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Haridwar-Shivani-Twin-Daughter-Murder |
हरीद्वार, 10 मार्च 2025 (IST) – उत्तराखंड के हरीद्वार जिले के ज्वालापुर इलाके से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है, जो हर किसी को स्तब्ध कर देने वाली है। 19 साल की शिवांगी ने अपनी सिर्फ 6 महीने की जुड़वा बेटियों को दुपट्टे से गला घोंटकर मार डाला। इस भयावह घटना ने न सिर्फ समाज को झकझोर दिया है, बल्कि मातृत्व, मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health), और परिवारिक सहयोग की कमी जैसे मुद्दों पर गंभीर बहस छेड़ दी है।
क्या थी इस ट्रैजिक स्टोरी की वजह?
सचिन गुप्ता (
@SachinGuptaUP
) के X पोस्ट और संबंधित वेब रिपोर्ट्स के मुताबिक, शिवांगी ने पुलिस को बताया कि उसकी बेटियां "अक्सर रोती थीं," जिससे उसे उन्हें पालने में बहुत दिक्कत हो रही थी। उसका पति रोज़ जॉब पर चला जाता था, और घर में कोई और फैमिली मेंबर नहीं था, जो उसकी मदद कर सके। इस अकेलेपन और तनाव (Stress) ने उसे इतना तोड़ दिया कि उसने यह भयानक कदम उठा लिया।पुलिस ने बताया कि शिवांगी ने 6 मार्च, 2025 को अपनी बेटियों को अस्पताल ले जाकर कहा कि वे बीमार हैं। लेकिन डॉक्टर्स ने दोनों बच्चों को मृत घोषित कर दिया। इसके बाद, बच्चों के पिता, माहेश सकलानी, ने शक होने पर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद जांच शुरू हुई। पूछताछ में शिवांगी ने अपना अपराध कबूल कर लिया। हरीद्वार के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) परमेंद्र दोभाल ने कहा, "वह बेटियों के लगातार रोने से इतनी परेशान हो गई थी कि उसने यह कदम उठाया।"
सोशल मीडिया पर गुस्सा और चिंता
इस पोस्ट ने X पर तूफान मचा दिया है। यूजर्स ने अपनी प्रतिक्रियाओं में गुस्सा, दुख, और चिंता जाहिर की है। कुछ लोगों ने लिखा, "ऐसी माँ नहीं हो सकती," जबकि अन्य ने सवाल उठाया, "क्या आज के भारत में बेटियां खतरे में हैं?" कई यूजर्स ने मांग की कि शिवांगी को सख्त सजा मिलनी चाहिए, और साथ ही सरकार को ऐसे मामलों में मानसिक स्वास्थ्य सपोर्ट (Mental Health Support) और परिवारिक सहायता (Family Support) बढ़ाने की जरूरत है।
मानसिक स्वास्थ्य और समाज की भूमिका
विशेषज्ञों का कहना है कि यह घटना postpartum depression (पोस्टपार्टम डिप्रेशन) या अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का परिणाम हो सकती है। मनोचिकित्सक (Psychiatrist) डॉ. रोहित गोंडवाल ने बताया, "कई नई माताओं को अकेलेपन, नींद की कमी, और तनाव से जूझना पड़ता है। अगर समय पर काउंसलिंग और सपोर्ट मिले, तो ऐसी त्रासदियों से बचा जा सकता है।"
भारत में, खासकर छोटे शहरों और गांवों में, मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता की कमी और संसाधनों की कमी एक बड़ी चुनौती है। वेब रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार और समाज को बच्चों और माता-पिता दोनों के लिए बेहतर सपोर्ट सिस्टम बनाने की जरूरत है, ताकि ऐसी घटनाएं न हों।
क्या कहते हैं कानून और समाज?
इस मामले में पुलिस ने शिवांगी को गिरफ्तार कर लिया है, और कानूनी कार्रवाई जारी है। लेकिन सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने सवाल उठाया कि क्या केवल सजा से समाधान होगा, या हमें जड़ तक जाने की जरूरत है? कुछ ने सुझाव दिया कि अगर शिवांगी को समय पर मदद मिलती, तो शायद यह त्रासदी टाली जा सकती थी।
निष्कर्ष: एक सबक और आह्वान
यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि मातृत्व (Motherhood) और पितृत्व (Fatherhood) के बोझ को कैसे कम किया जा सकता है। परिवार, समुदाय, और सरकार को मिलकर काम करना होगा, ताकि नई माताओं और बच्चों को सपोर्ट मिले। मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) को लेकर जागरूकता बढ़ाने और संसाधन उपलब्ध कराने की यह घड़ी है।
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