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भोपाल में कांग्रेस विधायक ने कब्रिस्तान की जमीन पर गौशाला बनाने का काम किया शुरू, मुस्लिम समाज मे तनाव

भोपाल,मध्य प्रदेश,कांग्रेस,बीजेपी भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक बार फिर धार्मिक स्थलों को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। यहां कांग्रेस के विधायक अश्विन श्रीवास्तव पर आरोप लगे हैं कि उन्होंने वक्फ बोर्ड के तहत रजिस्टर्ड एक कब्रिस्तान की जमीन पर गौशाला (cow shelter) बनाने का काम शुरू कर दिया है। इस मामले में कब्रिस्तान के केयरटेकर शेख मतीन ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है, जिससे इलाके में तनाव बढ़ गया है। क्या है पूरा मामला? बीजेपी का कनेक्शन रिपोर्ट्स के मुताबिक, भोपाल के अकबरपुर बनजारी इलाके में स्थित इस जमीन को वक्फ बोर्ड ने कब्रिस्तान के रूप में रजिस्टर्ड किया हुआ है। लेकिन कांग्रेस विधायक अश्विन श्रीवास्तव ने यहां गौशाला बनाने का फैसला लिया और बिना किसी अनुमति के निर्माण कार्य शुरू कर दिया। इसकी जानकारी मिलने के बाद केयरटेकर शेख मतीन ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और कहा कि यह जमीन कब्रिस्तान के लिए आरक्षित है, जहां मृतकों को दफनाया जाता है। इस मामले में बीजेपी के सांसद रमेश्वर शर्मा का भी नाम सामने आया है। खबरों के मुताबिक, रमेश्वर शर्मा ने गौशाला के निर्माण के लिए भूमि पूज...

"मवाना लेखपाल की कार्रवाई: यूपी मुस्लिम ध्यान दें, मस्जिद, और कब्रिस्तान पर संकट, तुरंत करें यह काम"

उत्तर प्रदेश, वक्फ बोर्ड, मस्जिद उत्तर प्रदेश में एक बड़ी और जरूरी खबर सामने आ रही है। राज्य के हर तहसील में लेखपालों के जरिए मौजूदा मस्जिदों, मजारों और कब्रिस्तानों की सत्यापन और जांच की प्रक्रिया शुरू हो गई है। यह कदम सरकार की ओर से उठाया गया है ताकि इन धार्मिक स्थलों की वैधता और उनके दस्तावेजों की पड़ताल की जा सके। अगर आप अपने इलाके में इन स्थानों से जुड़े हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण है। क्या करना होगा? सभी संबंधित लोगों से अपील की जा रही है कि वे अपने नजदीकी लेखपाल से संपर्क करें और मस्जिद, मजार या कब्रिस्तान से जुड़े जरूरी कागजात उन्हें सौंप दें। अगर ये धार्मिक स्थल अभी तक रजिस्टर्ड नहीं हैं, तो बिना देरी किए इन्हें उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, लखनऊ में रजिस्टर करवाएं। इसके अलावा, अगर जमीन का मालिकाना हक फर्द, रजिस्ट्री या पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए किसी मालिक के पास है, तो एक एनजीओ बनाकर भी इसे रजिस्टर्ड कराया जा सकता है। क्यों है यह जरूरी? जानकारी के मुताबिक, अगर इन स्थानों को वक्फ बोर्ड में रजिस्टर्ड नहीं कराया गया, तो सरकार इन्हें अवैध घोषित कर सकती है और इ...

मे भी भगवान श्री राम का वंसज हूं मुझे भी राम मंदिर ट्रस्ट मे शामिल करो : सहारनपुर लोकसभा कांग्रेस सांसद इमरान मसूद

इमरान मसूद,वक्फ बोर्ड,राम मंदिर ट्रस्ट सहारनपुर, 02 अप्रैल 2025: कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने के प्रस्ताव पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, "मैं भी राम जी का वंशज हूं, मुझे भी राम मंदिर ट्रस्ट में शामिल करें। अगर आप ऐसा नहीं करते तो वक्फ बोर्ड में हिंदू सदस्यों को शामिल करने का क्या औचित्य है?" इमरान मसूद का यह बयान उस समय आया है जब वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर देश भर में बहस छिड़ी हुई है। सहारनपुर से सांसद इमरान मसूद ने इस मुद्दे पर अपनी बात को और स्पष्ट करते हुए कहा कि यह सिर्फ मुस्लिम समुदाय के लिए ही नहीं, बल्कि देश के संविधान और समानता के सिद्धांत के लिए भी एक बड़ा सवाल है। उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर समानता की बात है तो सभी धार्मिक संस्थानों में एक जैसा नियम लागू होना चाहिए। "अगर वक्फ बोर्ड में हिंदू सदस्यों की एंट्री हो सकती है, तो फिर राम मंदिर ट्रस्ट में मुझे क्यों नहीं शामिल किया जाता? यह दोहरा मापदंड क्यों?" मसूद ने सवाल उठाया। उन्होंने यह भी कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक मुस्लिम सम...

155 साल पुराने मदरसे पर अलल औलाद बताकर शेख समाज के लोग जमाना चाहते है कब्ज़ा: गांव के गरीब मुस्लिमों ने लगाई वक्फ बोर्ड से गुहार

वक्फ बोर्ड, मदरसा विवाद, अम्बेहटा सहारनपुर अम्बेहटा, सहारनपुर: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के अम्बेहटा पीर गांव में 155 साल पुराने मदरसे को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। गांव के शेख समाज के कुछ दबंग लोग इस ऐतिहासिक मदरसे को अपनी निजी संपत्ति बताकर इसके हिस्सों को तोड़ने और उस पर कब्जा करने की कोशिश में जुटे हैं। वहीं, गांव के अन्य मुस्लिम समुदाय के लोग इसे 'अल्ल खैर' यानी सभी मुस्लिमों की साझा संपत्ति मानते हैं और इसका विरोध कर रहे हैं। इस मामले ने न सिर्फ गांव में तनाव पैदा कर दिया है, बल्कि वक्फ बोर्ड और भारत सरकार के वक्फ संशोधन कानून पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या है पूरा मामला? गांव वालों के मुताबिक, यह मदरसा करीब डेढ़ सदी से चलता आ रहा है और दारुल उलूम देवबंद की स्थापना से भी 30 साल पहले से मौजूद है। इसका लंबा इतिहास इसे पूरे गांव के लिए एक साझा धरोहर बनाता है। लेकिन शेख बिरादरी के कुछ प्रभावशाली लोग इसे 'अल्ल औलाद' यानी अपने पूर्वजों की संपत्ति बताकर इस पर अपना हक जताने की कोशिश कर रहे हैं। गांव के एक निवासी जायद वल्दियत फरहद ने बताया कि शेख समाज के दबंगों ने...