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नई दिल्ली, 10 मार्च 2025 (आईएएनएस): इजरायल के संसद (कनेसेट) की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति के अध्यक्ष बोअज बिसमट ने एक ऐसा बयान दिया है, जो न केवल मध्य पूर्व में बल्कि पूरी दुनिया में सनसनी मचा रहा है। बिसमट के इस बयान ने जॉर्डन, सीरिया और आसपास के मुस्लिम देशों में गुस्से की लहर पैदा कर दी है। उन्होंने दावा किया कि इजरायल जॉर्डन के राजा को रात में उठाकर अपने आदेश मानने पर मजबूर करेगा, जबकि सीरिया को पूरी तरह से इजरायल के अधीन करना चाहता है।
बिसमट का विवादास्पद बयान क्या है?
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में बोअज बिसमट कहते हैं, "हम जॉर्डन के राजा को रात के बीच में उठाकर हमारे आदेश मानने पर मजबूर करेंगे। सीरिया को पूरी तरह से हमारी अधीनता में लाना होगा, उसके पास कोई सैन्य शक्ति नहीं होनी चाहिए। हम दमिश्क पर पूर्ण नियंत्रण सुनिश्चित करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि असद के गिरने के बाद सीरिया में कोई सैन्य ताकत नहीं उभरे।" इसके साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया कि सीरिया इजरायल का "फ्रंटलाइन" बनकर यूफ्रेट्स नदी तक पहुंचेगा और भविष्य में इराक और कुर्दिस्तान तक विस्तार होगा।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में बोअज बिसमट कहते हैं, "हम जॉर्डन के राजा को रात के बीच में उठाकर हमारे आदेश मानने पर मजबूर करेंगे। सीरिया को पूरी तरह से हमारी अधीनता में लाना होगा, उसके पास कोई सैन्य शक्ति नहीं होनी चाहिए। हम दमिश्क पर पूर्ण नियंत्रण सुनिश्चित करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि असद के गिरने के बाद सीरिया में कोई सैन्य ताकत नहीं उभरे।" इसके साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया कि सीरिया इजरायल का "फ्रंटलाइन" बनकर यूफ्रेट्स नदी तक पहुंचेगा और भविष्य में इराक और कुर्दिस्तान तक विस्तार होगा।
इस बयान के साथ एक नक्शा भी साझा किया गया है, जो "ग्रेटर इजरायल" की अवधारणा को दर्शाता है। यह नक्शा मिस्र, जॉर्डन, सीरिया, लेबनान और इराक के हिस्सों को शामिल करता है, जो सिय्योनवादी विचारधारा के तहत एक बड़े इजरायली राज्य की परिकल्पना करता है। यह विचार मुस्लिम समुदाय और विशेष रूप से फिलिस्तीनियों के लिए बेहद आपत्तिजनक है, क्योंकि यह उनके क्षेत्रों पर कब्जे का संकेत देता है।
क्षेत्रीय तनाव में इजाफा
बिसमट का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब सीरिया में बशर अल-असद की सरकार दिसंबर 2024 में गिरने के बाद नया राजनीतिक परिदृश्य उभर रहा है। इजरायल ने हाल के महीनों में सीरिया पर अपने सबसे बड़े बमबारी अभियान शुरू किए हैं, जिसमें असद की सेना की 80% सैन्य क्षमता को नष्ट करने का दावा किया गया है। इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने असद के पतन को मध्य पूर्व में "चेहरे बदलने" वाली घटना बताया है, लेकिन यह बयान क्षेत्र में तनाव को और बढ़ा सकता है।
बिसमट का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब सीरिया में बशर अल-असद की सरकार दिसंबर 2024 में गिरने के बाद नया राजनीतिक परिदृश्य उभर रहा है। इजरायल ने हाल के महीनों में सीरिया पर अपने सबसे बड़े बमबारी अभियान शुरू किए हैं, जिसमें असद की सेना की 80% सैन्य क्षमता को नष्ट करने का दावा किया गया है। इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने असद के पतन को मध्य पूर्व में "चेहरे बदलने" वाली घटना बताया है, लेकिन यह बयान क्षेत्र में तनाव को और बढ़ा सकता है।
जॉर्डन, जो 1994 में इजरायल के साथ शांति संधि पर हस्ताक्षर कर चुका है, इस बयान से नाराज है। जॉर्डन के लोगों और सरकार ने इजरायल के बढ़ते प्रभाव और क्षेत्रीय हस्तक्षेप की आलोचना की है। सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने इस बयान को "पागलपन" और "क्षेत्र में युद्ध की ओर बढ़ने" की साजिश करार दिया है।
"ग्रेटर इजरायल" क्या है?
