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कोविड-19,व्हाइट हाउस,वुहान लैब |
नमस्ते दोस्तों, आज हम एक बहुत बड़ी खबर लेकर आए हैं जो पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन गई है। अमेरिका के व्हाइट हाउस ने हाल ही में एक चौंकाने वाला दावा किया है। उनके मुताबिक, कोविड-19 वायरस, जिसने पूरी दुनिया को परेशान किया, वो असल में प्राकृतिक रूप से नहीं बना था। व्हाइट हाउस का कहना है कि ये वायरस चीन के वुहान शहर में एक लैब में बनाया गया था और वहीं से ये लीक होकर फैला।
ये खबर 18 अप्रैल 2025 को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर वायरल हो गई, जब एक यूजर
@amerix
ने व्हाइट हाउस की एक रिपोर्ट शेयर की। इस रिपोर्ट का नाम है "द प्रॉक्सिमल ओरिजिन ऑफ सार्स-कोव-2"। इस रिपोर्ट में पांच बड़े बिंदु बताए गए हैं, जो इस बात का समर्थन करते हैं कि कोविड-19 एक लैब में बना था। आइए, इन बिंदुओं को आसान भाषा में समझते हैं:- वायरस का अनोखा ढांचा: रिपोर्ट कहती है कि कोविड-19 का ढांचा ऐसा है जो प्रकृति में आसानी से नहीं मिलता। ये वायरस कुछ खास तरीके से बनाया गया लगता है।
- वुहान लैब में शुरुआती मामले: वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में 2019 में कुछ रिसर्चर बीमार पड़े थे, और उनके लक्षण कोविड-19 जैसे थे। ये उस समय की बात है जब दुनिया को इस वायरस के बारे में पता भी नहीं था।
- वुहान लैब का इतिहास: वुहान लैब पहले भी ऐसे वायरस पर रिसर्च कर चुकी है, जिसमें वायरस को और खतरनाक बनाने की तकनीक (जिसे गेन-ऑफ-फंक्शन कहते हैं) इस्तेमाल की गई थी।
- लक्षणों का समय: कुछ लोग जो वुहान की एक मार्केट से जुड़े थे, उन्होंने कोविड-19 जैसे लक्षण 2019 के अंत में दिखाए, लेकिन वो मार्केट से पहले लैब में मामले सामने आए थे।
- प्राकृतिक सबूतों की कमी: अगर कोविड-19 प्राकृतिक रूप से फैला होता, तो अब तक इसके सबूत मिल गए होते, लेकिन ऐसा कुछ नहीं मिला।
इस खबर ने पूरी दुनिया में हलचल मचा दी है।
@amerix
ने अपनी पोस्ट में लिखा, "हम सही थे। कोविड-19 एक झूठा स्कैम था।" कई लोग इस खबर से गुस्से में हैं और उन लोगों को दोष दे रहे हैं जिन्होंने कोविड-19 के दौरान सख्त नियम और वैक्सीनेशन को बढ़ावा दिया था। कुछ लोग ये भी कह रहे हैं कि वैक्सीन लेने वालों का क्या होगा? इस पोस्ट पर कई लोगों ने अपनी राय दी। एक यूजर
@Thechoosen_01
ने लिखा कि पहले उन्हें लगा था कि ये वायरस अमेरिका ने चीन को कमजोर करने के लिए बनाया होगा, क्योंकि दोनों देशों में आर्थिक प्रतिस्पर्धा है। वहीं, @TI_Voice
ने तंजानिया के पूर्व राष्ट्रपति जॉन मागुफुली को याद किया, जिन्होंने कोविड-19 को नकार दिया था और वैक्सीन लेने से मना कर दिया था। मागुफुली का निधन 2021 में हो गया था।हालांकि, कुछ जानकारों का कहना है कि ये दावा पूरी तरह सही नहीं हो सकता। 2020 में "द प्रॉक्सिमल ओरिजिन ऑफ सार्स-कोव-2" नाम की एक स्टडी नेचर मेडिसिन जर्नल में छपी थी, जिसमें वैज्ञानिकों ने कहा था कि कोविड-19 प्राकृतिक रूप से जानवरों से इंसानों में फैला था। साथ ही, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की 2023 की एक रिपोर्ट में भी कहा गया कि वुहान लैब में बीमार पड़े रिसर्चरों का कोविड-19 से कोई सीधा कनेक्शन नहीं मिला।
तो दोस्तों, ये मामला अभी साफ नहीं है। एक तरफ व्हाइट हाउस का दावा है, दूसरी तरफ वैज्ञानिकों की पुरानी रिसर्च। सच क्या है, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा। लेकिन इतना जरूर है कि कोविड-19 ने पूरी दुनिया को बदल दिया, और इसके पीछे की सच्चाई जानना हर किसी का हक है।
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