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AIMPB protest over waqf Board at Jantar Mantar |
नई दिल्ली, 17 मार्च 2025 (गाडाटाइम्स): देश की राजधानी दिल्ली के ऐतिहासिक जंतर-मंतर पर आज ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने वक़्फ़ (संशोधन) बिल, 2024 के खिलाफ एक जोरदार प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन मुसलमान समुदाय के धार्मिक स्वतंत्रता और वक़्फ़ संपत्तियों पर कथित खतरे के खिलाफ था, जिसने पूरे देश में हलचल मचा दी है। प्रदर्शन में हज़ारों की संख्या में लोग शामिल हुए, जिनके हाथों में "रिजेक्ट वक़्फ़ बिल" और "हैंड्स ऑफ वक़्फ़" जैसे नारे लिखे प्लेकार्ड थे।
बिल के खिलाफ गहरा आक्रोश
वक़्फ़ (संशोधन) बिल, 2024 को लेकर मुसलमान समुदाय में गहरा आक्रोश है। यह बिल वक़्फ़ एक्ट, 1995 में 40 से अधिक संशोधन लाने का प्रस्ताव रखता है, जिसमें वक़्फ़ बोर्डों की शक्तियों में कटौती, वक़्फ़ संपत्तियों की पहचान में बदलाव, और गैर-मुस्लिमों को बोर्ड में शामिल करने जैसे प्रावधान शामिल हैं। AIMPLB का कहना है कि यह बिल मुसलमानों के धार्मिक अधिकारों पर सीधा हमला है और वक़्फ़ संपत्तियों को हड़पने की साजिश है। बोर्ड के प्रवक्ता सैयद कासिम रसूल इलियास ने कहा, "यह शांतिपूर्ण प्रदर्शन है। सरकार को हमारी आवाज़ सुननी चाहिए, लेकिन वह सुनने को तैयार नहीं है।"
प्रमुख नेता हुए शामिल
प्रदर्शन में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) के सांसद ईटी मुहम्मद बशीर भी शामिल हुए। बशीर ने प्रदर्शन के दौरान कहा, "मैं उन सभी स्वयंसेवकों को धन्यवाद देता हूं जो यहाँ इकट्ठा हुए हैं। यह सरकार असंवैधानिक काम कर रही है। जेपीसी चेयरमैन ने इस आंदोलन को गलत ठहराया, लेकिन सरकार वक़्फ़ संपत्तियों को लूट रही है। IUML के तौर पर हम संसद के अंदर और बाहर सरकार से लड़ने का वादा करते हैं। यह एक क्रूर कानून है।" ओवैसी की मौजूदगी ने इस विरोध को राजनीतिक रंग भी दे दिया है।
सरकारी रुख और विवाद
जेपीसी चेयरमैन जगदंबिका पाल ने प्रदर्शन को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "AIMPLB देश के लोगों में नफरत पैदा करने और संसद के कानून बनाने के अधिकार को चुनौती देने की कोशिश कर रहा है।" वहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने भी प्रदर्शन को राजनीतिक बताते हुए सवाल उठाए, जिससे मुसलमान नेतृत्व के भीतर मतभेद स्पष्ट हो गए।
प्रदर्शन की रूपरेखा
प्रदर्शन 17 मार्च को सुबह से शुरू हुआ और दोपहर तक चला। प्रदर्शनकारियों ने वक़्फ़ बिल को रद्द करने की मांग करते हुए नारे लगाए। यह प्रदर्शन मूल रूप से 10 या 13 मार्च को आयोजित होना था, लेकिन होली और संसदीय सत्र के कारण इसे 17 मार्च के लिए स्थगित कर दिया गया था। AIMPLB ने इसे देशभर में वक़्फ़ बिल के खिलाफ एक बड़े आंदोलन का हिस्सा बताया है।
क्या है वक़्फ़ बिल?
वक़्फ़ एक्ट, 1995 के तहत मुसलमान समुदाय अपनी संपत्तियों को धार्मिक, पवित्र या परोपकारी उद्देश्यों के लिए दान करता है। यह संपत्ति वक़्फ़ बोर्डों द्वारा प्रबंधित की जाती है। लेकिन नया बिल कहता है कि वक़्फ़ घोषणा करने के लिए व्यक्ति को कम से कम 5 साल से इस्लाम का पालन करना चाहिए और संपत्ति का मालिक होना चाहिए। इसके अलावा, 'वक़्फ़ बाय यूज़र' की अवधारणा को हटाने और वक़्फ़-आल-औलाद में महिला उत्तराधिकारियों को शामिल करने का प्रावधान भी है। सरकार का दावा है कि यह बदलाव पारदर्शिता और कुशलता लाएंगे, लेकिन मुसलमान संगठन इसे सांप्रदायिक साजिश मान रहे हैं।
आगे क्या?
यह प्रदर्शन संसद के बजट सत्र के दौरान हुआ, जब जेपीसी वक़्फ़ बिल की समीक्षा कर रही है। जेपीसी की समीक्षा 2025 के बजट सत्र के अंत तक बढ़ा दी गई है, जिससे इस मुद्दे पर बहस और गहरा गई है। यदि बिल पास होता है, तो AIMPLB और अन्य संगठन कानूनी लड़ाई लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। यह प्रदर्शन न सिर्फ वक़्फ़ बिल के खिलाफ, बल्कि देश में धर्मनिरपेक्षता और अल्पसंख्यक अधिकारों पर भी बड़ा सवाल खड़ा करता है।
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