यूपी में पहली बार: दुबई मे बैठे अपराधी शारिक साठा की 2.31 करोड़ की संपत्ति सरकार के नाम, संभल हिंसा का है मुख्य आरोपी
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उत्तर प्रदेश, अपराध, संभल हिंसा, शारिक साठा |
उत्तर प्रदेश में अपराध के खिलाफ सख्त कार्रवाई का एक नया अध्याय शुरू हुआ है। संभल की जिला अदालत ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए दुबई में छिपे अपराधी शारिक साठा की 2.31 करोड़ रुपये की संपत्ति को सरकार के नाम कर दिया है। यह पहला मौका है जब यूपी में किसी अपराधी की संपत्ति को सीधे सरकार को सौंपा गया है। शारिक साठा पर संभल में हुई हिंसा की साजिश रचने का गंभीर आरोप है, और वह फिलहाल दुबई में छिपकर बैठा है।
क्या है पूरा मामला?
शारिक साठा को संभल हिंसा का मुख्य साजिशकर्ता माना जा रहा है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, वह दुबई में रहकर भारत में अशांति फैलाने की साजिश रच रहा था। संभल हिंसा के बाद उसकी तलाश तेज हो गई थी, और अब यूपी पुलिस उसकी गिरफ्तारी के लिए इंटरपोल की मदद लेने की तैयारी में है। शारिक के एक करीबी मुल्ला अफरोज की गिरफ्तारी के बाद पुलिस को कई अहम सुराग मिले, जिसके आधार पर यह कार्रवाई की गई।
संभल की जिला अदालत ने शारिक की 2.31 करोड़ रुपये की संपत्ति को जब्त कर उसे सरकार के नाम कर दिया। यह संपत्ति संभल में ही स्थित है, और अदालत के इस फैसले को अपराधियों के लिए एक सख्त संदेश के तौर पर देखा जा रहा है।
कानून का डर जरूरी: सरकार और पुलिस की राय
उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस ने इस फैसले का स्वागत किया है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, "यह फैसला अपराधियों को साफ संदेश देता है कि कानून से ऊपर कोई नहीं है। शारिक साठा जैसे लोग जो विदेश में बैठकर देश में अशांति फैलाने की कोशिश करते हैं, उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होगी।"
यह कदम यूपी सरकार की उस नीति का हिस्सा है, जो संगठित अपराध को रोकने के लिए 2017 में लाए गए उत्तर प्रदेश कंट्रोल ऑफ ऑर्गनाइज्ड क्राइम बिल (UPCOCB) के तहत काम करती है। इस कानून के तहत जांच के दौरान ही अपराधियों की संपत्ति जब्त करने का प्रावधान है।
विवाद भी उभर रहा
हालांकि, इस फैसले को लेकर कुछ सवाल भी उठ रहे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि बिना किसी ठोस सबूत और दोष सिद्ध होने से पहले ही संपत्ति जब्त करना गलत है। सोशल मीडिया पर भी इस मामले को लेकर बहस छिड़ी हुई है। कुछ यूजर्स का मानना है कि यह कार्रवाई एक खास समुदाय को निशाना बनाने के लिए की गई है, जबकि कुछ ने इसे कानून का सही इस्तेमाल बताया है।
पुलिस अब शारिक साठा की गिरफ्तारी के लिए इंटरपोल की मदद लेने की तैयारी कर रही है। इसके साथ ही संभल हिंसा की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग भी सक्रिय है। यह आयोग 21 जनवरी को दूसरी बार संभल का दौरा करने वाला है, जिसमें हिंसा के कारणों और साजिशकर्ताओं की गहराई से जांच की जाएगी।
यह मामला यूपी में कानून-व्यवस्था को लेकर सरकार की सख्ती को तो दर्शाता है, लेकिन साथ ही यह सवाल भी खड़ा करता है कि क्या इस तरह की कार्रवाइयों में पारदर्शिता बरती जा रही है? आने वाले दिनों में इस मामले में और क्या नया मोड़ आता है, यह देखना दिलचस्प होगा।
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