानी से पहुंच मिलेगी।
भारत-ओमान FTA न केवल व्यापार को बढ़ावा देगा, बल्कि भारतीय युवाओं के लिए रोजगार के नए द्वार भी खोलेगा। अगर सब कुछ योजना के अनुसार हुआ, तो यह समझौता भारत की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकता है। हालांकि, ओमानीकरण नीति जैसे मुद्दों पर सहमति बनाना अभी बाकी है। आने वाले दिनों में इस समझौते पर अंतिम मुहर लगने की उम्मीद है, और इसके साथ ही भारत के लिए एक नया आर्थिक युग शुरू हो सकता है।
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