"ग्रेटर इजरायल" की अवधारणा सिय्योनवादी विचारधारा से जुड़ी है, जो थिओडोर हर्ज़ल जैसे नेताओं द्वारा प्रस्तावित की गई थी। यह विचार नील नदी से यूफ्रेट्स नदी तक फैले एक बड़े यहूदी राज्य की परिकल्पना करता है। हालांकि, यह विचार अरब देशों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में विवादास्पद रहा है, क्योंकि यह फिलिस्तीन और अन्य पड़ोसी देशों के क्षेत्रों पर कब्जे का संकेत देता है। कई इतिहासकार और विशेषज्ञ मानते हैं कि इजरायल धीरे-धीरे अपने पड़ोसियों से जमीन हथियाने की रणनीति अपना रहा है।
"ग्रेटर इजरायल" की अवधारणा सिय्योनवादी विचारधारा से जुड़ी है, जो थिओडोर हर्ज़ल जैसे नेताओं द्वारा प्रस्तावित की गई थी। यह विचार नील नदी से यूफ्रेट्स नदी तक फैले एक बड़े यहूदी राज्य की परिकल्पना करता है। हालांकि, यह विचार अरब देशों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में विवादास्पद रहा है, क्योंकि यह फिलिस्तीन और अन्य पड़ोसी देशों के क्षेत्रों पर कब्जे का संकेत देता है। कई इतिहासकार और विशेषज्ञ मानते हैं कि इजरायल धीरे-धीरे अपने पड़ोसियों से जमीन हथियाने की रणनीति अपना रहा है।
भारत और दुनिया की प्रतिक्रिया
भारत ने इस मुद्दे पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए भारत हमेशा से समर्थन करता रहा है। मध्य पूर्व में तनाव बढ़ने से भारत की ऊर्जा आपूर्ति और व्यापारिक हितों पर भी असर पड़ सकता है, क्योंकि यह क्षेत्र कच्चे तेल और गैस के लिए महत्वपूर्ण है।
भारत ने इस मुद्दे पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए भारत हमेशा से समर्थन करता रहा है। मध्य पूर्व में तनाव बढ़ने से भारत की ऊर्जा आपूर्ति और व्यापारिक हितों पर भी असर पड़ सकता है, क्योंकि यह क्षेत्र कच्चे तेल और गैस के लिए महत्वपूर्ण है।
विश्व स्तर पर, कई देशों और संगठनों ने इस बयान की निंदा की है। दक्षिण अफ्रीका ने पहले ही इजरायल के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में "नरसंहार" के आरोप लगाए हैं, जिसमें बोअज बिसमट के पिछले बयानों को भी सबूत के रूप में पेश किया गया है।
निष्कर्ष
बोअज बिसमट का यह बयान मध्य पूर्व में शांति प्रक्रिया के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है। जॉर्डन और सीरिया जैसे देशों के साथ तनाव बढ़ने से क्षेत्रीय अस्थिरता और बढ़ सकती है। यह बयान न केवल अरब देशों में गुस्सा पैदा कर रहा है, बल्कि पूरी दुनिया में इजरायल की नीतियों पर सवाल उठा रहा है। क्या यह बयान केवल राजनीतिक बयानबाजी है या इजरायल की विस्तारवादी नीतियों का हिस्सा, यह भविष्य में स्पष्ट होगा।
बोअज बिसमट का यह बयान मध्य पूर्व में शांति प्रक्रिया के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है। जॉर्डन और सीरिया जैसे देशों के साथ तनाव बढ़ने से क्षेत्रीय अस्थिरता और बढ़ सकती है। यह बयान न केवल अरब देशों में गुस्सा पैदा कर रहा है, बल्कि पूरी दुनिया में इजरायल की नीतियों पर सवाल उठा रहा है। क्या यह बयान केवल राजनीतिक बयानबाजी है या इजरायल की विस्तारवादी नीतियों का हिस्सा, यह भविष्य में स्पष्ट होगा।
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