मुगल इतिहास,1857 विद्रोह, अंग्रेज अरे भाइयों और बहनों, दिल्ली का नाम सुनते ही दिल में एक अलग सा जोश आता है, है ना? ये शहर तो इतिहास की किताब है, हर गली-मोहल्ले में कोई ना कोई कहानी छुपी है। आज हम बात करेंगे एक ऐसी मस्जिद की, जिसे ज़ीनत-उल-मसाजिद कहते हैं, और लोग इसे गढ़ा मस्जिद भी बुलाते हैं। ये मस्जिद सिर्फ नमाज़ की जगह नहीं, बल्कि एक ऐसी धरोहर है जो दिल्ली के मुगल ज़माने की शान को बयां करती है। इसकी कहानी में इतिहास, दर्द, और हिम्मत सब कुछ है। तो चलो, इस खूबसूरत मस्जिद की सैर करते हैं और जानते हैं इसके बारे में सब कुछ। मस्जिद की शुरुआत और इसे किसने बनवाया ज़ीनत-उल-मसाजिद,दिल्ली, कंस्ट्रक्शन AI चित्र ज़ीनत-उल-मसाजिद का तामीर सन 1700 के आसपास हुआ था। इसे बनवाया था ज़ीनत-उन-निसा ने, जो मुगल बादशाह औरंगजेब की बेटी थीं। ज़ीनत-उन-निसा को लोग पदशाह बेगम कहते थे। वो बहुत ही नेक और दान-पुण्य करने वाली खातून थीं। उन्होंने अपने बाप की तरह धर्म और संस्कृति को बढ़ावा देने का काम किया। इस मस्जिद को बनवाकर उन्होंने दिखा दिया कि औरतें भी बड़ी-बड़ी इमारतें बनवा सकती हैं और समाज में अपना ...
This Blog is about the Gulf Hindi news, Fact check news, Viral News, History Notes, Indian Caste Information, Digital marketing, affiliate marketing.