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Gada Biradri History in Hindi/ Gada Biradri Islamic History / Gada Community History / गाड़ा बिरादरी का इतिहास हिंदी में / Garha / Gada / Gaur

गाड़ा बिरादरी यूं तो इस्लाम मे बिरादर जात, पात, खानदान और रंगों नस्ल की कोई हैसियत नही, कोई खास खानदान बिरादरी या नसब कोई मियार फ़ज़लों कमाल नही बल्के इंसान के मुआज़ज़्ज मोहतरम और अफज़ल (बड़ा) होने का मियार दूसरा है। जिसको क़ुरआने क़रीम इन अल्फ़ाज़ में बयान करता है। सूरे हज़रात आयात नंबर का तर्जमा - ऐ लोगो बिला शुबा (कोई शक नही)  हमने तुमको एक मर्द और एक औरत से पैदा किया और बनाया तुमको बिरादरीयो और कबीलों में ताके तुम एक दूसरे को पहचानो, यकीनन अल्लाह पाक के नज़दीक तुममे सबसे ज़्यादा मोहतरम वो है जो सबसे ज़्यादा परहेज़गार (डरने वाला) है। बिला शुबा ( कोई शक नही) अल्लाह तआला जानने वाला बाख़बर है। इस आयत में अल्लाह तबारक वताआला ने साफ-साफ बतला दिया के फ़ाज़लों कमाल का मियार तक़वा ओर परहेज़गारी है। हस्बो न्सब और खानदान बिरादरी नही बल्कि इंसान होने के नाते तमाम इंसान बराबर है। क्योंकि सबकी असल एक ही है तमाम लोग एक ही माँ बाप से पैदा हुए है।  हिंदुस्तानी मुसलमानों के एक बड़ी तादाद ऐसे लोगो की है जो कि असलियत में नस्लों के आधार पर हिन्दू थे, लेकिन एक खास जनशंख्या ऐसे मुसलमानो की भी है जिनका ताल्लुक बेरवन ह...

गाड़ा बिरादरी का इतिहास - Gada caste History

Gada-Caste-History-In-hindi  गाड़ा बिरादरी की गाथा: समय के साथ एक अनोखी यात्रा मध्य एशिया की सरजमीं से शुरुआत कभी मध्य एशिया की विशाल घास के मैदानों में, तुर्क कबीलों के बीच, एक योद्धा समुदाय ने जन्म लिया—गाड़ा बिरादरी। अपनी असीम ताकत, अडिग वफादारी और युद्ध कौशल के लिए मशहूर ये गाड़ा लोग उस जमाने में एक तूफान की तरह थे। इनकी कहानी भारत की मिट्टी से कोसों दूर शुरू हुई, जहाँ साहस और सम्मान ही इनकी पहचान था। मुहम्मद बिन कासिम के साथ हिंदुस्तान में कदम (711 ईस्वी) गाड़ा बिरादरी का हिंदुस्तान से रिश्ता तब जुड़ा, जब 8वीं सदी की शुरुआत में उमय्यद खलीफा के युवा अरब सेनापति मुहम्मद बिन कासिम ने सिंध घाटी पर नजरें गड़ा दीं। साल 711 में, खलीफा अल-वलीद के हुक्म से, कासिम ने राजा दाहिर को सबक सिखाने की ठानी, जिसने अरब व्यापारियों के साथ बदसलूकी की थी। समुद्र के रास्ते अपनी सेना लेकर कासिम ने देबल (आज का कराची के पास) पर कब्जा जमाया और अरोर के मैदान में दाहिर को धूल चटाकर सिंध में इस्लाम का परचम लहरा दिया। इस जीत के पीछे गाड़ा योद्धाओं का बड़ा हाथ था। कासिम की फौज के "शान और जान" कहे जाने वाल...