लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पेश: अमित शाह ने दी अहम जानकारी, JPC की सिफारिशें मंजूर, मुस्लिम वोट लेकर बने सांसद रहे शांत, ओवैसी का हंगामा
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दिल्ली: 2 अप्रैल 2025 को लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल 2024 को पेश किया गया, जिसके बाद इस बिल को लेकर संसद में गहमा-गहमी का माहौल देखने को मिला। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस बिल पर विस्तार से जानकारी दी और बताया कि इसे लेकर व्यापक चर्चा की गई है। इस बिल को लेकर गठित संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया गया है। यह बिल वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाने, तकनीकी सुधार करने और कानूनी जटिलताओं को दूर करने के उद्देश्य से लाया गया है।
वक्फ संशोधन बिल पर क्या बोले अमित शाह?
अमित शाह ने लोकसभा में बिल पेश करते हुए कहा, "वक्फ बिल पर विस्तार से चर्चा हुई है। हमने इसकी गंभीरता को देखते हुए एक संयुक्त संसदीय समिति (JPC) का गठन किया था। JPC ने इस बिल पर गहन विचार-विमर्श किया और कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए, जिन्हें सरकार ने मंजूर कर लिया है।" उन्होंने यह भी बताया कि बिल की कॉपी JPC को पहले ही सौंपी जा चुकी थी, ताकि इस पर सभी पहलुओं से विचार किया जा सके।
वक्फ संशोधन बिल 2024 की मुख्य बातें
वक्फ संशोधन बिल 2024 को पहली बार 8 अगस्त 2024 को लोकसभा में पेश किया गया था। यह बिल मुसलमान वक्फ अधिनियम 1923 और वक्फ अधिनियम 1995 में संशोधन करने के लिए लाया गया है। इस बिल का मुख्य उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को बेहतर बनाना, तकनीक के जरिए पारदर्शिता लाना और कानूनी जटिलताओं को कम करना है। बिल में कई अहम प्रावधान शामिल किए गए हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
- गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति: बिल में प्रावधान है कि केंद्रीय और राज्य वक्फ बोर्ड में कम से कम दो गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल किया जाएगा, ताकि प्रबंधन में समावेशिता सुनिश्चित हो सके।
- तकनीकी प्रबंधन: वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के लिए एक केंद्रीकृत पोर्टल बनाया जाएगा, जिससे प्रक्रिया में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ेगी।
- वक्फ संपत्ति पर दावों में समय-सीमा: अब वक्फ संपत्ति से जुड़े दावों पर लिमिटेशन एक्ट 1963 लागू होगा, जिससे लंबे समय तक चलने वाले मुकदमों को कम किया जा सकेगा।
- वक्फ-बाय-यूजर की अवधारणा हटाई गई: बिल में 'वक्फ-बाय-यूजर' की अवधारणा को हटा दिया गया है, जिसके तहत लंबे समय तक धार्मिक उपयोग के आधार पर संपत्ति को वक्फ घोषित किया जाता था।
- महिला वारिसों के अधिकार: बिल में यह स्पष्ट किया गया है कि वक्फ-अलाल-औलाद के तहत दानदाता के वारिसों, खासकर महिला वारिसों को उनके उत्तराधिकार के अधिकार से वंचित नहीं किया जाएगा।
JPC की भूमिका और विपक्ष का विरोध
वक्फ संशोधन बिल को लेकर गठित 31 सदस्यीय JPC में 21 लोकसभा और 10 राज्यसभा सांसद शामिल थे। इस समिति ने बिल पर लंबी चर्चा की और 572 संशोधनों पर विचार किया, जिनमें से 32 को स्वीकार किया गया। हालांकि, विपक्ष ने इस प्रक्रिया पर सवाल उठाए और आरोप लगाया कि उनकी आवाज को दबाया गया। विपक्षी सांसदों ने JPC की रिपोर्ट में अपनी असहमति नोट्स को शामिल न करने का मुद्दा उठाया, जिसके बाद संसद में हंगामा देखने को मिला।
विपक्ष ने बिल के कई प्रावधानों का विरोध किया, जिसमें अलग-अलग संप्रदायों (अगाखानी और बोहरा) के लिए अलग वक्फ बोर्ड बनाने और गैर-मुस्लिम सदस्यों को वक्फ बोर्ड में शामिल करने जैसे प्रावधान शामिल हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसे "फर्जी रिपोर्ट" करार देते हुए कहा कि विपक्ष ऐसी रिपोर्ट को स्वीकार नहीं करेगा, जो उनकी राय को "बुलडोज" करती हो।
बिल का उद्देश्य और प्रभाव
वक्फ संशोधन बिल का मुख्य उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को पारदर्शी और कुशल बनाना है। भारत में वक्फ संपत्तियां धार्मिक, पवित्र और परोपकारी कार्यों के लिए समर्पित की जाती हैं। इस बिल के जरिए सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि इन संपत्तियों का दुरुपयोग न हो और इनका प्रबंधन आधुनिक तकनीक के जरिए किया जाए। इसके अलावा, बिल में वक्फ संस्थानों द्वारा वक्फ बोर्ड को दी जाने वाली अनिवार्य वार्षिक राशि को 7% से घटाकर 5% करने का भी प्रावधान है।
संसद में माहौल और भविष्य की राह
लोकसभा में बिल पेश होने के दौरान माहौल काफी गरम रहा। बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल, जो JPC के अध्यक्ष भी हैं, ने बिल पर रिपोर्ट पेश की, लेकिन विपक्षी सांसदों ने नारेबाजी करते हुए सदन की कार्यवाही को बाधित किया। राज्यसभा में भी इस बिल को लेकर विपक्ष ने वॉकआउट किया। हालांकि, अमित शाह ने विपक्ष को शांत करने की कोशिश करते हुए कहा कि सरकार को असहमति नोट्स को शामिल करने में कोई आपत्ति नहीं है।
आने वाले दिनों में इस बिल पर और चर्चा होने की संभावना है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या विपक्ष और सत्तापक्ष इस मुद्दे पर किसी सहमति पर पहुंच पाते हैं या यह बिल संसद में और विवाद का कारण बनेगा।
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