जुमा की नमाज़: दुनियाभर के मुस्लिम देशो में क्यों खास है यह पवित्र दिन? जुमा की नमाज़ भारी शंख्या मे क्यों पढ़ते है मुस्लिम
जुमा की नमाज़, इस्लाम, शुक्रवार दिल्ली की गलियों में हर शुक्रवार को एक अलग ही रौनक देखने को मिलती है। मस्जिदों में भारी भीड़, साफ-सुथरे कपड़ों में लोग, और इत्र की खुशबू हवा में तैरती हुई। ये है जुमा की नमाज़ का दिन, जिसे इस्लाम में सबसे पवित्र दिन माना जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि आखिर इस दिन और इस नमाज़ को इतनी अहमियत क्यों दी जाती है? आइए, दिल्ली के नज़रिए से जानते हैं कि जुमा की नमाज़ क्यों है इतनी खास और इसके पीछे क्या कारण हैं। कुरान में जुमा की अहमियत, जुमा की नमाज़: क्यों खास है यह पवित्र दिन? कुरान में जुमा की अहमियत कुरान की सूरह अल-जुमआ (62:9) में साफ कहा गया है कि जब जुमा की नमाज़ की अज़ान हो, तो हर काम छोड़कर मस्जिद की ओर दौड़ पड़ो। दिल्ली की जामा मस्जिद से लेकर हज़रत निज़ामुद्दीन तक, हर मस्जिद में यह आयत ज़िंदगी का हिस्सा बन जाती है। शुक्रवार को 'यौम-अल-जुमआ' यानी 'जमाअत का दिन' कहा जाता है। यह दिन मुसलमानों को एकजुट करता है, चाहे वो पुरानी दिल्ली की तंग गलियों में रहने वाले हों या साउथ दिल्ली के पॉश इलाकों में। पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व ...