हिंदुस्तान के इतिहास का ओर वर्तमान समय का उर्दू एक बहुत ही जरूरतमंद भासा ओर विषय रहा है, प्राचीन भारत मे उर्दू को बहुत ही ज्यादा महत्त्व दिया गया था, लेकिन जैसे ही हिंदुस्तान का पाकिस्तान ने बटवारा कराया तो उर्दू विषय ओर भासा पाकिस्तान ने मूल रूप से उर्दू को अपनी राष्टीय भासा चुन लिया। लेकिन ऐसा नही है, कि उर्दू विषय ओर भासा सिर्फ और सिर्फ पाकिस्तान ने अपना लिया है, लेकिन ऐसा तो नही हे की उर्दू भासा प्र सिर्फ ऑर सिर्फ पाकिस्तान का अधिकार हो, उर्दू भी बाकी भासा की ताराह ही हिंदुस्तान की एक भासा मे से एक है, आज़ाद हिंदुस्तान में उर्दू बोलने, लिखने ओर पढ़ने वाले बहुत तादाद में लोग ओर परिवार है। हिंदुस्तान में उर्दू विषय को पढ़ाने के लिए सबसे बड़ी संस्था देवबंद में दारुल उलूम के नाम से पूरी दुनिया मे जाना जाता हैं। लेकिन जब से हिंदुस्तान में इंग्लिश विषय पर महत्त्व दिया गया है, उसके बाद उर्दू को लोगो के बीच में ज्यादा नही पढ़ाया ओर लिखाया गया और जिसके कारण लोगो को उर्दू विषय का ज्यादा जानकारी नही रही। लेकिन हम इन बातों को धियान में रख उर्दू विषय को लेकर ऐसे कुछ जरूर...
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