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सऊदी अरब में फंसे सैकड़ों भारतीय मजदूर, 9 महीने से नहीं मिली सैलरी, भारत सरकार से घर वापसी की गुहार

भारतीय मजदूर, सऊदी अरब, सैलरी नई दिल्ली, 18 मई 2025: सऊदी अरब में 'सेंडान' इंटरनेशनल कंपनी में काम करने वाले सैकड़ों भारतीय मजदूरों की हालत इन दिनों बहुत खराब है। इन मजदूरों को पिछले 9 महीने से सैलरी नहीं मिली है और न ही उन्हें खाने-पीने की सही व्यवस्था दी जा रही है। ये मजदूर अब भारत सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि उन्हें जल्द से जल्द घर वापस लाया जाए। इस मामले में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें मजदूर अपनी दर्दभरी कहानी बता रहे हैं। वे कह रहे हैं कि कंपनी ने उन्हें न तो सैलरी दी और न ही रहने की सही जगह। कई मजदूरों का कहना है कि उन्हें सिर्फ चावल और दाल ही मिल रही है, जबकि कई महीनों से उनका वेतन रोक दिया गया है। एक मजदूर ने बताया, "हम यहां 8-9 महीने से फंसे हुए हैं। हमें न तो सैलरी मिल रही है और न ही खाने-पीने की सही व्यवस्था। हम बहुत परेशान हैं और सिर्फ भारत लौटना चाहते हैं।" इस वीडियो में मजदूरों ने विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर से अपील की है कि वे इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करें और उनकी घर वापसी सुनिश्चित करें। साथ ही, उन्होंने सऊदी अरब में भारतीय दू...

42 साल तक बहरीन में फंसे भारतीय व्यक्ति की घर वापसी: 'आपको कभी भुलाया नहीं गया'

प्रवासी भारतीय, गोपालन चंद्रन, बहरीन 42 साल का लंबा इंतज़ार, अनगिनत मुश्किलें, और एक माँ का अपने बेटे के लिए अटूट विश्वास—यह कहानी है गोपालन चंद्रन की, जिन्होंने आखिरकार अपनी मातृभूमि भारत की मिट्टी को फिर से छू लिया। 74 वर्षीय गोपालन, जो केरल के रहने वाले हैं, चार दशकों से अधिक समय तक बहरीन में बिना किसी पहचान के फंसे रहे। उनकी कहानी न केवल धैर्य और उम्मीद की मिसाल है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि इंसानियत और सामूहिक प्रयास किसी की जिंदगी को कैसे बदल सकते हैं। गोपालन चंद्रन 1983 में बेहतर रोज़गार की तलाश में बहरीन गए थे। उस समय वह युवा थे, सपनों से भरे हुए, और अपने परिवार के लिए एक अच्छा भविष्य बनाने की चाहत रखते थे। लेकिन नियति को कुछ और ही मंज़ूर था। बहरीन में उनके नियोक्ता की मृत्यु हो गई, और उनके पासपोर्ट सहित सभी महत्वपूर्ण दस्तावेज़ गुम हो गए। इसके बाद गोपालन की जिंदगी एक अनिश्चितता के भंवर में फंस गई। बिना दस्तावेज़ों के वह न तो भारत लौट सकते थे, न ही वहां कानूनी रूप से रह सकते थे। वह एक ऐसी ज़िंदगी जीने को मजबूर हो गए, जहां उनकी कोई पहचान नहीं थी। इन 42 सालों में गोपालन ने अनगिनत...