NSA श्री अजित डोभाल का चौंकाने वाला खुलासा: ISI ने हिंदुओं को ज्यादा बनाया जासूस, मुस्लिमों से कम! वीडियो हुआ वायरल
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| अजित डोभाल, आईएसआई, जासूसी |
नई दिल्ली, 17 नवंबर 2025: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल का एक पुराना वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) के बारे में चौंकाने वाला दावा किया है। डोभाल कहते हैं कि 1947 से अब तक ISI ने भारत में जासूसी के लिए मुस्लिमों से ज्यादा हिंदुओं को भर्ती किया है। यह दावा धर्म के आधार पर जासूसों के बारे में फैली गलत धारणाओं को तोड़ने का काम कर रहा है। आइए, इस खबर को विस्तार से समझते हैं और देखते हैं कि सोशल मीडिया पर यह क्यों ट्रेंड कर रहा है।
वीडियो में डोभाल साफ-साफ कहते हैं कि भारत में जासूसी के 4,000 से ज्यादा मामलों में से मुस्लिमों की संख्या 20% से भी कम है। यानी, ज्यादातर जासूस हिंदू थे! उन्होंने जोर देकर कहा कि सुरक्षा के खतरे धर्म से नहीं, बल्कि विचारधारा से जुड़े होते हैं। यह बयान आज के दौर में बहुत प्रासंगिक लगता है, जहां लोग अक्सर धर्म के चश्मे से सुरक्षा मुद्दों को देखते हैं। डोभाल का यह क्लिप सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर तेजी से फैल रहा है, लेकिन अभी तक किसी बड़े न्यूज चैनल या अखबार ने इसकी पुष्टि नहीं की है।
यह क्लिप लुटयन्स मीडिया आदि और बड़े वेरीफाइड चैनलो नाम से पोस्ट किया जा रहा है है, जिसके लाखो से ज्यादा फॉलोअर्स हैं। यह अकाउंट अक्सर विवादास्पद लेकिन सच्चाई से जुड़ी खबरें शेयर करता है, जो लोगों को सोचने पर मजबूर कर देती हैं। पोस्ट के नीचे कमेंट्स की बाढ़ आ गई है। कुछ लोग डोभाल जी की बात से सहमत हैं और कह रहे हैं कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा पर एक नई रोशनी डालता है। लेकिन कुछ यूजर्स ने इसे 2002 के गोधरा कांड जैसे पुराने मामलों से जोड़कर न्यायिक पूर्वाग्रहों पर सवाल उठाए हैं। इससे साफ है कि सोशल मीडिया पर राष्ट्रीय सुरक्षा और पहचान से जुड़े मुद्दों पर कितनी गर्म बहस चल रही है।
NSA अजीत डोभाल जी का यह दावा पुराना है, लेकिन आज के संदर्भ में यह फिर से चर्चा में आया है। वे अक्सर कहते रहे हैं कि दुश्मन देश विचारधारा के आधार पर लोगों को फंसाते हैं, न कि सिर्फ धर्म के। भारत-पाकिस्तान के बीच जासूसी के किस्से तो हमेशा सुर्खियों में रहते हैं, लेकिन यह क्लिप एक नया मोड़ दे रही है। क्या यह दावा सही है? विशेषज्ञों का कहना है कि ISI की रणनीति में वैचारिक कमजोरियों का फायदा उठाना शामिल है, जो किसी भी समुदाय को प्रभावित कर सकता है।
सोशल मीडिया के इस दौर में ऐसी खबरें तेजी से फैलती हैं, लेकिन हमें सावधान रहना चाहिए। बिना पुष्टि के फैलने वाली जानकारी गलतफहमियां पैदा कर सकती है। अगर आप भी इस वीडियो को देखना चाहें, तो X पर लुटयनस मीडिया को चेक करें। राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर ऐसी बहसें हमें और जागरूक बनाती हैं। क्या आपको लगता है कि डोभाल का दावा सही दिशा में है? कमेंट्स में बताएं!
यह खबर हमें याद दिलाती है कि सुरक्षा के मामले में एकजुट रहना जरूरी है, चाहे कोई भी धर्म हो। स्टे ट्यूनड फॉर मोर अपडेट्स!
वीडियो में डोभाल साफ-साफ कहते हैं कि भारत में जासूसी के 4,000 से ज्यादा मामलों में से मुस्लिमों की संख्या 20% से भी कम है। यानी, ज्यादातर जासूस हिंदू थे! उन्होंने जोर देकर कहा कि सुरक्षा के खतरे धर्म से नहीं, बल्कि विचारधारा से जुड़े होते हैं। यह बयान आज के दौर में बहुत प्रासंगिक लगता है, जहां लोग अक्सर धर्म के चश्मे से सुरक्षा मुद्दों को देखते हैं। डोभाल का यह क्लिप सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर तेजी से फैल रहा है, लेकिन अभी तक किसी बड़े न्यूज चैनल या अखबार ने इसकी पुष्टि नहीं की है।
यह क्लिप लुटयन्स मीडिया आदि और बड़े वेरीफाइड चैनलो नाम से पोस्ट किया जा रहा है है, जिसके लाखो से ज्यादा फॉलोअर्स हैं। यह अकाउंट अक्सर विवादास्पद लेकिन सच्चाई से जुड़ी खबरें शेयर करता है, जो लोगों को सोचने पर मजबूर कर देती हैं। पोस्ट के नीचे कमेंट्स की बाढ़ आ गई है। कुछ लोग डोभाल जी की बात से सहमत हैं और कह रहे हैं कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा पर एक नई रोशनी डालता है। लेकिन कुछ यूजर्स ने इसे 2002 के गोधरा कांड जैसे पुराने मामलों से जोड़कर न्यायिक पूर्वाग्रहों पर सवाल उठाए हैं। इससे साफ है कि सोशल मीडिया पर राष्ट्रीय सुरक्षा और पहचान से जुड़े मुद्दों पर कितनी गर्म बहस चल रही है।
NSA अजीत डोभाल जी का यह दावा पुराना है, लेकिन आज के संदर्भ में यह फिर से चर्चा में आया है। वे अक्सर कहते रहे हैं कि दुश्मन देश विचारधारा के आधार पर लोगों को फंसाते हैं, न कि सिर्फ धर्म के। भारत-पाकिस्तान के बीच जासूसी के किस्से तो हमेशा सुर्खियों में रहते हैं, लेकिन यह क्लिप एक नया मोड़ दे रही है। क्या यह दावा सही है? विशेषज्ञों का कहना है कि ISI की रणनीति में वैचारिक कमजोरियों का फायदा उठाना शामिल है, जो किसी भी समुदाय को प्रभावित कर सकता है।
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देखे सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो 👉
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